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पवित्र आसन, पवित्र वस्त्र और पवित्र मनोभान से प्रभु की भक्ति करना चाहिए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
बुधवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति अपने मन को प्रभु भक्ति में लगाना चाहता है लेकिन सभी यही कहते है कि हमारा मन इधर उधर भटकता रहता है प्रभु भक्ति में स्थिर नहीं रहता इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रभु भक्ति के नियमों का पालन नहीं करते है। संतश्री ने बताया कि प्रभु भक्ति के लिए सर्वप्रथम स्वयं के शरीर शुद्ध करना चाहिए जिस आसन पर हम बैठकर प्रभु भक्ति करते है वह पवित्र शुद्ध होना चाहिए। सुखासन की मुद्रा में भक्ति करना चाहिए। रीढ की हड्डी सिधी होना चाहिए जिसे में मैरूदण्ड भी कहते है और मस्तिष्क के बीच वाले हिस्सा से ध्यान केन्द्र करना चाहिए। भक्ति करने के लिए बहुत ज्यादा उपर नहीं बेठना चाहिए संभवत हो जहां तक जमीन पर ही बैठना चाहिए।
धर्मसभा में संतश्री ने बताया कि नियमों का पालन कर प्रभु भक्ति करोगो तो मन प्रभु भक्ति में लग जायेगा और इधर उधर नहीं भटकेगा।
गवान के एक – एक अंग का ध्यान करो
संतश्री ने बताया कि इस संसार में प्रभु से अधिक सुन्दर कोई नहीं है। भगवान के एक – एक अंग का ध्यान करना चाहिए। इससे मन प्रभु भक्ति में लगता है और प्रभु की महिमा समझने में आसानी होती है।
गुरूवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, प्रहलाद काबरा, मदनलाल गेहलोत, पं शिवशंकर शर्मा, शंकरलाल सोनी, प्रहलाद पंवार, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राधेश्याम गर्ग, जगदीश गर्ग, इंजि आर सी पाण्डेय, सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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