पद्मश्री टिपानिया ने किताब का विमोचन किया

नफरत के खिलाफ प्रेम का संदेश
(ढाई आखर प्रेम की यात्रा से लौट कर- प्रलेसं इकाई सचिव दिनेश बसेर, हूरबानो सैफी, निखिलेश शर्मा)

इस अवसर पर जन संस्कृति का अनूठा स्वरूप सामने आया। गांधी हाल प्रांगण में नाटक, नृत्य, व्याख्यान, पोस्टर, पुस्तक, खादी वस्त्रों की प्रदर्शनी के साथ श्रम के सम्मान की अभूतपूर्व प्रस्तुति हुई। इंदौर के अलावा देवास, मंदसौर, अशोक नगर, छतरपुर, सेंधवा से आए कलाकारों, लेखकों से भरे सभागृह में देश में खादी की दुर्दशा पर चर्चा हुई। कबीर के प्रेम और भाईचारे के संदेश को सुनाया गया। आम जन द्वारा प्रस्तुत फैशन परेड ने सौंदर्य की नई परिभाषा बताई।
खादी की दुर्दशा पर प्रोफेसर कीर्ति त्रिवेदी ने खोज परक व्याख्यान में सरकार द्वारा किस तरह से खादी के स्वरूप को बदला गया है उसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खादी के नाम पर बिकने वाले वस्त्रों को उद्योगपतियों के हवाले कर दिया गया है। आजादी के अमृत काल में देश के खादी भंडारों में अब खादी मिलना बंद हो गई है। मिलों में बने पॉलिएस्टर वस्त्रों को खादी के नाम पर बेचा जा रहा है।
तत्पश्चात विख्यात भजन गायक पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया और उनके साथियों ने कबीर के भजनों की मनमोहक प्रस्तुति और व्याख्या से श्रोताओं का मन मोह लिया।
19वीं सदी में मशीनीकरण के दुष्प्रभावों से किस तरह ग्रामीण परिवार प्रभावित हुए थे उसकी भावुक प्रस्तुति “शांति की कहानी” नाटक के माध्यम से प्रस्तुत की गई।
इंदौर में चरखे से सूत कातने का प्रशिक्षण देने वाली कस्तूरबा गांधी आश्रम की पदमा ताई एवं 30 हजार महिलाओं को खादी से जोड़ने वाली बाड़मेर राजस्थान की रूमा देवी का सम्मान किया गया।
आयोजन का अंतिम कार्यक्रम फैशन शो था, जिसमें महेश्वर में निर्मित साड़ियों का प्रदर्शन उन्हीं महिलाओं द्वारा किया गया जो स्वयं साडी़यां बनाती है। हर आयु के आम लोगों ने इस परेड में भाग लेकर सौंदर्य की परिभाषा को नया रूप दिया।
कार्यक्रम में शोभा गुर्टू के गीत “रंगी सारी गुलाबी चुनरिया, मोह मारे नजरिया सांवरिया” पर अदिति मेहता ने तथा “कांटों से खींच के ये आंचल पर पिंकल ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया।
इंदौर इप्टा की अध्यक्ष जया मेहता ने बताया कि इस आयोजन से खूबसूरती को देखने और समझने का नया नजरिया सामने आया है। आयोजन में प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “ताकि, जागें लोग का विमोचन श्री प्रहलाद टिपानिया द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने ढाई आखर प्रेम यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस यात्रा में मजदूरों किसानों ,कारीगरों से चर्चा कर हम उनसे सीखने का प्रयास करेंगे।
आयोजन स्थल पर अशोक नगर के पंकज और इंदौर की रूपांकन संस्था द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई थी। परिसर में पुस्तकों और खादी, हैंडलूम वस्त्रों के स्टॉल भी लगाए गए थे।
संघर्षों की भूमि पर गूंजे प्रेम के गीत
“ढाई आखर प्रेम” यात्रा अपने पहले दिन में औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर से होती हुई संघर्ष की भूमि ठीकरी, पिपलोद एवं बड़वानी पहुंची। नर्मदा परियोजना से विस्थापित, सेंचुरी मिल बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों के इस क्षेत्र में दर्द पीड़ा संत्रास और संघर्ष की अनेक कहानियां है।
