मंदसौरमंदसौर जिला
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारो मठ संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ते है-श्री पुरोहित

जिला ब्राह्मण समाज ने आदि शंकराचार्य जयंती मनाई
मंदसौर। जिला ब्राह्मण समाज द्वारा शंकराचार्य जयंती मनाई गई। जिलाध्यक्ष पं. दिलीप दुबे ने बताया की आदि शंकराचार्य जयंती ब्राह्मण समाज द्वारा मनाई गई । सभी समाज बंधु प्रातः 10 बजे पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे तथा गर्भगृह परिसर में विराजित आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा का पूजन अर्चन कर अभिषेक किया तथा माल्यार्पण कर सभी बंधुओ द्वारा आरती कर जयंती मनाई गई तथा आरती पश्चात प्रसाद वितरण की गई।
इस अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन पर प्रकाश डालते हुए डॉ. क्षितिज पुरोहित ने कहा की आदिगुरु शंकराचार्य अत्यंत बाल्यावस्था में ही दक्षिण भारत से अपने गुरु की खोज और ज्ञान की प्राप्ति के लिए ओंकारेश्वर आ गए थे जहां उन्हें कड़ी तपस्या के पश्चात गुरु और ज्ञान की प्राप्ति हुई। डॉ.क्षितिज ने बताया कि मात्र 32 वर्ष की आयु में आदि गुरु शंकराचार्य ने पूरे देश का पैदल भ्रमण करते हुए चार पीठ स्थापित किया जो सदियों से भारत की सनातन संस्कृति की लौ को प्रज्वलित किए हुए हैं। श्री पुरोहित ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य जी ने चारों मठों को स्थापित की और उनके संचालन हेतु जिस तरह की पद्धति प्रदान की वह संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने की भावना से अभिप्रेरित होकर हम सबके सामने उदाहरण के रूप में प्रस्तुत है। उन्होंने बताया कि जब आदिगुरु शंकराचार्य ओंकारेश्वर में जब अपनी तपस्या कर रहे थे उसे दौरान मां नर्मदा के उफान पर आने के बाद उन्होंने मां नर्मदा के किनारे खड़े होकर तत्काल एक नर्मदा स्तवन की रचना की और उनके स्तवन से मां नर्मदा का उफान सामान्य रूप में आ गया। ऐसे भगवान आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट की प्रतिमा ओंकारेश्वर में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित की गई है जो अद्भुत और दर्शनीय है। आज पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी की जयंती पर कोटि-कोटि प्रणाम।
कार्यक्रम में पं. सुनील व्यास ने भी अपने विचार रखते हुए आदि शंकराचार्य जी के चारो मठों के बारे में विस्तार से समाज बंधुओं को अवगत कराया इस अवसर पर सर्वश्री पं. दिलीप दुबे, क्षितिज पुरोहित, सुनील व्यास, अनिल ओझा, ब्रजेश बिरथरे, नरेंद्र शर्मा, कमलेश नागदा, कपिल परालिया, दीपेश तिवारी, राकेश भट्ट, कैलाश भट्ट, सुनील पंचारिया, राजेश शुक्ला, गौरव शर्मा, आचार्यजी, सहित कई ब्राह्मण समाज के बंधु उपस्थित थे। उक्त जानकारी सुनील पंचारिया ने दी।
इस अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन पर प्रकाश डालते हुए डॉ. क्षितिज पुरोहित ने कहा की आदिगुरु शंकराचार्य अत्यंत बाल्यावस्था में ही दक्षिण भारत से अपने गुरु की खोज और ज्ञान की प्राप्ति के लिए ओंकारेश्वर आ गए थे जहां उन्हें कड़ी तपस्या के पश्चात गुरु और ज्ञान की प्राप्ति हुई। डॉ.क्षितिज ने बताया कि मात्र 32 वर्ष की आयु में आदि गुरु शंकराचार्य ने पूरे देश का पैदल भ्रमण करते हुए चार पीठ स्थापित किया जो सदियों से भारत की सनातन संस्कृति की लौ को प्रज्वलित किए हुए हैं। श्री पुरोहित ने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य जी ने चारों मठों को स्थापित की और उनके संचालन हेतु जिस तरह की पद्धति प्रदान की वह संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने की भावना से अभिप्रेरित होकर हम सबके सामने उदाहरण के रूप में प्रस्तुत है। उन्होंने बताया कि जब आदिगुरु शंकराचार्य ओंकारेश्वर में जब अपनी तपस्या कर रहे थे उसे दौरान मां नर्मदा के उफान पर आने के बाद उन्होंने मां नर्मदा के किनारे खड़े होकर तत्काल एक नर्मदा स्तवन की रचना की और उनके स्तवन से मां नर्मदा का उफान सामान्य रूप में आ गया। ऐसे भगवान आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट की प्रतिमा ओंकारेश्वर में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित की गई है जो अद्भुत और दर्शनीय है। आज पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी की जयंती पर कोटि-कोटि प्रणाम।
कार्यक्रम में पं. सुनील व्यास ने भी अपने विचार रखते हुए आदि शंकराचार्य जी के चारो मठों के बारे में विस्तार से समाज बंधुओं को अवगत कराया इस अवसर पर सर्वश्री पं. दिलीप दुबे, क्षितिज पुरोहित, सुनील व्यास, अनिल ओझा, ब्रजेश बिरथरे, नरेंद्र शर्मा, कमलेश नागदा, कपिल परालिया, दीपेश तिवारी, राकेश भट्ट, कैलाश भट्ट, सुनील पंचारिया, राजेश शुक्ला, गौरव शर्मा, आचार्यजी, सहित कई ब्राह्मण समाज के बंधु उपस्थित थे। उक्त जानकारी सुनील पंचारिया ने दी।