खड़ावदा ग्राम से लगभग 4 किलोमीटर दूर नदी के किनारे दाह संस्कार हो रहे
खड़ावदा ग्राम से लगभग 4 किलोमीटर दूर नदी के किनारे दाह संस्कार हो रहे
खड़ावदा निप्र-1 अक्टूबर 2025 को हमारे स्वजन के दाह संस्कार में खड़ावदा जाने का अवसर मिला । यहां का मरघट देखकर कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है कि यह स्थान मृत व्यक्तियों को जलाने के लिए अधिकृत है। जहां जगह ठीक लगे जला आओ।
खड़ावदा में क्या ऐसी कोई समाजसेवी संस्था नहीं है जो अन्य मुक्तिधामों से प्रेरणा लेकर किसी अन्य शासकीय स्थान को श्मशान के लिए शासन से स्वीकृति लेकर सर्वसुविधायुक्त मुक्तिधाम के लिए कार्य कर सके।
खड़ावदा ग्राम से लगभग 4 किलोमीटर दूर नदी के किनारे जाकर अब तक दाह संस्कार हो रहे हैं। सुविधा के नाम पर 0 पेसिलिटी । टेक्टर की ट्रालियों में मृत परिजन व दागियों को बिठाकर ले जाने का अद्भुत दृश्य मैनें अपने जीवन मे पहली बार देखा। रास्ते मे कांटो की झाड़ियां से बचकर उबड़ खाबड़ टेक्टर की यात्रा का अनुभव अगर किसे लेना हो तो एक बार खड़ावदा के दाह संस्कार में अवश्य जाइये। वहां पहुँचने पर ऊपर वाले कि कृपा बनी रही तो ठीक वरना बारिश से बचने के लिए दूर दूर तक न कोई झोंपडी न सिर छिपाने का कोई साधन।
गांव के बड़े बड़े धनाढ्य सेठ लोगों , गांव की समाजसेवी संस्थाओं का ध्यान आज तक मानव मुक्ति विकास के लिए क्यों नहीं गया विचारणीय है।
कई लोग तो अपने परिजनों को खेत ,कुएं पर जलाकर छत्री बनाकर व्यर्थ खर्चा करते है तो क्या आप सब मिलकर सार्वजनिक मुक्तिधाम को सर्वसुविधायुक्त बनाकर आने वाले समय को बदल नहीं सकते ?


