इंद्रियों का गुलाम धर्म और परमात्मा का कट्टर शत्रु है- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनि जी

=============================

संतश्री ने कहा कि इंद्रियो की आसक्ति आत्मा के सद गुण नष्ट करती है। शरीर को रोगी बनाती है। आत्मा को दुर्गति का मेहमान बनाती है।
मुनि श्री कमलेश ने बताया कि विश्व के सभी धर्मों में इंद्रियों का गुलाम बनने की बजाय मालिक बनने का संदेश दिया है।
राष्ट्रसंत संत श्री ने कहा कि इंद्रियों की आसक्ति हिंसा की जननी है। इंद्रिय संयम से आत्मा की एनर्जी एकत्रित होती है। अलौकिक चमत्कार होते है व इम्यूनिटी पावर की वृद्धि होती है। धर्मसभा में कल्पना जी ने बताया कि संयम आत्मशक्ति को जागृत करने की रामबाण औषधि है
विधायक यशपाल सिसोदिया, नगर पालिका अध्यक्ष रामादेवी गुर्जर नेराष्ट्रसंत का अभिनंदन करते हुए उनके आदेश और निर्देशों को पालन करने का संकल्प लिया। जैन कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में गौ सेवा संघ के कैलाश जोशी, शैलेंद्र भगत, कमलेश नाका, सुधीर रायजादा, सत्यनारायण पोरवाल, महेश नाहर, यशवंत सोलंकी, सुरेश जैन, नरेंद्र जैन, मनोज जैन, दिनेश जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन विजय खटोड़ ने किया। 21 नवंबर का प्रवचन प्रातः 9 बजे संजय वाटिका के पीछे विनोद जैन गरोठ वालों के भवन पर होंगे।