अपनी बेटी को सजने संवरने भेजो, चंद्रमुखी बनाओं पर उसे ज्वाला देवी भी बनाओं ताकि कोई भी आंख उठाकर नहीं देख सके- संत श्री नागर जी


इस अवसर पर संत श्री मिथिलेश जी नागर ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम गोगाजी के वंशज हैं। गोगाजी सनातन के रक्षक है। गोगाजी महाराज ने मोर पंख छड़ी को धारण किया है। मोर पंख बहुत पवित्र है। मोर के अश्रु से मोरनी गर्भ धारण करती है। ऐसे मोर का पंख भगवान श्री कृष्ण ने मुकुट पर एवं गोगाजी महाराज ने छड़ी पर धारण किया है।
संत श्री ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का आह्वान करते हुए कहा कि आज गोगाजी महाराज कि जयंती है। इस अवसर पर हम एक पेड़ लगाने और स्वच्छता का वातावरण बना सकते हैं यह भाव हमारे मन में होना चाहिए।
संत श्री ने कहा कि हम सामाजिक समरसता जुड़ कर समाज को एक साथ रहने का कार्य करना है। अभी संभा में निर्णय लिया है कि संत जन अब दुधोनाओ पूतों फलो का आशीर्वाद नहीं चार बच्चे का आशीर्वाद देते हैं। चार बच्चे का पालन नहीं कर सकते हैं। तो दो बच्चे मुझे दे देना एक बच्चा देश कि रक्षा करने और दुसरा संत जन कि सेवा में रहेगा। हमें जो मनुवादी सोच है ऊंच नीच भेदभाव से हटकर मानवता से जुड़ना होगा।
आपके अपने बस्ती घर में जब संत आते है तो एक बुराई मदपान आदि जो भी हो त्याग करने का संकल्प होना चाहिए। अब कमर कसकर तैयार रहने का समय आ गया है। हमें हमारे समाज राष्ट्र के प्रति एकजुट होना पड़ेगा। अपनी बेटी को सजने संवरने भेजो, चंद्र मुखी बनाओं पर उसे ज्वाला देवी भी बनाओं ताकि कोई विधर्मी आंख उठाकर नहीं देख सके।
