आध्यात्मदलौदामंदसौर जिला

आधी दाढ़ी रखना हिंदू संस्कृति में नहीं है,हिंदू संस्कृति की पहचान धोती, चोटी, तिलक है- पंडित भीमाशंकर शास्त्री

keeping half beard is not in hindu culture

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गुरुवार को कथा विश्राम, महा आरती पश्चात महा प्रसादी स्वरूप भंडारा होगा

कुचड़ौद (दिनेश हाबरिया) आज के लोगों को माथे पर कुमकुम चंदन का तिलक लगाने में शर्म आती है। जिन महिलाओं के माथे पर बिंदी है, वह सौभाग्यवती है। जिनके माथे पर बिंदी नहीं है, वह कल्याणी है। यह बात जोगी खेड़ा में अंबा माता मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा के छटे दिवस पंडित भीमाशंकर शर्मा (शास्त्री) ने कही। आपने कहा आधी दाढ़ी रखना हिंदू संस्कृति में नहीं है। पर आजकल के युवा दाढ़ी सेट करवाते हैं। दाढ़ी रखना अन्य संस्कृति की पहचान है। हिंदू संस्कृति की पहचान धोती, चोटी, तिलक है। दाढ़ी रखो तो पूरी रखो, चोटी रखो, माथे पर तिलक लगाओ। पंडित शास्त्री ने व्यासपीठ से हिंदुओं को तिलक लगाने का आह्वान किया। कहा हिंदू हो तो संकल्प लो, घर से तिलक लगाकर ही बाहर निकलोगे। आजकल ऐसी फैशन चल गई है कि पता ही नहीं चलता कि आप कौन सी संस्कृति से हैं।

पर याद रहे बालाजी का सिंदूर लगा रखा हो, तो शयन से पहले सिंदूर का तिलक मिटा देना चाहिए। आपने कथा में गोवर्धन पर्वत, रासलीला, कंस वध, कालयवन वध एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग पर विस्तार से वर्णन किया। गोवर्धन पर्वत की लीला बताते हुए कहा श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिन, आठों पहर अपनी उंगली पर धारण किया था। जिसके बाद श्री कृष्ण भगवान को छप्पन तरह के व्यंजन परोसे थे। तब से भगवान को छप्पन भोग लगाने की प्रथा चली। गुरुवार को भागवत कथा विश्राम के साथ महाआरती होगी। पश्चात महा प्रसादी स्वरूप भंडारा होगा। भागवत कथा श्रवण के लिए गांव सहित अंचल के दर्जनों ग्राम के भक्तगण उपस्थित रहे।

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