यात्रा के पहले पड़ाव में पीथमपुर के गुरु तेग बहादुर उद्यान में श्रमिकों के बीच छतरपुर इप्टा के सदस्यों ने राजेश जोशी की कविता, कबीर की साखी, प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई के सदस्यों ने दुष्यंत कुमार की गजल का गायन किया। नाट्य प्रस्तुति में नाचा गम्मत के विख्यात कलाकार निसार अली ने लोक भाषा में “कृपा बरसेगी एकल नाटक के माध्यम से दर्शकों को गुदगुदाया। इंदौर इप्टा इकाई द्वारा हरिशंकर परसाई की कहानी “सदाचार का ताबीज” की नाट्य प्रस्तुति हुई।
पीथमपुर से यात्रा ग्राम ठीकरी पहुंचीं। आंदोलन कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित आयोजन स्थल पर बड़ी तादाद में महिलाओं की उपस्थिति में प्रलेसं के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि यहां की जनता ने अपना रोजगार बचाने के अधिकार के लिए संघर्ष किया है। अब प्रेम को बचाने के संघर्ष की जरूरत है।
यहां भी सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई। आभार आंदोलन के प्रमुख मुकेश भगोरिया ने माना।
रात्रि में ग्राम पिपलूद में पहुंची यात्रा का मंदिर परिसर में स्वागत हुआ। यहां अशोक नगर इप्टा के कलाकारों ने संत कबीर की रचना की संगीतमय प्रस्तुति दी।आंदोलन के कलाकारों ने “सवाल लेके आए हैं, जवाब लेके जाएंगे” गाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। यात्रा यहां से ग्राम बड़वानी पहुंची जहां गुरुद्वारा परिसर में भोजन का इंतजाम था। रात्री विश्राम यहीं पर था
गांधी समाधि की पुन:स्थापना
बड़वानी में “ढाई आखर प्रेम” यात्रा के दूसरे दिन का प्रारंभ गांधी जी की समाधि स्थल राजघाट पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुआ। सरकार द्वारा नर्मदा तट पर स्थित गांधी जी की समाधि को बुलडोजर के माध्यम से हटाकर अपमानित किया गया था। बताया गया कि नर्मदा बचाओ आंदोलन विगत 38 वर्षों से जारी है। नर्मदा परियोजना में डूबे गांवों के हजारों परिवार अब भी पर्याप्त मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। सरकार द्वारा बसाए गए नये गांव में अमानवीय परिस्थितियों में जीवन यापन करने पर विवश है।
राजघाट पर मंदसौर, अशोक नगर के कलाकारों की प्रस्तुति के अलावा आंदोलन के प्रमुख मुकेश भगोरिया ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवा मेधा पाटकर द्वारा रचित गीत गाया।
तत्पश्चाप निसार अली ने नाचा गम्मत का गीत “प्रेम का बाना बांधलियो बानाजी” गाया।
अगला कार्यक्रम बड़वानी शहर के मध्य पुराने कलेक्ट्रेट चौक में हुआ। यहां पत्रकार वहीद मंसूरी ने ढाई आखर प्रेम यात्रा तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन के बारे में बताया। विनीत तिवारी ने कहा की बड़वानी “हक हासिल करने वालों” की जमीन है। जिसने विकास की नई परिभाषा दी है।
अगला पड़ाव नर्मदा पर बने बांध से विस्थापितों का मूल गांव जांगरवा था। यहां भोजन पश्चात हुई सार्वजनिक सभा में नर्मदा बचाओ आंदोलन की जुझारू साथी कमला यादव ने बताया कि नर्मदा परियोजना ने क्षेत्र के निवासियों, पशुओं और पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। मेधा पाटकर के नेतृत्व में इसके खिलाफ आंदोलन चलाया गया जिसे कदम- कदम पर सरकार के दमन का सामना करना पड़ा।
