कालिका कि पूजा अर्चना कर अफीम की लुनी -चिरनी हुई प्रारंभ, किसान रोजड़ो आदि से फसल को बचाने कि कर रहे जतन

कालिका कि पूजा अर्चना कर अफीम की लुनी -चिरनी हुई प्रारंभ, किसान रोजड़ो आदि से फसल को बचाने कि कर रहे जतन
मोहन सेन कछावा

बेटे कि तरह करते पालन –
उसके साथ में ही चोरों नीलगाय से बचाव के लिए रात्रि में रात्रि जगा करते हैं। खेत के चारों तरफ लाइटे लगाई जाती है सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाते हैं खेत के चारों तरफ लोहे की जलियां लगते हैं और अफीम के पारियों में डोरियों बांधा जाता है ताकि अफीम के पौधे मे ङोङा आने पर नीचे ना झुके और जमीन पर ना गिरे इसके लिए किसान भाई परफेक्ट मजदूरों से लगवाते हैं ।
अफिम की लुनी चिरनी पर कालिका माता की पूजा –
फसल में ङोड़े कंप्लीट होने के बाद सर्वप्रथम मां काली का जो काले सोने की देवी है उसकी पूजा अर्चना की जाती है विधि विधान से बैंड बाजे ढोल धमाका के साथ में और उसके बाद में पांच ङोड़ों को बांधकर उसमें चीरा लगाकर चिराई का शुभारंभ होता है घोड़े पर दूध आता है जो रात में अफीम बन जाता है फिर दूसरे दिन प्रातः गर्मी न पड़े उससे पहले पहले उसकी लूणी छरपरा से परफेक्ट मजदूरों से की जाती है और फिर उनकी रखवाली के लिए जब तक अफीम का तोल नहीं होता है सरकार अफीम नहीं लेती वहां तक उसकी रखवाली खेत और घर पर दिन रात करते हैं तोता अफीम के दौड़े ज्यादा खाते हैं नीलगाय रोजङे ज्यादा खाते हैं तो उनके बचाव के लिए खेत के ऊपर भी नायलोन की जाली लगते हैं और खेत के चारों तरफ भी लोहे की जालियां लगते हैं ।
किसानों कि मांग अफिम का मुल्य 50 हजार रु प्रति किलो मिलें –
किसानों ने बताया कि अफीम की फसल को बड़ा करना में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं इसलिए सेंट्रल गवर्नमेंट को भी चाहिए अफीम का जो भाव है उसको 50000 रुपए प्रति किलो कर दिया जाए तो किसान भाई आराम में रहेंगे और डोङा चुरा भी अफीम तोल के साथ ही स्टेट गवर्नमेंट उसको ले ले तो यह डोडा चौराहे का जो खेल चलता है वह भी बंद हो जाएगा युवा पीढ़ी भी ङोड़ा चूड़ा और इसमेंक ब्राउन शुगर हेरोइन के नशे के जो दुष्परिणाम होते हैं उससे बच जाएगे उनका जो परिवार है वह भी आराम में रहेगा और बर्बाद होने से बच जाएंगे।