प्रख्यात चिंतक, साहित्यकार अज़हर हाशमी का निजी अस्पताल में निधन, अंतिम संस्कार 11 जून को पिड़ावा में, शोक की लहर

प्रख्यात चिंतक, साहित्यकार अज़हर हाशमी का निजी अस्पताल में निधन, अंतिम संस्कार 11 जून को पिड़ावा में, शोक की लहर
ताल ब्यूरो चीफ –शिवशक्ति शर्मा
10 जून। प्रख्यात चिंतक, साहित्यकार, गीता मनीषी प्रो. अजहर हाशमी का 10 जून मंगलवार शाम को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। प्रो. अजहर हाशमी कई दिनों से बीमार थे प्रोफेसर अज़हर हाशमी का अस्वस्थ होने से निजी अस्पताल में उपचार के दौरान निधन, अंतिम संस्कार 11 जून को पिड़ावा में- जिले में शोक की लहर, श्रद्धांजलि का तांता लगा।
प्रख्यात साहित्यकार चिंतक एवं विचारक प्रोफेसर अजहर हाशमी का मंगलवार को निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार उनके जन्म स्थान पिड़ावा जिला झालावाड़ में 11 जून को किया जाएगा।
प्रोफेसर हाशमी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और रतलाम के एक निजी चिकित्सालय में उनका उपचार किया जा रहा था। मंगलवार शाम को 6:08 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रोफेसर हाशमी की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए इंदिरा नगर स्थित उनके निवास पर रखा जाएगा। और उसके पश्चात अंतिम संस्कार के लिए उन्हें पिड़ावा झालावाड़ ( राजस्थान) ले जाया जाएगा। श्री हाशमी के निधन का समाचार शहर में फैलते ही साहित्य जगत एवं शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई तथा शोक श्रृद्धांजलि का तांता लग गया। रतलाम ने अपनी एक पहचान खो दी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
अजहर हाशमी का जन्म 13 जनवरी 1950 को राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में हुआ था। वो संत परम्परा के वाहक एवं भारतीय संस्कृति के अध्येता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर लेखक, साहित्यकार एवं प्रवचनकार थे।
1990 के दशक में नई दिल्ली के लाल किले से मुझे राम वाला हिंदूस्तान चाहिए कविता पाठ से प्रो. अजहर हाशमी को पूरे देश में विशिष्ठ पहचान मिली थी। इसके अलावा उन्हें ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई। प्रो हाशमी को उनकी पुस्तक संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के के लिए निर्मल वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार 2022 में सम्मानित किया गया था। प्रो. हाशमी की कविता ‘बेटियां पावन दुआएं’ से मप्र शासन ने बेटी बचाओ अभियान 5.10.2011 से शुरू किया।