ग्राम के युवा सरपंच धर्मेश भाई ने बताया कि गांव में कम लोगों को ही विस्थापन का मुआवजा मिला है। 2019 में भी सरदार सरोवर बांध में पानी भरने के दौरान विस्थापित हुए ग्रामीणों को आज तक मुआवजे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मुकेश भगोरिया ने बताया कि सरदार सरोवर में पानी भरने से प्रभावित होने वाले गांवों से ग्रामीणों को पुलिस बल के माध्यम से बिना मुआवजा दिए का खदेड़ दिया गया। जबरन गांव खाली करवाए गए। यहां से जत्थे में शामिल यात्री डूब वाले मूल जांगरवा गांव पहुंचे, जहां नर्मदा का पानी उतर चुका था ग्रामीण अपने घरों में पहुंचकर खेती करने का प्रयास कर रहे थे। उनकी तकलीफों को समझने का प्रयास किया।
ढाई आखर प्रेम यात्रा अंतर्गत तीसरे दिन यात्रा का प्रारंभ अहिंसक आंदोलन के प्रेरणा केंद्र तथा बड़े बांधों के दुष्प्रभाव पर सारी दुनिया को सजग करने वाले “नर्मदा बचाओ आंदोलन” के बड़वानी स्थित कार्यालय में पहुंची। यहां सादगी और मानवीय गरिमा के इस केंद्र के हर कक्ष में मेधा पाटकर की छाप देखी गई। आंदोलन के प्रवक्ता ने बताया कि जन सहयोग से बने इस भवन में विस्थापित आदिवासियों, पीड़ित किसानों के मुकदमों की हजारों फाइलें शासन की बेरुखी बदनियति की अनेक कहानियों को समेटे है।
आंदोलन के इस तीर्थ स्थल से प्रेरित होकर यात्री अपने अगले पड़ाव नर्मदा नगर के उस क्षेत्र में पहुंचे जहां नर्मदा की पंचकोशी परिक्रमा में शामिल तीर्थ यात्री विश्राम कर रहे थे। बड़ी तादाद में मौजूद यात्रियों को ढाई आखर प्रेम यात्रा के बारे में जानकारी दी गई। अपने संबोधन में हरनाम सिंह ने सभी यात्रियों की मनोकामनाएं पूरी होने की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी यात्री चाहते हैं कि समाज और देश में अमन- चैन, भाईचारा, बहानापा बना रहे। हमारे लक्ष्य समान है। पड़ाव स्थल पर अनेक प्रस्तुति हुई।
यात्रियों का अगला पड़ाव ग्राम कवठी था यहां यात्रा के कलाकारों , स्थानीय गायकों अन्य कलाकारों के अलावा बड़ी तादाद में उपस्थित महिलाओं ने भी भजन गाए।
जन्मदिन की खुशी ले डूबी गांव
प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर नर्मदा पूजन के लिए सरदार सरोवर बांध में रोके गए पानी को बिना पूर्व सूचना के छोड़े जाने से क्षेत्र के 193 गांव डूब गए।इन गांवों में बड़ी तेजी से नर्मदा का जल भरने लगा। ग्रामवासी अपने प्राण बचाकर भागने पर विवश हुए। ऐसे ही एक गांव में तबाही का मंजर देखने के लिए ढाई आखर प्रेम का जत्था एकलवारा मूल गांव पहुंचा। यहां अनेक घर उजड़ चुके हैं। ग्रामीणों की संग्रहित फसल नष्ट हो गई, पशु मारे गए। ग्रामवासी गंगाराम ने बताया कि इस अमानवीयता के चलते पांच लोगों की मौत हो गई। उनकी 200 क्विंटल सोयाबीन नष्ट हो गई। अनेक पशु मारे गए हैं।
यहां से यात्रा सेमल्दा गांव पहुंची। यहां एकत्र ग्रामीणों को संबोधित करते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन नर्मदा के साथ मानव को बचाने का काम कर रहा है। हम कलमकार और कलाकार आपके संघर्षों को समर्थन देने के लिए संतों की प्रेम की वाणी को लेकर आए हैं।
