जीवन में मनुष्य अपने कर्म से महान बनता हैं -स्वामी ज्ञानानंद जी
श्री भेरूजी महाराज के नवनिर्मित शिखर पर स्वर्ण कलाशारोहण महोत्सव का समापन..
राहुल रत्नावत (संस्कार दर्शन)
भेसौदा।
ग्राम भैंसोदा में विराजित रत्नावत गोत्र के श्री भेरुजी महाराज देवस्थान के नवनिर्मित शिखर पर स्वर्ण कलशारोहण महोत्सव का तीन दिवसीय सामूहिक पूजन एवम् महाआरती का कार्यक्रम गुरुवार को समापन हो गया।पूर्णिमा के अवसर पर भेरूजी महाराज मंदिर पर स्वर्ण कलश महोत्सव के पुर्व अनंत श्री विभूषित जगतगुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी श्री श्री १००८ ज्ञानानंद जी तीर्थ महाराज एवम् ज्योतिमठ भानपुरा पीठ के सेवको के साथ रत्नावत परिवार ने नगर के शिव मंदिर से भेरूजी देव स्थान तक शोभायात्रा निकाली। इस शोभायात्रा का जगह -जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।पूरे नगर में उत्साह के साथ लोगो ने महाराज श्री को पुष्पहार वी पुष्पवर्षा करते हुए आशीर्वाद लिया।वही युवक, महिलाएं एवम युवतियां धार्मिक भजनों की धुन पर नृत्य करते हुए आगे चल रहे थे। इस पावन अवसर पर श्री स्वामी ज्ञानानंद जी तीर्थ के सानिध्य में अमृतमय आशीर्वचन भी हुए।इसमें स्वामी जी ने कहा की,मनुष्य अपने जीवन में कर्म से महान बनता हे। जैसे किसी खदान में से रत्न प्राप्त करना हो तो उसे अनेक प्रकिया से गुजना पड़ेगा। तभी बहुमूल्य व अनमोल रत्न की प्राप्ति होगी।इस कार्यक्रम में स्वामी जी का सम्मान क्षेत्रीय विधायक चंदरसिंह सिसोदिया तथा राजेश सेठिया नपा अध्यक्ष, गरोठ एवम् गायत्री अजय पौराणिक नपा अध्यक्ष भैसोदा एवं त्रिलोक पाटीदार ने किया।दोहपर ठीक बारह बजकर दस मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वर्ण कलशआरोहण किया गया। इसके बाद हवन की पूर्णाहुति हुई।और महाप्रसादी का वितरण किया गया।इस स्वर्ण कलश के मुख्य जजमान वासु -सुंदर रत्नावत ढलमुवाला एवं ध्वजा के लाभार्थी रत्नावत परिवार मालिया वाला तथा प्रसादी के लाभार्थी दीपक रत्नावत भोपाल से रहे।यज्ञ तथा विभिन्न मंत्रोच्चार का आयोजन आचार्य प्रथम भारद्वाज के सानिध्य में विद्वान पंडितो ने संपन्न करवाया।
कार्यक्रम के अवसर पर देव स्थान समिति के अध्यक्ष कमलेश रत्नावत का रत्नावत परिवार मालिया वाला के द्वारा सम्मान किया गया। समिति के सदस्य कैलाश नारायण रत्नावत, कमलेश रत्नावत, बालकृष्ण रत्नावत,घनश्याम रत्नावत, निलेश रत्नावत, चेतन रत्नावत, राधेश्याम रत्नावत,मुकेश रत्नावत,वासु रत्नावत, घनश्याम रत्नावत, रामनिवास रत्नावत, रामप्रसाद रत्नावत, नंदकिशोर रत्नावत, विजय रत्नावत राहुल रत्नावत बाजखेड़ी एवम् समस्त रत्नावत गोत्रीय परिवार बड़ी संख्या में राजस्थान,गुजरात एवम् मध्यप्रदेश से उपस्थित रहे।