आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश

सभी समस्याओं का समाधान तत्काल हो जायेगा यदि व्यक्ति के मन से ‘आई’ अर्थात ‘मैं’ का अहंकार-अभिमान छूट जाये

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वैश्विक ग्रंथ गीता का सिद्धांत अद्भूत है
हंस की तरह दूध रूपी अच्छे गुणों को ग्रहण करो-पानी की तरह दुर्गुणों को दूर कर दो-पू. आचार्य रामदयालजी महाराज
मन्दसौर। धर्मधाम गीता भवन में आयोजित गीता जयंती महोत्सव के चतुर्थ दिवस गीता प्रवचन माला व्याख्यान में व्यास पीठासीन शाहपुरा धाम पीठाधीश्वर पूज्य आचार्य श्री रामदयालजी महाराज ने गीता के आधार पर सभी समस्याओं की जड़ अंग्रेजी अक्षर ‘‘आई’’ अर्थात ‘‘मैं’’ की व्याख्या करते हुए कहा कि आज किसी एक देश की नहीं सम्पूर्ण विश्व की समस्याओं के मूल में जो है वह है ‘आई’ अर्थात जो कुछ है सो है वह ‘मैं‘‘ हूॅ। मुझसे बढ़कर कोई नहीं। यह ‘‘मैं’’ पने का अहंकार-अभिमान ही समस्त समस्याओं की जड़ बना हुआ है। महाभारत युद्ध का मुख्य कारण दुर्योधन का ‘‘मैं’ पने का अहंकार ही था।
दूध रूपी गुणों का ग्रहण एवं पानी रूपी दुगुर्णों को दूर करो- जीवन में सुखी रहना है तो गीता का मूल सिद्धांत हंस बनकर दूध रूपी गुणों को ग्रहण करो। दुगुर्ण रूपी पानी को छोड़ दो।
श्रीमद् भागवत का मूल सिद्धांत गोकर्ण नहीं बन सको तो कोई हर्ज नहीं परन्तु धुंधुकारी बनकर बुराईयों के जाल में पड़कर नरकगामी बनने से बचो।
आंख सुधरी-जग सुधरा- दूसरों की आंख में कचरा, मच्छर आदि कुछ गिर जाये तो हमें कोई दुःख नहीं होगा  परन्तु हमारी आंख में जरा सा भी रजकण गिर जाये तो परेशान हो जायेंगे। ऑपरेशन करना पड़ेगा, इसलिये कहा है कि हमारी आई रूपी आंख सुधरी तो जग सुधरा।
एक हम सुधर गये तो समझो परिवार-समाज ही नहीं सम्पूर्ण राष्ट्र सुधर जायेगा। दूसरांे के दोष देखने से पहले शुरूआत हमें पहले स्वयं से करनी होगी।
भजन भी युक्तिपूर्वक करने से सिद्ध-सफल होगा- आचार्य श्री ने कहा कि स्वच्छंद उड़ते तोते को सोने के पिंजरे में बंद करने-प्रतिदिन केवल राम-राम रटने पर भी सुखी नहीं परेशान रहता था। कहीं से उड़कर दूसरा तोता पिंजरे पर बैठ गया। उससे बंदी तोते ने कहा मैं दिन रात राम-राम बोलता हूूूं फिर भी पिंजरे में रहने से सुखी नहीं हूॅ। तेरी तरह खुले आकाश में फिर से उड़ना चाहता हूॅ। क्या करूं ? तोते ने कहा मुर्दे की तरह थोड़ी देर सांस रोक कर गिर जाओं तो घर वाले मरा हुआ समझकर पिंजरे का फाटक खोल देंगे और तुम उड़ जाना। तोते ने ऐसी युक्ति का सहारा लिया और पिंजरे से मुक्त हो गया। इसी प्रकार भजन नाम जप भी हम गुरू की आज्ञानुसार करेंगे तो उसका फल अवश्य मिलेगा।
कर्म तो अवश्य करो परन्तु अपने लिए नहीं भगवान के लिये समझकर करो परन्तु कर्म फल के हानि-लाभ के परिणाम दुःखी-सुखी नहीं होंगे।
पूज्य आचार्य श्री का सम्मान कर आशीर्वाद लिया- पूर्व न्यायाधीश गिरीराज सक्सेना, तारकेश्वर सिंह, हेमचंद शर्मा, रघुवीरसिंह चुण्डावत, पूज्य ज्योतिषज्ञ लाड़कुंवर दीदी, हुडको डायरेक्टर बंशीलाल गुर्जर, भाजपा जिलाध्यक्ष नानालाल अटोलिया, नपाध्यक्ष रमादेवी गुर्जर, आयोजन समिति स्वागताध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल, ट्रस्ट सचिव पं. अशोक त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष विनोद चोबे, बंशीलाल टांक, शेषनारायण माली, पार्षद निलेश जैन, सत्यनारायण भांभी, सुनीता भावसार, अमन फरक्या,दीपक चौधरी, राजेन्द्रसिंह अखावत, विष्णुकुंवर मण्डलोई, प्रीति शर्मा,  विद्या राजेश उपाध्याय, अंजू तिवारी, पूजा बैरागी, रानू विजयवर्गीय, अंजू अखावत, आशा काबरा, उषा चौधरी, अनुपमा बैरागी, निर्मला माली, मंजू सैन, कांता मारोठिया, नेनकुंवर, प्रीति मण्डलोई आदि।
संचालन ट्रस्ट सचिव पं. अशोक त्रिपाठी ने किया एवं आभार ट्रस्टी बंशीलाल टांक ने माना।

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