आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश

अयोध्या में श्री राम मंदिर सनातनियों के लिए राष्ट्र मंदिर का स्वरूप


यह भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान

 

-रविन्द्र कुमार पाण्डेय



अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर विश्व भर के सनातनियों के लिए राष्ट्र मंदिर है। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम  हैं। पूरे विश्व में भारतीय नागरिकों को प्रभु श्रीराम के वंशज के रूप में जानते है। पूरे विश्व में हर भारतीय की यही पहचान है। लगभग हर भारतीय न केवल “वसुधैव कुटुंबकम” अर्थात इस धरा पर निवास करने वाला प्रत्येक प्राणी हमारा परिवार है के सिद्धांत में विश्वास करता है बल्कि हर भारतीय अपने धर्म सम्बंधी मर्यादाओं का पालन करते हुए दिखाई दे रहा है। संपूर्ण विश्व के लिए भगवान श्रीराम धर्म एवं मर्यादाओं में मूर्तिमंत स्वरूप हैं इस प्रकार वे भारत की आत्मा है। विशेष रूप से आज जब पूरे विश्व में आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है एवं जब विकसित देशों में भौतिकवादी विकास सम्बंधी मॉडल के दुष्परिणाम, लगातार बढ़ रही मानसिक बीमारियों के रूप में दिखाई देने लगे हैं, ऐसे में पूरा विश्व ही आज भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है कि ऐसे माहौल में केवल भारतीय सनातन संस्कृति ही विश्व को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने में सहायक होगी एवं भारतीय आध्यात्मवाद के सहारे मानसिक बीमारियों से मुक्ति भी सम्भव है। इसी कारण से आज विशेष रूप से कई विकसित  देशों की ऐसी कई महान हस्तियां हैं जो भारतीय सनातन धर्म की ओर रुचि लेकर, इसे अपनाने की ओर लगातार आगे बढ़ रही हैं।
भारत में सनातन धर्म का गौरवशाली इतिहास पूरे विश्व में सबसे प्राचीन है।   प्राचीन एवं महान सनातन धर्म के इतिहास पर नजर डालते हैं  तो हिन्दू सनातन संस्कृति एवं सनातन वैदिक ज्ञान वैश्विक आधुनिक विज्ञान का आधार रहा है। इसे कई उदाहरणों के माध्यम से, हिन्दू मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, समय समय पर सिद्ध किया जा चुका है। सनातन वैदिक ज्ञान इतना विकसित था, जिसके मूल का उपयोग कर आज के आधुनिक विज्ञान के नाम पर पश्चिमी देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर फैलाया गया है। दरअसल, सैकड़ों सालों के आक्रमणों और ग़ुलामी ने हमें सिर्फ राजनीतिक रूप से ही गुलाम नहीं बनाया गया था बल्कि मानसिक रूप से भी हम ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़े गए थे। अंग्रेजों के शासन ने हमें हमारी ही संस्कृति के प्रति हीन भावना से भर दिया था जबकि हमारे ही ज्ञान का प्रयोग कर वे संसार भर में विजयी होते रहे और नाम कमाते रहे। अब जरूरत है कि हम अपनी इस सांस्कृतिक धरोहर को जाने और इस पर गर्व करना भी सीखें।
विद्यालयों में विद्यार्थियों को प्रभु श्री राम का जीवन दर्शन अवश्य पढ़ाना चाहिए। श्रीराम 14 वर्षों तक नंगे पैर वन-वन घूमें। समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने वंचित, उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों को आत्मीयता से गले लगाया, अपनत्व की अनुभूति कराई, सभी से मित्रता की। जटायु को भी पिता का सम्मान दिया। प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर को राष्ट्र मंदिर इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां आने वाले हर व्यक्ति को यह मंदिर भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान है। पूरे विश्व में यह मंदिर हिन्दू सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए बहुत बडा केंद्र है। प्रभु श्रीराम की कृपा से इस मंदिर से करोड़ों व्यक्तियों की मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ साथ लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। अब  काशी ओर मथुरा में भी भव्य मंदिर की प्रतीक्षा है

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}