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पं. दशरथभाईजी के मुखारविन्द से भगवान श्री कृष्ण का जनम वृतान्त श्रवण कर आनंदित हुए धर्मालुजन

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मन्दसौर।  माहेश्वरी धर्मशाला में पं. श्री दशरथभाईजी के मुखारविन्द से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। स्वर्णकार समाज व नगर के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में श्रीं शांतिलालजी नानालालजी एकलिंगजी सोनी (कुलथिया) परिवार के द्वारा यह सात दिवसीय भागवत कथा आयोजित हो रही है। प्रतिदिन भागवत कथा को श्रवण करने बड़ी संख्या में धर्मालुजन कथा स्थल पहुंचकर प.पू. श्री दशरथभाईजी की अमृतमयी वाणी का धर्मलाभ ले रहे है।
श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस गुरूवार को प.पू. श्री दशरथभाईजी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म वृतान्त श्रवण कराया। आपने भगवान श्री कृष्ण के जन्म के पूंर्व मथुरा व पुरे आर्यवृत्त की स्थिति बताते हुए कहा कि कृष्णजी के जनम के पूर्व मथुरा में कंस के अत्याचारों से प्रजा पीड़ित थी। कंस ने अपने पिता उम्रसेनजी को मथुरा के कारागृह में बंदी बनाकर रखा था। कंस का ससुर मगध नरेश जरासंघ भी अपने प्रजा पर तरह तरह के अत्याचार करता था। इन दोनों दुष्ट प्रवृत्ति के शासकों के कारण पूरा आर्यावृत्त भय एवं दुख के साये में था कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से कर दिया था लेकिन यह ज्ञात होने पर की उसकी आठवी संतान मेरा काल बनेगी और उसी के हाथों मेरी मृत्यु होगी यह जानने के बाद अपनी बहन व बहनोई को कंस ने मथुरा के कारागृह में बंदी बनाकर रख दिया और उसने बहन व बहनाई की सात संतानों की निर्दयता से भूमि पर पटक-पटक कर हत्या कर दी। ऐसे दुष्ट व्यक्ति को दंडित करने के लिये भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुए । उनके जन्म होते ही कारागृह के दरवाजे खूल गये। वासुदेव ने बाल गोपाल कृष्णजी को अपनेे मित्र नंद के यहां गोकुल में छोड़ दिया। उसके लिये उन्होनंे यमुना नदी को पार की। पं. दशरथभाईजी के मुखारविन्द से कृष्ण जन्म का यह सार सुन धर्मालुजन हर्षित हो उठे। सोनी परिवार के नन्हें बालक को कृष्ण को कृष्णजी के स्वरूप में जब कथा पाण्डाल लाया गया तो कृष्णजी के जयकारे गुंज उठे। नन्हें बालक व वासुदेव पर पुष्प की वर्षा की गई। कथा पाण्डाल में मौजूद धर्मालुजनों ने एक दूसरे को बधाई दी।
जीवन में मुस्कुराहट का महत्व समझे- पं. दशरथभाईजी ने कहा कि छोटी-छोटी बातों पर मूंह फूलाना, ठिक बात नहीं है। जीवन में आये हो तो मुस्कराकर जीयो। आपकी मुस्कुराहट आपकी सुन्दरता बड़ाती है। जहां भी रहे मुस्कुराहट के साथ जीये। प्रभु को धन्यवाद दे कि उन्होनंे आपको पृथ्वी पर मनुष्य भव में पैदा किया है।
भविष्य की चिंता में वर्तमान को खराब मत करो- संतश्री ने कहा कि कल क्या होगा, मेरा काम धंधा कैसा चलेगा इसकी चिंता करके वर्तमान समय को खराब मत करो। भविष्य की चिंता में वर्तमान को खराब करना कोई समझदारी नहीं है।
इन्होंने किया पौथी पूजन- भागवत कथा के चतुर्थ दिवस सुवासरा विधायक व प्रदेश के पूर्व मंत्री श्री हरदीपसिंह डंग ने पहुंचकर संतश्री का स्वागत किया। और अपने विचार रखे। इस अवसर पर बीसा पोरवाल समाज के मोहनलाल रिछावरा, सुभाष रिछावरा, महेश पोरवाल, अमृतकुमार पोरवाल, पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल, पूर्व नपा उपाध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल, प्रो. राधेश्याम सोनी, महेश सोनी सम्राट, दीपक सम्राट, मांगीलाल सोनी, गोरर्धननाथ मंदिर के राधाकिशन पारिख, श्री स्वर्णकार समाज महिला मण्डल की पदाधिकारियों व सदस्यों ने भागवत पौथी का पूजन किया। इन सभी का स्वागत अजय सोनी, अशोक सोनी, मनीष सोनी लाला, वैभव सोनी आदि ने दुपट्टा ओड़ाकर किया।
इन्होंने की पौथी की आरती– भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा के समापन पर खाटू श्याम मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्री शिवकरण प्रधान, जिला रेडक्रास सोसायटी के चेयरमेन प्रीतेश चावला, कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामत्री महेन्द्रसिंह गुर्जर, नपा सभापति दीपमाला रामेश्वर मकवाना, कांग्रेस नेता मनजीतसिंह मनी ने भागवत पौथी की आरती की। इन सभी स्वागत कथा आयोजक परिवार की ओर से स्वर्णकार समाज जिलाध्यक्ष व स्वर्णकला बोर्ड के सदस्य श्री अजय सोनी कॉलोनाईजर के द्वारा किया गया।

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