आध्यात्ममंदसौर

ज्ञान के साथ विज्ञान भी आवश्यक है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
शुक्रवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि शरीर को कुछ भी हो तो दर्द आत्मा को होता है ऐसा अहसास हमें होता है लेकिन ऐसा नहीं है यह सब मन का खेल है। आत्मा तो निश्चल है आत्मा को कोई दर्द कोई दुख नहीं होता है। आपने कहा कि अपनी आत्मा में परमात्मा को देखों। शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मनुष्य की आत्मा में परमात्मा विराजित है। बस हमें ज्ञान होना आवश्यक है वहीं ज्ञान के साथ विज्ञान भी होना चाहिए क्योंकि विज्ञान प्रेक्टिकल होता है। जीवन में सिर्फ ज्ञान से कुछ नहीं होगा विज्ञान भी बेहद आवश्यक होता है।
आपने कहा कि हमारा मन ज्यादादेर तक किसी पर टिकता नहीं है। हमारे मन का स्वभाव चंचल है। इसलिए शरीर और आत्मा तो स्थिर रहते है लेकिन मन चलायमान रहता है और जो व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर लेता है वह सभी कुछ पा सकता है।
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि भगवान का रूप सच्चिदानंद होता है जिसमें सच, चित्त और आनन्द तीनों होते है। हम सभी भी भगवान के सच्चिदानंद स्वरूप की ही पूजा करते है। आपने बताया कि हमें भगवान की पूजा और भक्ति एक बालक के समान करना चाहिए जिसे मान सम्मान से कोई फर्क नहीं पडता है। धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण की स्तुति के बाद आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरण किया गया।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, मदनलाल गेहलोत, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, घनश्याम भावसार, जगदीश गर्ग, बालकृष्ण चौधरी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

 

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