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उज्जैन में किसानों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी, मृतक किसानों के खाते से भी निकाली राशि

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उज्जैन जिले में 700 से अधिक किसानों के साथ केसीसी किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया है। खास बात यह है कि दोनों ही मामले जिला सहकारी केंद्रीय बैंक एवं सेवा सहकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

जिले की घटिया तहसील में पहले 79 लाख रुपये का गबन किसानों के नाम पर फर्जी खाते खोलकर किया गया था। इसके बाद अब जिले के 700 किसानों के केसीसी खातों में हेरा फेरी की गई। इस मामले को लेकर किसानों ने शुक्रवार को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक उज्जैन के सामने हंगामा किया।

आईए जानते हैं पूरा मामला…

एमपी के उज्जैन जिले एवं तहसील की लेकोड़ा सेवा सहकारी संस्था के सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत निशिकांत चव्हाण द्वारा किसानों को राशि कम देने और बिना बताए राशि निकालने का मामला सामने आया है। किसानों ने आरोप लगाया कि चव्हाण ने किसानों के ऋण से चार गुना अधिक ऋण निकला लिया। मामला तब सामने आया जब किसान बैंक में ऋण लेने पहुंचे तो पता चला की पहले से किसानों का ओवर ड्यू चल रहा है।

किसानों की मांग पर बैंक से किसानों के स्टेटमेंट निकाले गए तो किसानों के पैरो से जमीन खिसक गई। दो किसानों की मौत के बाद राशि निकाल ली गई। कई किसानो की लोन राशि जमा होने के बाद भी उनके खाते में लाखों रुपए की ड्यू राशि दिखा रहा है। किसानो ने आरोप लगाया कि सेक्रेटरी निशिकांत चव्हाण 700 किसानों से 8 करोड़ रुपए का गबन कर फरार है।

मृतक किसानों के खातों से भी लाखो रुपए निकाले किसानो ने बताया कि 20 वर्ष से लेकोड़ा में आरोपी निशिकांत काम कर रहा था, उसने सभी का विश्वास जीतकर गबन को अंजाम दिया। यही नहीं दो मृतक किसानों को भी नहीं छोड़ा उनके खाते से भी लाखों रुपए निकाल लिए।किसान सालिग्राम सावंत की दो वर्ष पहले मौत हो चुकी है। उनके खाते को भी नहीं छोड़ा , उनके अकाउंट से 2 लाख 99 हजार रुपए निकाल लिए। इसी तरह मृतक चिंतामन पटेल के खाते से डप लाख रुपए का लोन निकाल लिया गया।

जवासिया के रहने वाले किसान सुरेश पटेल 2022 में 22 हजार रुपए जमा करने के बाद आज बैंक में देखा तो पता चला कि 45761 रुपए अभी और देना है,सुरेश की माँ लीला बाई भी 2018 में ऋण के 25000 भर चुकी है इसके बाद भी 50211 रुपए ड्यू बताया जा रहा है। इसी तरह मनोज पटेल 95 हजार लिए उसके एवज में 234241 रुपए शेष बता रहा है जबकि मनोज सभी ऋण चुकता कर चुके है।

लेकोड़ा के रहने वाले सुनील पटेल के दो एकाउंट थे पहले से 71 हजार लिए दूसरे एकाउंट से 45 हजार लिए। पहले वाले में 1 लाख 58 हजार 760 रुपए और दूसरे में 2लाख 95 हजार 348 रुपए बैंक में जमा होना शेष बता रहा है।

सेक्रेटरी के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई मामले अब तक एफआईआर दर्ज नहीं होने और किसानों को सही जानकारी उपलब्ध नहीं करवाने को लेकर किसानो ने जिला सहकारी बैंक की भरतपुरी शाखा में प्रदर्शन किया। इसके बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है। किसानो के बीच बैंक के एमडी विशेष श्रीवास्तव पहुंचे तो उन्हें भी किसानो ने घेर कर खरी खोटी सुना दी।

सेक्रेटरी पर कार्रवाई नहीं होने पर किसानो ने किया हंगामा
शुक्रवार को बैंक खुलते ही किसानों ने जिला सहकारी बैंक की भरतपुरी शाखा में पहुंचे। यहाँ मुख्य द्वार पर बैठकर जमकर नारेबाजी की। किसानो ने आरोप लगाया कि सेकेरेट्री के साथ बैंक के अन्य कर्मचारी भी धोखाधड़ी में शामिल है। सभी एफआईआर कर हमारे ड्यू को बैंक द्वारा ख़त्म किया जाए।

किसानों ने सेक्रेटरी की संपत्ति कुर्क करने की मांग की
सेवा सहकारी संस्था लेकोड़ा में लगभग किसानों से करोड़ों रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में किसानों ने सहकारी संस्था के एमडी से मांग की कि लेकोड़ा के प्रबंधक की संपत्ति कुर्क कर किसानों की राशि वापस दिलवाई जाए। सैकड़ों किसान भारतीय किसान संघ के बैनर तले भरतपुरी स्थित सेवा सहकारी संस्था के कार्यालय पर जमा हुए और लेकोड़ा के प्रबंधक निशिकांत चह्वाण पर सख्त कार्रवाई की मांग की। एमडी द्वारा संतोषप्रद जवाब नहीं देने पर काफी देर हंगामा हुआ।

इसके पूर्व जिले की घटिया तहसील में स्थित जिला सहकारी बैंक की घटिया शाखा में भी 79 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया था। बैंक में 17 फर्जी खाते खोले गए थे। इन खातों में अन्य मद की राशि ट्रांसफर की गई थी। जमा की गई रकम को अलग-अलग तारीख को निकाला गया है।

गबन का मामला सामने आने के बाद केंद्रीय बैंक प्रबंधन ने जांच कमेटी का गठन किया गया था। इसमें पाया गया था कि बैंक के तत्कालीन तीन ब्रांच मैनेजर शिव हरदेनिया और महेशचंद्र राठौर और अर्जुनसिंह भूमिका भी इसमें है। कमेटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ब्रांच मैनेजर सहित 6 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके अलावा आपरेटर कैलाशचंद्र चौधरी की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी।
मामले में 21 सितंबर को पुलिस ने जाटवा की शिकायत पर तत्कालीन ब्रांच मैनेजर शिव हरदेनिया, महेशचंद्र राठौर, अर्जुनसिंह के अलावा आपरेटर कैलाशचंद्र चौधरी, बैंक कर्मचारी सत्येंद्र शर्मा, सुमरेसिंह परिहार, कन्हैयालाल, महेश बाबू के खिलाफ धारा 420, 406, 408, 409, 467, 468, 471, 201 के तहत केस दर्ज किया था।

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