तीसरे दिन के अंतिम पड़ाव धर्मपुरी में जत्थे के यात्री बस स्टैंड पर आयोजित सभा में शामिल हुए। एडवोकेट दीदार खान और विक्रम वर्मा ने कहा कि विश्व तो मुट्ठी में है। लेकिन समाज में दूरियां बढ़ गई है। यहां भी जत्थे के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी।
महेश्वर के अहिल्या घाट पर
ढाई आखर प्रेम यात्रा के चौथे दिन का पड़ाव बुनकरों की बस्ती महेश्वर था। पिछले पड़ाव धर्मपुरी से रवाना होकर यात्रा महेश्वर आई। यहां रात्रि विश्राम पश्चात 26 दिसंबर की प्रातः यात्रा निकटवर्ती ग्राम गोगांवा पहुंची। वहां आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि गोगांवा आंदोलन का प्रमुख गांव रहा है। यहां की जनता ने दमन सहा है। आंदोलन के प्रमुख जगदीश भाई ने कहा कि महेश्वर बांध से 8 किलोमीटर दूर के गांव पुलगांव एवं पथराड़ डूब में आने वाले गांव हैं। इन गांवों से मुआवजे की मांग होती है, लेकिन अधिकारी टाल देते हैं। यात्रा में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ एवं फ्लोरा बोस भी शामिल हुई। कार्यक्रम में जत्थे में शामिल कलाकारों ने गीत एवं नाट्य प्रस्तुति दी।
सांय काल अहिल्या घाट पर कश्मीर की कवयित्री ललद्य ( लल्लन देवी) पर व्याख्यान सहित अनेक नृत्य, संगीत,कार्यक्रम हुए।
विशिष्ट अतिथि मेधा पाटकर ने नर्मदा के अहिल्या घाट पर हो रहे कार्यक्रम के संदर्भ में कहा कि महारानी अहिल्या देवी प्रकृति धर्मी थी। अगर वह आज होती तो नर्मदा से किए जा रहे खिलवाड़ को स्वीकार नहीं करती। प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने के लिए कई किसानों को शहादत देना पड़ी है। प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है कि जोशीमठ खत्म होने के कगार पर है। ढाई आखर प्रेम यात्रा समता, स्वावलंबन, मानवता को बचाने में सफल होगी। लोग नदी किनारे स्थित धर्म स्थलों पर जाते हैं पर नदियों के प्रदूषण पर कोई नहीं बोलता।देश में केवल कावड़ यात्राएं ही नहीं निकलती है। प्रेम और सद्भाव के लिए भी लोग यात्राएं करते हैं।
विख्यात अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने कश्मीर की चौदहवीं राजस्थान शताब्दी की कवित्री ललद्य के जीवन व लेखन पर विस्तार से व्याख्या की।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे विनीत तिवारी ने मीता वशिष्ठ के परिचय के साथ फिल्मों में उनके योगदान की जानकारी दी। आयोजन में यात्री कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। ढाई आखर प्रेम की यात्रा का यह अंतिम पड़ाव था। यहां से यात्री इंदौर की ओर रवाना हुए।
मीडिया के छद्म को उजागर किया भाषा सिंह ने
ढाई आखर प्रेम यात्रा का समापन इंदौर में सत्य और प्रेम के लिए अनवरत संघर्ष के संकल्प के साथ संपन्न हुआ। मजदूर बस्ती में जन गीत गाए गए, नाट्य प्रस्तुति हुई। शहीदों के स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। सांय काल विख्यात पत्रकार भाषा सिंह कार्पोरेट मीडिया के अवधारणा बनाने वाले उद्योग में तब्दील होने की सच्चाई के साथ श्रोताओं से रूबरू हुई। खचाखच भरे सभागृह में अभिनेत्री फ्लोरा बोस विनीत तिवारी ने कविताओं का वाचन किया।
स्टेट प्रेस क्लब के सभागृह में ” चुनाव जंग और मीडिया” विषय पर” भाषा सिंह ने कहा कि पेड न्यूज के दौर से गुजर कर मीडिया अब ताकतवर उद्योग के रूप में स्थापित हो गया है। यह मीडिया नफरत फैलाने का काम सफलतापूर्वक कर चुका है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों सहित हर श्रमजीवी जो ईमानदारी के साथ अपना काम करता है। वे सब सत्ता संस्थाओं के निशाने पर है।संवेदनशीलता को भोथरा बनाया जा रहा है। कॉरपोरेट मीडिया ने युद्ध को त्यौहार में बदल दिया है।
