भ्रष्टाचारदेशनई दिल्ली

ITBP जवानों के पनीर और दूध का बिल 70 लाख रुपये, सीबीआई ने की बड़ी कार्यवाही

 

पूर्व कमांडेंट के खिलाफ गबन का नया मामला किया दर्ज

नई दिल्ली। सीबीआई ने आईटीबीपी देहरादून में 23वीं बटालियन में तैनात जवानों के राशन सप्लाई में घपले का खुलासा किया है। के पूर्व कमांडेंट अशोक कुमार गुप्ता के खिलाफ उनके अधीन सैनिकों के लिए राशन की खरीद में 70 लाख रुपये से अधिक के कथित गबन के लिए एक नया मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव किया है। जिससे आईटीबीपी को 70.56 लाख रुपये का गलत नुकसान हुआ और खुद को गलत फायदा हुआ।

एजेंसी ने कहा कि अशोक कुमार गुप्ता (जो उस समय देहरादून में 23वीं बटालियन में तैनात थे) पर पिछले साल उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एक चौकी के लिए हीटिंग ऑयल और अन्य वस्तुओं की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के लिए मामला दर्ज किया गया था।

70 लाख रुपये का किया गया गबन
जानकारी देते हुए एजेंसी ने कहा कि हाल ही में दर्ज ताजा मामले में, सीबीआई ने आरोप लगाया है कि गुप्ता ने सब इंस्पेक्टर सुधीर कुमार और सहायक सब इंस्पेक्टर अनुसूया प्रसाद के साथ मिलकर विक्रेताओं को मटन, चिकन, मछली, अंडे, फल, पनीर, दूध के बढ़े हुए बिल जमा करने की अनुमति देकर कथित तौर पर 70 लाख रुपये का गबन किया।

कैंटीन की खरीद में की गई वित्तीय अनियमितताएं
सीबीआई ने एफआईआर में देहरादून के व्यापारी नरेंद्र आहूजा, विनय कुमार और नवीन कुमार को भी आरोपी बनाया है। पिछले साल, आईटीबीपी ने कर्मियों के लिए की गई खरीदारी में भ्रष्टाचार के कई उदाहरणों का हवाला देते हुए गुप्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।अधिकारियों ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि कुमार, प्रसाद और एक साजिद ने देहरादून में 23वीं बटालियन की वेट कैंटीन की खरीद में वित्तीय अनियमितताएं की थीं।कथित भ्रष्टाचार देहरादून में बटालियन के मुख्यालय में संचालित वेट कैंटीन जायका में हुआ था, जहां यूनिट कर्मियों को तैयार नाश्ता परोसा जाता है।

जांच में हुए कई खुलासे
आईटीबीपी की जांच से पता चला कि कैंटीन की खरीदारी केंद्रीय पुलिस कैंटीन के माध्यम से नहीं की गई थी, बल्कि सामग्री स्थानीय बाजार से बिना किसी निविदा प्रक्रिया या स्थानीय खरीद समिति के माध्यम से खरीदी गई थी। पिछले साल दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि 9.06 लाख रुपये की उपभोग्य वस्तुएं निजी फर्मों के लेटर पैड पर तैयार बिलों के साथ स्थानीय बाजार के माध्यम से खरीदी गईं और भुगतान नकद में किया गया था।जांच रिपोर्ट में एक आईटीबीपी जवान के बयान का हवाला दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि चीनी और तेल की आधी मात्रा बटालियन के तहत कंपनियों के मुफ्त राशन भंडार से अवैध रूप से ली गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon
Whatsapp
ज्वॉइन करें
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}