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4 जून के बाद भी मध्यप्रदेश में खत्म नहीं होगा चुनावी माहौल, इन सीटों पर फिर डलेंगे वोट

 

भोपाल। देश में चल रहे लोकसभा चुनाव का शोर 4 जून को थम जाएगा। इसके बाद शपथ ग्रहण और मंत्रिमंडल गठन की औपचारिकताएं पूरी होगी। हालांकि जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव थमेगा वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में एक और चुनाव का दौर भी शुरू हो जाएगा। जो कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के कुछ ही माह बाद करवाए जाएंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बन रही है। ऐसे में 4 जून के बाद प्रदेश में इसकी तैयारियां शुरू हो जाएगी। अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर तो उपचुनाव तय ही है, क्योंकि यहां पर कांग्रेस से विधायक रहे कमलेश शाह ने पार्टी और विधायकी दोनों से ही इस्तीफा दे दिया है।इसके अलावा बुदनी से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में वे यहां से लोकसभा पहुंचते हैं तो इस सीट पर भी उपचुनाव हो सकते हैं। वहीं कुछ सीटें ऐसी है, जहां से कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। ये विधायक भी अगर विधायकी से इस्तीफा देते हैं, तो भी उपचुनाव की स्थिति बनेगी और कुछ सीटें तो ऐसी है जहां कांग्रेस अपने मौजूदा विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वा रही है, वे भी अगर चुनाव जीत जाते हैं तो भी उपचुनाव करवाए जाएंगे।

इन सीटों पर कांग्रेस विधायक लड़ रहे चुनाव

बुदनी–

बुदनी से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधायक हैं। भाजपा ने उन्हें विदिशा से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। शिवराज लोकसभा चुनाव जीतते हैं, तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में बुधनी में उपचुनाव करवाए जाएंगे। बता दें कि शिवराज सिंह चौहान विदिशा से पांच बार सांसद रह चुके हैं।

पुष्पराजगढ़-

शहडोल जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा से विधायक फुंदेलाल मार्को को कांग्रेस ने शहडोल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। मार्को लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उनका सामना भाजपा प्रत्याशी सांसद हिमाद्री सिंह से हैं। यदि मार्को लोकसभा चुनाव जीतते हैं, तो पुष्पराजगढ़ में भी उपचुनाव हो सकता है।

तराना-

कांग्रेस ने उज्जैन लोकसभा क्षेत्र से तराना विधायक महेश परमार को टिकट दिया है। उनका मुकाबला भाजपा के अनिल फिरोजिया से है। यह दूसरा मौका है, जब परमार और फिरोजिया आमने-सामने होंगे। इससे पहले साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में तराना विधानसभा से दोनों नेता आमने-सामने थे। उस समय महेश परमार ने जीत हासिल की थी, वहीं परमार लोकसभा चुनाव जीतते हैं, तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना होगा और तराना में उपचुनाव की स्थिति बनेगी।

डिंडोरी-

डिंडोरी से चार बार के कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम को कांग्रेस ने मंडला संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। उनके सामने भाजपा के फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते हैं। कुलस्‍ते मरकाम को 2014 के लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं। हालांकि यदि मंडला से कांग्रेस जीतती है, तो यहां भी उपचुनाव हो सकते हैं।

सतना-

कांग्रेस ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को सतना लोकसभा से टिकट दिया है। भाजपा से यहां गणेश सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। कुशवाह सिंह को 2023 के विधानसभा चुनाव में हरा चुके हैं। वहीं सिद्धार्थ कुशवाह यह चुनाव जीतते हैं तो सतना विधानसभा में उपचुनाव हो सकता है।

भांडेर-

कांग्रेस ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को भिंड से प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला भाजपा की मौजूदा सांसद डाॅ. संध्या राय से हैं। बरैया यहां से जीत हासिल करते हैं तो भांडेर में उपचुनाव के हालात बनेंगे।

इन विधायकों ने छोड़ी कांग्रेस-

अमरवाड़ा-

कमलेश शाह कांग्रेस के टिकट पर छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मार्च माह में वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए और विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया, अब चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव के बाद यहां उपचुनाव करवाएगा।

विजयपुर-

अप्रैल माह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें मनाने के काफी भी प्रयास हुए, लेकिन सारे नाकाफी साबित रहे। उनके साथ मुरैना की महापौर शारदा सोलंकी ने भी भाजपा की सदस्यता ली थी। रावत 6 बार विधायक रहे हैं। यदि व लोकसभा चुनाव के बाद विधायक पद से इस्तीफा देते हैं तो विजयपुर में भी उपचुनाव होंगे।

बीना-

सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्मला सप्रे मई में भाजपा में शामिल हुई थी। मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में उन्होंने राहतगढ़ में भाजपा की सदस्यता ली थी। उन्होंने दो बार के विधायक महेश राय को 6000 से अधिक मतों से हराया था। वहीं अलग निर्मला सप्रे विधायकी से इस्तीफा देती हैं तो यहां भी उपचुनाव हो सकते हैं।

कुल मिलाकर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटें ऐसी है जहां उपचनुाव की स्थिति बन सकती है।

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