भाषा सिंह ने कहा कि देश में हम अपने आप पर इन लोगों को राजनीति नहीं खेलने देंगें। उन्होंने कहा कि देश के डेढ़ सौ सांसदों को जब संसद से बाहर निकाल दिया गया, उसी समय दाऊद के मरने की झूठी खबर फैलाई गई। ताकि और सब खबरें दब जाएं।
किसी बड़े मुद्दे पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला होता है, लोग पहले से जान जाते हैं कि फैसला क्या होगा। यह न्याय तंत्र की विफलता है।
विषय प्रवर्तन तथा अतिथि परिचय विनीत तिवारी ने दिया। उन्होंने कहा कि जिन मूल्यों पर हमारा यकीन है उसी तरह के मूल्यों के लिए भाषा सिंह भी लड़ रही है।
कार्यक्रम में अभिनेत्री श्रीमती फ़्लोरा बोस ने अमन के पक्ष में कविताएं सुनाईं, विनीत तिवारी ने फिलिस्तीनी -अमेरिकी कवि लिसा सुहैर मजाज की स्वयं के द्वारा अनुवादित कविता सुनाई।अनेक संगठनों की सहभागिता से आयोजित कार्यक्रम में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, पूर्व कुलपति डॉ. मानसिंह परमार, नवनीत शुक्ला, विजय दलाल, रचना जौहरी मंचासीन थे। संचालन पत्रकार आलोक बाजपेयी ने किया।
शहीदों को श्रद्धांजलि
ढाई आखर प्रेम यात्रा जत्थे के अलावा अनेक जन संगठनों के सदस्यों सहित भाषा सिंह, फ्लोरा बोस उन स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित करने गए जहां 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी सआदत खान एवं राजा बख्तावर सिंह को फांसी दी गई थी।
मजदूर बस्ती में प्रस्तुति
प्रातः ढाई आखर प्रेम यात्रा तथा का जत्था इंदौर की गोमा फेल बस्ती के कबीर चौक में पहुंचा, जहां छत्तीसगढ़ से आए कलाकार निसार अली ने जन गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने नाचा गम्मत शैली में दर्शकों से संवाद किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री दिलीप सिंह राजपाल, एटक के रुद्रपाल यादव, सामाजिक कार्यकर्ता राहुल निहुरे देवास के कैलाश सिंह राजपूत, उज्जैन के शशि भूषण भी मौजूद थे।
यात्रा में भोपाल की एकलव्य संस्था द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। सभी यात्रियों ने बराबरी के साथ बोझा ढोया, जमीन पर सोए और न्यूनतम सुविधाओं के साथ यात्रा में अपनी भागीदारी निभाई।
यात्रा के सभी पड़ाव पर जन गीत, भजन गाए गए। नाट्य प्रस्तुति हुई। इनमें प्रमुख रूप से रायपुर छत्तीसगढ़ की लोक शैली नाचा गम्मत के कलाकार निसार अली, बेंगलुरु से आई फ्लोरा बोस, छिंदवाड़ा इप्टा इकाई के शिवेंद्र, लखन अहिरवार, अभिदीप सुहाने, अनमोल चतुर्वेदी। अशोक नगर इकाई के सीमा राजोरिया, हरिओम राजोरिया, कबीर राजोरिया, रतन पटेल। मंदसौर प्रगतिशील लेखक संघ के असअद अंसारी हूरबानो सैफी, दिनेश बसेर, निखलेश शर्मा, इंदौर इप्टा इकाई के गुलरेज खान, तौफीक, अथर्व, विवेक, नितिन, समर,उजान, शर्मिष्ठा बनर्जी, अदिति मेहता, विलास बुंबरू, विनीत तिवारी प्रमुख थे। आंदोलन से जुड़े मुकेश भगोरिया, नवीन मिश्रा, कैलाश ठाकुर, प्रणेश यादव ने भी गीत गाए। इस यात्रा में भोपाल एकलव्य प्रकाशन की पुस्तक प्रदर्शनी भी साथ में रही और साथ में रहे इंदौर रूपांकन के पोस्टर।