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जगद्गुरु राम भद्राचार्य पर मुकदमे की मांग खारिज, राम चरितमानस पर प्रवचन में जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रवचन के दौरान जातिसूचक टिप्पणी करने के लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य के विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करने की मांग में दाखिल अपील खारिज कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने बारा थानाक्षेत्र निवासी प्रेमचंद्र की अपील पर उसके अधिवक्ता जगद्गुरु राम भद्राचार्य के सीनियर एडवोकेट एमसी चतुर्वेदी अधिवक्ता विनीत संकल्प और सरकारी वकील की दलीलों को सुनने के बाद दिया. अपीलार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि अपीलार्थी ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अर्जी दाखिल कर जगद्गुरु राम भद्राचार्य द्वारा धार्मिक प्रवचन के दौरान दिए गए बयानों को अपराध के रूप में दर्शाया गया लेकिन विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट प्रयागराज ने इसे खारिज कर दिया, क्योंकि यह व्यक्तिगत नहीं बल्कि समुदाय के लिए था.

जगद्गुरु राम भद्राचार्य के अधिवक्ता विनीत संकल्प ने तर्क दिया कि बयान व्यक्तिगत अभद्र शब्दों का प्रेरणा नहीं था. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि एससी/एसटी एक्ट का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना है लेकिन समुदाय के लिए धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत अर्जी नहीं की जा सकती है. अर्जी में जो आरोप लगाया गया है, उससे कोई विशिष्ट अपराध नहीं प्रतीत होता है और सीआरपीसी की धारा 156 (3) की अर्जी सही तरीके से खारिज की गई है.

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