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श्रीमद् भागवत महोत्सव में भगवान श्री कृष्ण के प्रतिकात्मक स्वरुप द्वारा माखन कि मटकी फोड़ी

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संस्कार दर्शन

सीतामऊ। श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के पंचम दिवस डॉ कृष्णानंद जी महाराज द्वारा भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं और गोवर्धन पूजा के महत्व पर कथा के ज्ञानामृत का रसपान कराया गया।

डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं। भगवान कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं की। बाल कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो, तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि समय जिसके साथ हो उसे किसी भी राक्षस का प्रहार का कोई कुछ कर सकता है जिस प्रकार से मथुरा के राजा भगवान स्वयं के मामा कंस के द्वारा अपने भांजे श्री कृष्ण भगवान को अपना काल समझते हुए उनको बाल रूप में ही मरवाने के लिए कंस के द्वारा पूतना राक्षसी को, राक्षसों को द्वारका में भेज कर श्री कृष्ण को मरवाने के प्रयास किए गए लेकिन उसकी सारी योजनाएं विफल रही।

 डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि आज हम खेती तो कर रहे हैं पर धरती माता को रसायनिक खाद दवाईयों को डाल कर मिट्टी को बांझ (अनउपजाऊ) बना रहे हैं। पर हम अपने प्रभु के संदेश को भूल गए। भगवान श्री नारायण स्वयं ने द्वापर युग में कृष्णा अवतार में गौ माता के पालन कर देशी खाद से फसल उगा कर हमको शुद्ध स्वास्थ्य वर्धक खेती कि प्रेरणा दी थी। भगवान कृष्ण अपनी सखाओं और गोप-ग्वालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर गए थे। वहां पर गोपिकाएं 56 प्रकार का भोजन रखकर नाच गाने के साथ उत्सव मना रही थीं। कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इंद्र ब्रज में वर्षा करते हैं, जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है।भगवान कृष्ण ने कहा कि इन्द्र में क्या शक्ति है। उनसे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है अतरू हमें इंद्र से बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। बहुत विवाद के बाद श्री कृष्ण की यह बात मानी गई और ब्रज में गोवर्धन पूजा की तैयारियां शुरू हो गई।

कथा महोत्सव में भगवान श्री कृष्ण के प्रतिकात्मक स्वरुप द्वारा माखन कि मटकी फोड़ी गई। उपस्थित श्रोताओं द्वारा भगवान श्री कृष्ण के जयकारे के साथ भक्ति के आनंद कि मस्ती में झूमते हुए दिखें। कथा महोत्सव में यजमान राधेश्याम घाटिया परिवार द्वारा गाय माता के गोबर से भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन नाथ का प्रति रुप बनाया।इस अवसर पर छप्पन भोग लगाया और उपस्थित सभी जनों ने पूजा अर्चना कर देशी गोबर खाद का खेती में उपयोग करने और करवाने का संकल्प लिया।

कथा महोत्सव में सकल जैन समाज द्वारा डॉ कृष्णानंद जी महाराज का स्वागत वंदन अभिनंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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