श्रीराम मानवता, सभ्यता एवं आदर्श जीवन के प्रतीक हैं -शिक्षाविद् पं गौरीशंकर दुबे
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सीतामऊ। गीता मानस सत्संग मण्डल, सीतामऊ में रतलाम निवासी शिक्षाविद् पण्डित गौरीशंकर जी दुबे ने उपस्थित जनों को पुरुषोत्तम राम नाम की महिमा का ज्ञानामृत कराते हुए कहा कि राम का स्वभाव तथा प्रभाव विषय पर विस्तृत एवं सारगर्भित प्रवचन में बताया कि दुराचारी और अंहकारी समझाने पर भी नहीं समझते है। उन्हें स्वभाव और प्रभाव से काबू पाया जा सकता है। जिस प्रकार दुराचारी बाली तथा अहंकारी समुद्र पर राम ने अपने स्वभाव तथा प्रभाव से दोनों को नियंत्रित किया । ऐसे कई एक उदाहरण प्रस्तुत किये । भगवान श्री राम का जीवन को जो समझ गया वह अपने जीवन को समझ गया। राम का अर्थ ही यह है कि सबमें रआम रम जाना मिल जाना और सबको बदल देना। राम नाम जपने से मानव दुर्गम एवं कठिन से कठिन परिस्थितियों से आसानी से भवसागर पार कर जीवन आनंददायक बन जाता है । राम का जीवन मानव जीवन का मुल स्त्रोत है। श्रीराम मानवता, सभ्यता एवं आदर्श जीवन के प्रतीक हैं । लोकोत्तर महापुरुषों का मन वज्र से भी कठोर होता था और पुष्प से भी कोमल हुआ करता था जोकि साधारण जनों के लिये दुरबोध है । यह कितना शुभ अवसर है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 22 जनवरी, 2024 को होने जा रही है।
इस अवसर पर श्री ओमसिंह भाटी हल्दूनी तथा सत्संग मण्डल के उपाध्यक्ष, मनो हरलाल ने शाल, श्रीफल तथा पुष्पमाला से मुख्य अतिथि पण्डित श्री गौरीशंकरजी दुबे का सम्मान किया । उपस्थित गणमान्य महानुभावों ने भी पुष्प मालाओं से पण्डित श्री दुबे का सम्मान किया । ज्ञानार्जन कि मधुर बेला में आदरणीया बहिन श्रीमती प्रज्ञा दुबे ने भगवान श्रीराम का भजन गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । पण्डाल में उपस्थित महानुभावों व बहिनों जैसे पण्डित श्री नटवरलाल व्यास, ललिताशंकर भम्भोरिया, श्री ओमसिंह भाटी, श्री गोविन्द सांवरा, मनीष नीमा, महेश नीमा, पंडित हेमशंकर परसाई (मुख्य कार्यकर्ता व प्रचारक), रामेश्वर नीमा, सुरेश सोलंकी, वकील, श्री मुकेश कारा तथा नीमा समाज की अनेक माताओं व बहिनों की उपस्थिति में आयोजन में आनंदमय जीवन कि भक्ति कि रस धारा प्रवाहित हुई।अंत में गीता मानस सत्संग मण्डल, सीतामऊ के वरिष्ठ संरक्षक सदस्य श्री अमरसिंह कुशवाह ने उपस्थित सज्जनों व बहनों को धन्यवाद देकर अपना आभार व्यक्त किया ।