आध्यात्मदलौदामंदसौर जिला
बाल विदुषी परम पूज्य अपर्णाजी ने कथा में भगवान भोलेनाथ के विवाह का प्रसंग श्रवण कराया
चारभुजानाथ मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु संगीतमय भागवत कथा हो रहा है कुंचड़ौद में आयोजन
मन्दसौर। समीपस्थ ग्राम कुंचड़ोद में अखिल भारतीय हरि व्यासी अखाड़ा से संबंद्ध श्री चारभुजानाथ मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु संगीतमय भागवत कथा का रसपान बाल विदुषी परम पूज्य अपर्णा जी द्वारा कराया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामवासी तथा आसपास के भक्तगण मातृशक्ति कथा में सम्मिलित हो रहे हैं। कथा प्रतिदिन 12 बजे से 4 बजे तक हो रही है। कथा का समापन 29 दिसंबर को होगा। कथा में मंदिर के महंत पूज्य संत श्री संतदास जी महाराज का भी सानिध्य प्राप्त हो रहा है।
बाल विदुषी भागवत प्रवक्ता अपर्णा जी ने भगवान भोलेनाथ का विवाह प्रसंग का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शंकर ने सुंदर वस्त्र, आभूषण की जगह सिंह की छाल को लपेटा। सुंदर मुकुट की जगह सांपों का मुकुट बनाया। कानों में कुंडल की जगह छोटे-छोटे बिच्छुओं के कुंडल बनाए। सुगंधित इत्र की जगह श्मशान रूपी ब्यूटी पार्लर की भस्म को पूरे शरीर पर मला। घोड़े के स्थान पर भगवान शंकर ने अपने नंदी बेल को सवारी बनाया । इतना ही नहीं भगवान भोलेनाथ ने लगाम की जगह नंदी पर उल्टे बैठकर उसकी पूँछ को पकड़ लिया और इस प्रकार बारात लेकर के पार्वती से शादी करने के लिए चले। बाराती भगवान भोलेनाथ ने सभी भूत- प्रेत जिसमें कोई तो बहुमुखी और कोई बिना मुख, किसी के धड़ है तो सर नहीं और सर है तो धड़ नहीं। इस प्रकार की विचित्र बारात के साथ ही दूल्हा बने भगवान शिव के भयंकर स्वरूप को देखा तो माता मैना के हाथ से आरती की थाली छूट गई और मूर्छित अवस्था में सखियां उन्हें अपने निवास पर ले गई ।
वर्तमान में संस्कारों की महत्ता व आवश्यकता पर अपर्णा जी ने कहा कि वर्तमान विषम युग में जहां एक और मोबाइल, टीवी के कारण बच्चों में संस्कारों का अभाव होता जा रहा है उन्हें जिस प्रकार भगवान बालकृष्ण को माता यशोदा ने बचपन से ही ऐसे संस्कारों में बड़ा किया था कि बचपन से ही कृष्ण ने बड़े-बड़े राक्षसों का संहार कर दिया। आपने गृहस्थ जीवन में अपर्णा जी ने सुखी रहने के लिए पुरुषों को महादेव और मातृशक्ति को माता पार्वती के समान रहने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि नंदकिशोर परमार, पतंजलि योग संगठन जिला अध्यक्ष बंसीलाल टाक ने परम पूज्य अपर्णा जी का पुष्पहार से सम्मान कर आशीर्वाद लिया। कथा में सर्दी के बावजूद बड़ी संख्या में मातृशक्ति और पुरुष वर्ग सम्मिलित होकर कथा का श्रवण कर रहे हैं।
बाल विदुषी भागवत प्रवक्ता अपर्णा जी ने भगवान भोलेनाथ का विवाह प्रसंग का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शंकर ने सुंदर वस्त्र, आभूषण की जगह सिंह की छाल को लपेटा। सुंदर मुकुट की जगह सांपों का मुकुट बनाया। कानों में कुंडल की जगह छोटे-छोटे बिच्छुओं के कुंडल बनाए। सुगंधित इत्र की जगह श्मशान रूपी ब्यूटी पार्लर की भस्म को पूरे शरीर पर मला। घोड़े के स्थान पर भगवान शंकर ने अपने नंदी बेल को सवारी बनाया । इतना ही नहीं भगवान भोलेनाथ ने लगाम की जगह नंदी पर उल्टे बैठकर उसकी पूँछ को पकड़ लिया और इस प्रकार बारात लेकर के पार्वती से शादी करने के लिए चले। बाराती भगवान भोलेनाथ ने सभी भूत- प्रेत जिसमें कोई तो बहुमुखी और कोई बिना मुख, किसी के धड़ है तो सर नहीं और सर है तो धड़ नहीं। इस प्रकार की विचित्र बारात के साथ ही दूल्हा बने भगवान शिव के भयंकर स्वरूप को देखा तो माता मैना के हाथ से आरती की थाली छूट गई और मूर्छित अवस्था में सखियां उन्हें अपने निवास पर ले गई ।
वर्तमान में संस्कारों की महत्ता व आवश्यकता पर अपर्णा जी ने कहा कि वर्तमान विषम युग में जहां एक और मोबाइल, टीवी के कारण बच्चों में संस्कारों का अभाव होता जा रहा है उन्हें जिस प्रकार भगवान बालकृष्ण को माता यशोदा ने बचपन से ही ऐसे संस्कारों में बड़ा किया था कि बचपन से ही कृष्ण ने बड़े-बड़े राक्षसों का संहार कर दिया। आपने गृहस्थ जीवन में अपर्णा जी ने सुखी रहने के लिए पुरुषों को महादेव और मातृशक्ति को माता पार्वती के समान रहने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि नंदकिशोर परमार, पतंजलि योग संगठन जिला अध्यक्ष बंसीलाल टाक ने परम पूज्य अपर्णा जी का पुष्पहार से सम्मान कर आशीर्वाद लिया। कथा में सर्दी के बावजूद बड़ी संख्या में मातृशक्ति और पुरुष वर्ग सम्मिलित होकर कथा का श्रवण कर रहे हैं।