आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश
अयोध्या में श्री राम मंदिर सनातनियों के लिए राष्ट्र मंदिर का स्वरूप

यह भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान
-रविन्द्र कुमार पाण्डेय

भारत में सनातन धर्म का गौरवशाली इतिहास पूरे विश्व में सबसे प्राचीन है। प्राचीन एवं महान सनातन धर्म के इतिहास पर नजर डालते हैं तो हिन्दू सनातन संस्कृति एवं सनातन वैदिक ज्ञान वैश्विक आधुनिक विज्ञान का आधार रहा है। इसे कई उदाहरणों के माध्यम से, हिन्दू मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, समय समय पर सिद्ध किया जा चुका है। सनातन वैदिक ज्ञान इतना विकसित था, जिसके मूल का उपयोग कर आज के आधुनिक विज्ञान के नाम पर पश्चिमी देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर फैलाया गया है। दरअसल, सैकड़ों सालों के आक्रमणों और ग़ुलामी ने हमें सिर्फ राजनीतिक रूप से ही गुलाम नहीं बनाया गया था बल्कि मानसिक रूप से भी हम ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़े गए थे। अंग्रेजों के शासन ने हमें हमारी ही संस्कृति के प्रति हीन भावना से भर दिया था जबकि हमारे ही ज्ञान का प्रयोग कर वे संसार भर में विजयी होते रहे और नाम कमाते रहे। अब जरूरत है कि हम अपनी इस सांस्कृतिक धरोहर को जाने और इस पर गर्व करना भी सीखें।
विद्यालयों में विद्यार्थियों को प्रभु श्री राम का जीवन दर्शन अवश्य पढ़ाना चाहिए। श्रीराम 14 वर्षों तक नंगे पैर वन-वन घूमें। समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने वंचित, उपेक्षित समझे जाने वाले लोगों को आत्मीयता से गले लगाया, अपनत्व की अनुभूति कराई, सभी से मित्रता की। जटायु को भी पिता का सम्मान दिया। प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर को राष्ट्र मंदिर इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां आने वाले हर व्यक्ति को यह मंदिर भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान है। पूरे विश्व में यह मंदिर हिन्दू सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए बहुत बडा केंद्र है। प्रभु श्रीराम की कृपा से इस मंदिर से करोड़ों व्यक्तियों की मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ साथ लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। अब काशी ओर मथुरा में भी भव्य मंदिर की प्रतीक्षा है