समाचार मध्यप्रदेश नीमच 17 जून 2025 मंगलवार

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दामिनी एप्प डाउनलोड कर प्राप्त कर सकते है संभावित बिजली गिरने के स्थानों की जानकारी
आकाशीय बिजली से सुरक्षा एवं बचाव के उपाय
नीमच 16 जून 2025, मानसून के सीजन में आकाशीय बिजली गिरने की सम्भावनाएं रहती है। आपदा प्रबंधन (मध्यप्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भोपाल) द्वारा आकाशीय बिजली से बचाव हेतु कुछ उपाए बताए गए हैं।
क्या करें- आकाशीय बिजली के समय पक्की छत के नीचे चले जाएं। खिड़की के कांच, टिन की छत, गीले सामान्य और लोहे के हैंडलों से दूर रहे, आकाशीय बिजली के समय अगर आप पानी है, तुरंत बाहर आ जाएं। खुली जगह पर हो, तो कान पर हाथ रखकर एड़ियों को आपस में मिलाकर जमीन पर बैठ जाएं। सफर के दौरान वाहन के शीशे चढ़ा कर बैठे रहे। मजबूत छत वाले वाहन में रहे, खुली छत वाले वाहन की सवारी न करें।
क्या न करें- आकाशीय बिजली के समय पेड़ के नीचे न खड़े हो। आकाशीय बिजली के समय झोपड़ी एवं कच्चें मकानों में शरण न लें। बिजली उपकरणों, स्विचों, तारों और टेलीफोन का प्रयोग न करें। दीवार के सहारे टेक लगा के खड़े हो। किसी बिजली के खम्बे के पास खड़े न हो। स्नान करना तुरंत रोक दें। याद रखें आंधी, बिजली की स्थित में बाहर खुले में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं होता हैं। टेलीफोन व पानी की लाईन में विद्युत प्रवाह हो सकता हैं। दामिनी एप्प अपने मोबाईल में डाउनलोड कर अपने आसपास के क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने के सम्भावित स्थान की जानकारी हांसिल कर सकते है।
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धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान
जिले में 17 शिविरों में 139 हितग्राहियों के आवेदन प्राप्त
नीमच 16 जनू 2025, प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत जिले में सोमवार को चयनित 17 ग्रामों में आयोजित शिविरों में प्रोफाईल पंजीयन हेतु 139 हितग्राहियों के आवेदन पत्र प्राप्त हुए। बैंक खाते खोलने के लिए 136 एवं केवायसी के लिए 5 हितग्राहियों के आवेदन पत्र प्राप्त हुए है, जिनका निराकरण किया जा रहा है।
चिन्हित जनजातीय बाहुल्य ग्रामों तथा दुरस्थ बस्तियों आदि 17 ग्रामों में 17 जून 2025 को तृतीय दिवस में शिविरों में हितग्राहियों के सामाजिक सुरक्षा पेंशन, तथा राशन कार्ड बनाने से संबधित आवेदन पत्र प्राप्त कर लाभान्वित किया जावेगा।
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जिले के सभी पुशपालकों के के.सी.सी. के प्रकरण तैयार कर के.सी.सी. जारी करवाएं-श्री चंद्रा
कलेक्टर ने की पशुपालन, मत्स्य, उद्यानिकी, डेयरी विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा
नीमच 16 जून 2025, पशुपालन विभाग जिले के 40 हजार शेष पशुपालकों के आगामी चार माह में के.सी.सी. के प्रकरण तैयार कर उन्हें के.सी.सी. जारी करवाना सुनिश्चित करें। प्रत्येक ए.व्ही.एफ.ओ. को एक -एक हजार पशुपालकों के के.सी.सी. जारी करवाने का लक्ष्य निर्धारित कर, उसकी पूर्ति की दैनिक समीक्षा कर, साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह निर्देश कलेक्टर श्री हिमांशु चंद्रा ने सोमवार को पशुपालन, मत्स्य, उद्यानिकी एवं डेयरी विभाग की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक में उप संचालक पशुपालन नीमच को दिए।
बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री अमन वैष्णव, उप संचालक पशुपालन डॉ.राजेश पाटीदार, उप संचालक उद्यानिकी श्री अतरसिह कन्नौजी, सहायक संचालक मत्स्य श्री देवशाह इनवाती सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में कलेक्टर ने पशुपालन विभाग एवं दुग्ध संघ के अधिकारियों को निर्देश दिए, कि वे नस्ल सुधार के लिए इस वर्ष 30 हजार पशुओं में मादा बच्छियां के जन्म को बढ़ावा के लिए चयनित वीर्य(सार्टेड सीमन) का उपयोग किया जाए। साथ ही पशुओं में कृत्रिम गर्धाधान का कार्य का लक्ष्य भी हांसिल करें। इसके लिए सभी एव्हीएफओ को लक्ष्य प्रदान कर पूर्ति करवाएं। बैठक में कलेक्टर ने भीमराव अम्बेड़कर कामधेनु योजना एवं आचार्य विद्यासागर योजना के तहत क्रमश: 30 एवं 60 प्रकरणों का लक्ष्य तय कर अक्टूबर माह तक स्वीकृति एवं ऋण वितरण करवाने के निर्देश उप संचालक पशुपालन को दिए। उन्होने दुग्ध संघ के अधिकारियों को मिल्क रूट वाले पशुपालकों को इन योजनाओं का प्राथमिकता से लाभ दिलवाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर श्री चंद्रा ने उद्यानिकी उपसंचालक कलस्टर विकास की कार्य योजना तैयार कर आगामी टी.एल. बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होनें कहा, कि पीएमएफएमई योजना के उद्यमियों को कृषि अधो संरचना फण्ड (AIF) ए.आई.एफ. फण्ड से जोड़े, जिससे कि नवीन उद्यमियों को ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट का लाभ मिल सकें।
कलेक्टर ने नीमच में स्पाईस लेब, एवं फाईटो सेनेटरी लैब स्थापित करने के लिए इन लेब के बारे में विस्तृत जानकारी हांसिल कर, प्रांकल्लन, प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने इसके लिए संबंधित अधिकारी को अन्य राज्यों में स्थित लेब का अवलोकन करने और विशेषज्ञो से चर्चा करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने शेट नेट, पालीहाऊस उद्यानिकी फसलों के कलस्टर विकास का प्लान तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए। मत्स्य विभाग की समीक्षा में कलेक्टर ने मत्स्य पालन के लिए 300 कैच एरिया के प्रकरण तैयार कर स्वीकृत करवाने के निर्देश दिए। साथ ही जिले में अधिकतम बायो फ्लाक लगवाने एवं फिश पार्लर का कार्य भी तेजी से करवाने के निर्देश दिए।
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जिले के नागरिक वर्षाकाल में सर्पदंश से बचाव व सुरक्षा के उपायों पर अमल करें
सर्पदंश होने पर तत्काल चिकित्सक से उपचार लें
नीमच 16 जून 2025, सर्पदंश पर सही तरीके से प्रतिक्रिया करना जीवन रक्षक हो सकता है। सर्पदंश पर क्या करें और क्या न करें:- निरोधी उपाय(Priventive Measures) उपयोग करने से पहले स्लीपिंग बैंग, जूते और कपड़ों को खोलकर हिलाएं, ताकि उनमें छिपे सांप बाहर निकल जाएं। (और अन्य जानवर और कीड़े), किसी पेड़ के नीचे बैठने से पहले जमीन की जांच कर लें। झाड़ियों या गहरी रेत में चलते समय जूते, मोजे और लंबी पतलून पहनें। रात में टहलते समय, जलावन की लकड़ियाँ इकट्ठा करते समय या शौच करते समय, विशेष रूप से भारी बारिश के बाद, टॉर्च का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि झरनों, नदियों और झीलों के किनारे सांपों का आम निवास स्थान होते है। सांपों को परेशान न करें, उनके पास न जाएं, उन पर हमला न करें या उन्हें छूने की कोशिश न करें, भले ही उन्हें हानिरहित प्रजाति कहा जाता हो या ये मरे हुए दिखाई देते हो। जो लोग जमीन पर सोते हैं, वो नॉर्मल मच्छरदानी का यूज करें। यथा संभव पलंग, तखत पर ही सोऐ,चारपाई, बाहर पहाड़ी, बगान वाले इलाके में जाते हैं, तो लॉन्ग बूट पहनें।
