भगवान की कथा और उनका गुण गान अमृत के समान होता है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
शनिवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और नंद बाबा उन्हें गोकुल में छोड गये थे जहां माता यशोदा ने उनका पालन पोषण किया। वहां भगवान श्रीकृष्ण की बासुरी की आवाज सुनकर सभी गोपीयां मंत्रमुग्ध हो जाया करती थी और भगवान की भक्ति में लीन हो जाती थी। संतश्री ने बताया कि भगवान की भक्ति और उनका गुणगान हमारे लिए अमृत के समान होता है। आपने कहा कि भगवान की कथा श्रवण करने से मात्र से ही पापों का नाश होता है वहीं शास्त्रों के अनुसार कथा दान को सर्वोच्च दान माना गया है।
आपने बताया कि कथा सुनने विकार दूर होते है और जीवन में मंगल होता है। श्रीकृष्ण की लीलाओ की वर्णन करते हुए ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि भगवान की लीलाएं अपरम्पार है, उन्होने मात्र 6 दिन की आयु में उन्होने राक्षसनी का वध कर दिया हम ऐसा करते सकते है क्या.. ? इसलिए कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जो किया वो कभी मत करों उन्होने जो उपदेश दिये उनको अपनी जीवन में उतारो। धर्मसभा मे संतश्री ने भजन दर्शन श्याम का करने जोगी आया करने….. भी गाकर सुनाया।
धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई और प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, मदनलाल गेहलोत, प्रहलाद काबरा, प्रवीण देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, पं शंकरलाल त्रिवेदी, पं शिवनारायण शर्मा, राव विजयसिंह, घनश्याम भावसार, शिवशंकर सोनी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।