सावधान: आपकी आइस्क्रीम में मिलाए जा रहे खतरनाक केमिकल ?
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आइस्क्रीम के नाम पर बिक रहा मीठा ज़हर…
सीतामऊ। गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर की सड़कों और गलियों से लेकर गांव-गांव में आइसक्रीम मिलनी शुरू हो जाती है और हम सब इसे बड़े शौक से खाते हैं लेकिन मिलावटखोरों द्वारा आइसक्रीम में खतरनाक रसायनों को मिलाकर लोगों और बच्चों को धीमा जहर खिलाया जा रहा है। वही जिम्मेदार अफसर इन आइसक्रीम फैक्ट्रियों में बने उत्पादों की जांच करने का बस कोरम ही पूरा करते हैं जिससे इस काले कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
आइस्क्रीम बनाने के लिए ना केवल सेक्रिन जैसे खतरनाक नान इटेबल केमिकल का स्तेमाल हो हैं बल्कि घातक ट्रांसफैट युक्त हाइड्रोजिनेटेड वनस्पति घी जिसे साधारण भाषा में कहें तो डालडा, मक्खन रहित दूध का पाऊडर या सिंथेटिक दूध, कैस्ट्रोल पाउडर, हाई फ्रक्टोज कोर्न सीरप, कृत्रिम मिठास या एस्पार्टेम और कार्बोक्सीमिथाइल सेल्यूलोज, ब्यूटिरेल्डीहाइड, एमाइल एसीटेट, डाईइथाइल ग्लाइकोल आदि का इस्तेमाल धड्डले से किया जा रहा है। इन सस्ते रसायनों की मात्रा थोड़ी भी कम या अधिक हुई, तो उसका असर सीधे मानव शरीर पर गंभीर व तेजी से प्रभाव पड़ता है जिससे पेट, लीवर की गंभीर बीमारियां होने के साथ ही शरीर की रोगों से लड़ने की (रोग प्रतिरोधक) क्षमता भी प्रभावित होती है।
ज़िले में फूड एंड सेफ्टी विभाग की अनदेखी के चलते आजकल छोटे छोटे कस्बों गली मोहल्लों में भी आइसक्रीम फैक्ट्रियां बिना पंजीकरण के ही धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं ये फैक्ट्रियां किसी भी मानक का ख्याल नहीं रखती हैं। यहां तक की आइस्क्रीम बर्फ के लिए आरो वाटर का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। नियमानुसार असली आइस्क्रीम में सिर्फ दूध, दूध से बने फ्लेवर और शक्कर होना चाहिए। जिसमे 16 प्रतिशत मिल्क क्रीम होना चाहिए। इससे आइस्क्रीम बनाना बहुत खर्चीला होता है इसलिए मिलावट खोर 5.5 से ज्यादा मिल्क क्रीम नही मिलाते इसके बदले डालडा और अन्य रसायन मिलाकर सस्ते में आइसक्रीम तेयार कर देते हैं। फूड सेफ्टी विभाग को जिले भर में आइस्क्रीम बनाने वाली फैक्ट्रीयो की जांच करनी चाहिए।
यह देखकर खरीदें आइसक्रीम –
आइसक्रीम खरीदते समय पैकेट को ध्यान से पढ़ें। उस पर आइसक्रीम के बनने और पैकिंग की तिथि अंकित होनी चाहिए। इसके अलावा बैच नंबर के साथ उसमें प्रयोग हुई सामग्री आदि की पूरी जानकारी होती है। यदि यह सब जानकारी पैकेट पर अंकित नहीं है तो वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए जहां तक हो सके घर में ही दूध अथवा अन्य सामग्री से आइसक्रीम बनाकर बच्चों को दें।