ऐसी जगह पर जहां सांपों का रिस्क रहता है, तो वहां पर छड़ी से जमीन पर आवाज करते हुए चलें। पत्थरों के नीचे, गड्डे के अंदर जिन जगहों पर सांपों के छुपे होने की आशंका रहती है, उन जगहों से छेड़छाड़ न करें। अपने घर के आसपास की घास समय-समय पर कटवाते रहें। घर या फिर दुकान में किसी तरह का कबाड़ इकट्ठा न होने दें। घर या दुकान या गैरेज में छोटे-छोटे गड्ढे और दरार हैं, तो उसे बंद करें। घर के आसपास कूड़ा इकठा नहीं होने दें। सांप को अकेला छोड़ दें। कई बार सांप के ज्यादा नजदीक आने के कारण लोग सर्पदंश का शिकार बन जाते हैं। अपने हांथ व पैर को उन स्थानों से यथा सम्भव दूर रखें जहाँ पर आपकी दृष्टि न पड़ती हो। जब तक आप सांप की आक्रमण परिधि से सुरक्षित दूरी पर न हो। पत्थर व लकड़ी से मारने का प्रयास न करें।
यदि मजबूत चमड़े के जूते न पहने हो, तो ऊंची घास वाले स्थानों से दूर रहे। जहां तक सम्भव हो स्वयं को पगडण्डियों तक सीमित रखें। पानी का मटका भूमि से ऊपर स्टैंड पर ही रखें।
सर्प दंश के लक्षण- सांप के डसने या काटने से अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे-स्थानीय लक्षण (Local Symptom ) काटने वाली जगह पर दर्द सूजन, काटने के स्थान पर छिद्र या दांत के निशान, लालिमा या नीला पड़ना, उल्टी, जी मिचलाना-अकड़न, कंपकपी- एलर्जी स्किन कलर में चेंज,पेट दर्द, दस्त, बुखार सिरदर्द, काटने वाली जगह काली पड़ने लगी हो, कमजोरी, प्यास लगना,
लो बी.पी., घाव से खून बहना, अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना, यदि सांप जहरीला है, तो पीड़ित को ऑंखे खोलने तथा बोलने में कठिनाई होगी तथा पेशाब में, खून बहने। सांसें रुकने लगेंगी, खून तथा अंगो के काले पड़ने की भी संभावना है।
सर्प दंश के बाद क्या करें- शांत रहें और घबराएं नहीं। पीड़ित को आराम दें। शांत रहे और जितना संभव हो उतना कम हिलें। घबराने से हृदय की गति बढ़ जाती है, जिससे विष का फैलाव तेजी से हो सकता है।
सर्पदंश स्थल को स्थिर रखें:- सर्पदंश स्थल को हृदय के नीचे रखें और उसे स्थिर रखें। जिस अंग पर काटा गया है, उसे हिलाने से बचे।
जल्दी से अस्पताल पहुंचे:- जल्द से जल्द निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पहुंचे। समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
सर्पदंश स्थल को साफ और खुला रखें:- घाव को साफ और खुला रखें ताकि हवा लग सके।
ढीली पट्टी बांध सकते हैं, लेकिन रक्तप्रवाह को बंद न करें।
सांप की पहचान करने की कोशिश करें- यदि संभव हो, तो सांप की पहचान करने की कोशिश करें। सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें, बस उसके रंग, आकार, और अन्य विशेषताओं को याद रखें।
क्या न करें: घाव को काटे या चूसें नहीं:- सर्पदंश स्थल को काटने या चूसने की कोशिश न करें। यह विष को हटाने में मदद नहीं करता और संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकता है।
आइस पैक न लगाएं:- सर्पदंश स्थल पर आइस पैक न लगाएं। यह विष के फैलाव को नहीं रोकता और ऊतक क्षति का कारण बन सकता है। साबुन और पानी से साफ न करें ।
