आध्यात्ममध्यप्रदेशसीतामऊ

 खेजडिया में लगा बागेश्वर धाम सरकार का दिव्य दरबार , 15 से 20 भक्तों की हुई अर्जी स्वीकार

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खेजड़िया/ सीतामऊ । कथा के दूसरे दिन बागेश्वर धाम सरकार का दिव्य दरबार लगा जिसमें लाखों की भीड़ अद्भुत अलौकिक आश्चर्यजनक भाव से भरा अनुभव और चमत्कार देखकर हदप्रद थी। लाखों लोगों की संख्या में पंडित श्री देवेंद्र शास्त्री जी अपने इष्ट की कृपा से भक्तों की अर्जी को देखकर उन्हें नाम से बुला कर उनके दुख दर्द को बोलने से पहले ही जानकर पर्चा बना देते हैं। यह सब के लिए बहुत बड़े चमत्कार के रूप में देखा गया इसे चमत्कार ने लाखों भक्तों को बाबा बागेश्वर सरकार पंडित श्री धीरेंद्र शास्त्री जी के साथ हनुमान जी के प्रति अपना समर्पण भाव की प्रेरणा प्रदान कि। दिव्य दरबार शुरू होने से पहले पंडित श्री शास्त्री जी ने कहा कृपा पर्चे से नहीं हनुमान जी के चर्चे से मिलेगी श्री शास्त्री जी ने कहा कि मुझसे मत जोड़ो मेरे इष्ट बागेश्वर धाम से जुड़े आपने हिंदू बहन बेटियों से आह्वान करते हुए कहा कि मर जाना लेकिन धर्म परिवर्तन कभी मत करना पंडित से शास्त्री जी ने कहा कि सिर्फ परिचय लिख देने से कुछ नहीं होता है कर्म अभी करना पड़ता है जितना कर्म करोगे उतना फल मिलेगा आपने कहा कि बालाजी पर भरोसा रखो सब उन पर छोड़ दो फिर तुम्हें कही भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी आपने कहा कि यहां आना कथा करना दरबार लगाना यह सब तो बहाने असलियत में तो आपको हनुमान जी से जोड़ना है श्री शास्त्री जी ने कहा कि हिंदुओं की तीन महत्वपूर्ण निशानियां हैं जिन्हें आप भी आज से पालन में ले आए माथे पर तिलक घर के बाहर भगवा ध्वजा और जीभ पर जय श्रीराम होना चाहिए।

श्री हनुमान कथा के दूसरे दिन लगभग 3 लाख से अधिक संख्या में भक्तों का मेला देखा गया भक्ति के सैलाब में बालाजी के जयकारों से गुंजायमान रहा। कथा में विशेषता देखने को यह रही कि कथा पांडवों के अलावा बाहर भी लोग भगवान की भक्ति के प्रति समर्पित भाव में रमते नजर आए। कथा के दूसरे दिन दिव्य दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सुबह 4 बजे से ही लोगों का आगमन होने लगा था । इस अवसर पर दिव्य दरबार में सुवासरा केसरपुरा हरिपुरा नाहरगढ़ मनासा सीतामऊ आगर मालवा उज्जैन नागदा सहित 15 से 20 भक्तों के नाम सहित बाबा बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने पर्चे में उनके दुख दर्द की बात लिख दी और उसका समाधान बताया। दिव्य दरबार के दौरान अधिकारी हो या जनप्रतिनिधि सभी बाबा के देव दरबार में एक आम आदमी की तरह नजर आए और बालाजी महाराज की जय कारण उससे पांडाल गूंजता रहा।

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