नेषनल रेफरी सेमिनार में 15 खिलाडियों ने हासिल की नेषनल रेफरी की उपाधी
खेल में निर्णय देते समय रेफरियों का न कोई सगा होता है न कोई संबंधी होता है-श्री पुरोहित
मंदसौर। 6 जनवरी को रेवास देवडा रोड मंदसौर स्थित कौषल्या रिसोर्ट में जिला स्पोर्टस कराते एसोसिएषन मंदसौर के सहयोग एवं अंतर्राश्ट्रीय क्यूकुषिंकाई कराते एसोसिएषन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में नेषनल रेफरी सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें भारत के 15 खिलाडियों ने नेषनल रेफरी की उपाधि हासिल की। सभी अतिथियों ने नेषनल रेफरी सेमिनार में भाग लेने वाले खिलाडियों को नेषनल रेफरी प्रमाण पत्र उपाधि एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर षुभकामनाएं दी।
सेमिनार के मुख्य अतिथि दषपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष और वरिश्ठ पत्रकार नेमीचंद राठौर, अध्यक्षता जी टीवी और एबीपी न्यूज के वरिश्ठ पत्रकार मनीश पुरोहित, विषेश अतिथि टाइम्स ऑफ मंदसौर के संपादक धर्मेन्द्रसिंह रानेरा एवं दषपुर दिषा समाचार पत्र के संपादक योगेष पोरवाल थे। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत एसोसिएषन के व्यवस्था प्रभारी विजय कोठारी, गगन कुरील, सैयद आफताब आलम, असलम खान, सुनील हीवे, अषोक गहलोत, कमलेष डोसी आदि द्वारा किया गया।
इस अवसर पर दषपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष नेमीचंद राठौर ने कहा कि खिलाडियों से ज्यादा रेफरियों का काम मुष्किल होता है। रेफरी पर सबकी नजर रहती है। रेफरी के एक गलत निर्णय से पूरे खेल का पासा पलट भी सकता है। रेफरी एक मैच के दौरान खेल के नियमों की व्याख्या और लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है। वरिश्ठ पत्रकार मनीश पुरोहित ने कहा कि मध्यप्रदेष में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। रेफरी के कारण ही ताइक्वांडो जैसे कठिन खेल निश्पक्ष रूप से खेले जा रहे है। एक अच्छे रेफरी को खेल की सारी बारीकियों की पूर्ण जानकारी होना चाहिए। हार-जीत का निर्णय देते समय रेफरी यह कभी नहीं देखता कि सामने वाला कोई उसका सगा संबंधी है। उन्हें खिलाडियों के प्रदर्षन के आधार पर ही निर्णय देना पडता है। यही कारण है कि किसी भी खेल में रेफरियों और अम्पायरों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पत्रकार धर्मेन्द्रसिंह रानेरा और योगेष पोरवाल ने भी सेमिनार को संबोधित किया। स्वागत उदबोधन व्यवस्था प्रभारी विजय कोठारी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन गगन कुरील ने किया तथा आभार सैयद आफताब आलम ने माना।