अल्कोहल या कैफीन का सेवन न करें: अल्कोहल या कैफीन का सेवन न करें, क्योंकि यह विष के प्रभाव को बढ़ा सकता है।
घाव को धोने की कोशिश न करें:घाव को साबुन या अन्य रसायनों से धोने की कोशिश न करें। यह विष के फैलाव को बढ़ा सकता है। स्वयं से किसी भी प्रकार की दवाई मरीज को न दें। पीड़ित व्यक्ति के सर्पदंश वाले भाग पर किसी भी प्रकार का मलहम न लगायें। सपेरे अथवा तांत्रिक के चक्कर में न पड़े। नजदीकी अस्पताल तक जल्दी से पहुंचे ।
अतिरिक्त सावधानियाँ: पहले से तैयार रहें: यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं या काम करते हैं जहां सर्पदंश का खतरा अधिक है, तो प्राथमिक चिकित्सा किट में सर्पदंश के लिए आवश्यक सामग्री रखें।
सांप से बचावः सांप के रहने वाले स्थानों से दूर रहें और सावधानी बरतें।
जागरूकता और शिक्षाः अपने परिवार और समुदाय को सर्पदंश के खतरे और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूक करें। सापों के पहचान के बारे में लोगों को जागरुक करें।
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उत्कृष्ट छात्रावासों में चौकीदार एवं सहायक के लिए आवेदन आमंत्रित
नीमच 16 जून 2025, शासकीय उत्कृष्ट उ.मा.वि.नीमच अंतर्गत संचालित जिला स्तरीय उत्कृष्ट बालक तथा बालिका छात्रावासों में चोकीदार तथा सहायक, सहायिका के कार्य हेतु विद्यालय की शाला विकास एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए गए है। बालक छात्रावास में चोकीदार के पद पर पुरूष तथा बालिका छात्रावास में महिला या 55 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष रखा जावेगा। यह व्यवस्था पूर्णतः अस्थायी होकर एक अकादमिक सत्र के लिये रहेगी। इस हेतु मानदेय राशि, राज्य शासन से स्वीकृत दर या कलेक्टर दर से देय होगी।
सफाई व्यवस्था एवं रखरखाव हेतु बालक छात्रावास में एक पुरूष सहायक एवं बालिका छात्रावास में एक महिला सहायिका की व्यवस्था की जानी है।
उक्त दोनो कार्य हेतु इच्छुक आवेदक 20 जून 2025 तक शासकीय उत्कृष्ट उ.मा.वि. नीमच में दोपहर एक बजे के पूर्व अपना हस्त लिखित आवेदन मय शैक्षणिक रिकार्ड एवं निवास सम्बंधी जानकारी प्रस्तुत कर सकते हैं। विस्तृत जानकारी छात्रावास के वार्डन से सम्पर्क कर प्राप्त की जा सकती है।
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जिले में 15 अगस्त तक मत्स्याखेट पर प्रतिबंध रहेगा कलेक्टर ने जारी की अधिसूचना
नीमच 16 जून 2025 म.प्र.राज्य में नदीय मत्स्याउद्योग नियम 1972 की धारा (3)(2) के तहत 16 जून से 15 अगस्त 2025 तक की अवधि को बंद ऋतु (मत्स्य प्रजनन काल) घोषित किया गया है। इस अवधि में जिले में मत्स्याखेट, मत्स्य विक्रय, मत्स्य विनिमय एवं मत्स्य परिवहन करना निषेध है। कलेक्टर श्री हिमांशु चंद्रा व्दारा जारी आदेशानुसार मध्यप्रदेश शासन मछली पालन विभाग के निर्देशानुसार छोटे तालाब अन्य स्त्रोत जिनका कोई संबंध किसी नदी से नहीं है और जिन्हे निर्दिष्ट जल की परिभाषा के अंतर्गत नहीं लाया गया है, को छोडकर समस्त नदियों व जलाशयों में बंद ऋतु में मत्स्याखेट पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।
उपरोक्त नियमों के उल्लंघन पर म.प्र.मत्स्य क्षेत्र संशोधन अधिनियम 1981 की धारा 5 के तहत उल्लंघनकर्ता को एक वर्ष तक का कारावास या 5000 /- रूपये अक्षरी पांच हजार रूपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।
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