रतलामताल

श्रीमती संपत बाई श्रीवास्तव ने  नेत्रदान कर क्षेत्र में मिसाल कायम की,  नेत्र संकलन करने कोटा से डाक्टर की टीम

श्रीमती संपत बाई श्रीवास्तव ने  नेत्रदान कर क्षेत्र में मिसाल कायम की,  नेत्र संकलन करने कोटा से डाक्टर की टीम

ताल ब्यूरो चीफ शिवशक्ति शर्मा

गुरुवार सुबह समीपस्थ ग्राम आक्या कला ग्राम में शिक्षक राधे श्याम श्रीवास्तव एवं मनोहर लाल श्रीवास्तव की माताजी संपत बाई श्रीवास्तव का आकस्मिक निधन हो गया। संपत बाई का पूरा परिवार शिक्षा सेवा में कार्यरत है । उनके पति स्वर्गीय बालाराम श्रीवास्तव भी शिक्षक थे।प्रारंभ से ही परिवार में सामाजिक कार्यों को लेकर जागरूकता रही है । समाचार पत्रों से प्रेरित होकर माताजी संपत बाई ने अपने नेत्रदान की इच्छा दोनों बेटों को बता रखी थी। संपत बाई के निधन होते ही, शासकीय शिक्षा सेवा में कार्यरत दोनों बेटों राधेश्याम-मनोहर लाल ने माता जी की इच्छा के अनुसार उनके नेत्रदान करने के लिए तुरंत ही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र अमित अग्रवाल चौमहला, कुंज बिहारी निगम और चित्रांश वेलफेयर सोसाइटी,गंगधार के नरेश निगम को नेत्रदान करवाने के लिए कहा। परिवार की ओर से सहमति मिलते ही सबसे पहले, जावरा के पास के नेत्र संकलन केंद्र आगर और बड़नगर में टेक्नीशियन को नेत्रदान लेने के लिए कहा पर दोनों ही व्यक्तिगत कारणों से उपलब्ध नहीं हो सके । ऐसे में नेत्रदान संकल्पित माताजी के नेत्रदान करवाने का कार्य असंमजस में आ गया ।

एक नेत्रदान के लिए 560 किमी का रन किया पूरा-अमित अग्रवाल ने कोटा में शाइन इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़ को सारी स्थिति बतायी। सारी कोशिशें के बाद डॉ गौड़ कोटा से नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति रथ को,3 घंटे में स्वयं चला कर 280 किलोमीटर दूर गांव आक्याकला जावरा में जा पहुंचे और फिर 280 किलोमीटर के लिए रवाना हुए और कुल 560 किमी की दूरी पूरी की।

डॉ गौड़ ने नेत्रदान लेने के बाद उपस्थित जनसमूह को, नेत्रदान के बारे में सभी जरूरी जानकारी दी, और मौके पर ही सभी नेत्रदान से जुड़ी भ्रांतियों का निवारण किया और शोकाकुल परिवार के सदस्यों को संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र और नेत्रदानी गौरव पट्टिका भेंट की । नेत्रदान के इस कार्य में संस्था के शहर संयोजक कमलेश दलाल और संजय विजावत का भी सहयोग रहा।

गुरुवार को दोपहर में उनके निवास से शवयात्रा निकली। चंबल नदी स्थित मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र राधेश्याम श्रीवास्तव एवं मनोहर लाल श्रीवास्तव ने मुखाग्नि दी। मुक्तिधाम पर शोकसभा आयोजित करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

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