किसान के खेत पहुंचे पूर्व मंत्री श्री चावला, कहा निर्दोष किसानो को नारकोटिक्स एक्ट के झूठे प्रकरणो से निजात दिलाने के लिये एक्ट में संशोधन की आवश्यकता

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अफीम की खेती किसानो की आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत इसलिए इसे काला सोना कहा जाता है
मंदसौर। मध्यप्रदेश शासन के पूर्व गृह मंत्री श्री कैलाश चावला ने सोशल मीडिया फेसबुक के माध्यम से बताया कि मंदसौर व नीमच जिले की केश क्राप (नगद फ़सल )में अफीम का प्रमुख स्थान है। नारकोटिक्स विभाग, जो केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आता है, द्वारा दिए गये लायसेंस (ptte) के तहत अफीम की खेती की जाती है तथा अफीम भी नारकोटिक्स विभाग द्वारा पूर्व निर्धारित भाव से क्रय की जाती है. इससे जीवन रक्षक दवाईयो का निर्माण किया जाता है।
वर्तमान समय में अग्रिम उत्पादन का कार्य प्रारम्भ हो गया है। जिसे मालवी भाषा में लूणी चिरनी कहते है। यह बड़ी मेहनत व विशेष अनुभवीं तरीके से किया जाता है। माँ काली की पूजा के बाद किसान यह कार्य प्रारम्भ करते है.

घोड़ा रोजड़ा व तोतो से अफीम की फ़सल को बचाना, डोडो को चोरी से बचाना उस पर मौसम की मार सबसे बचते बचाते फ़सल लेनी पड़ती है.
पीढ़ियों से अफीम की खेत करने के कारण इस क्षेत्र के किसान अफीम की खेती में परांगत हो गये है। घर का हर बालिंग सदस्य इस कार्य में लगता है, इतना ही नहीं अगर बेटी के ससुराल में अफीम का पट्टा ना हो तो उसे भी मदद के लिये बुला लिया जाता है।
अफीम के साथ साथ इसके बीज जिन्हे खस खस के नाम से जाना जाता है उससे होने वाली आय किसान के लिये इस फ़सल के प्रति आकर्षण का कारण है. पूर्व में डोड़े के छिलके से भी किसान को आय होती थी. किन्तु शासन की नीति में परिवर्तन हो जाने से ईमानदार किसानो को उस आय से वँचित होना पडा है. परिणाम स्वरूप तस्करी, झूठे प्रकरणो व भृष्ठाचार की शिकायते बड़ी संख्या में होने लगी हैं।
इस तस्करी को समाप्त करने व किसानो के खिलाफ झूठे प्रकरणो पर रोक लगाने के लिये डोड़े के छिलको को उसमे निर्धारित प्रतिशत से कम मारफिन होने व जीवन के लिये हानि कारक न होने के कारण नारकोटिक्स एक्ट से बाहर किये जाने की मांग लम्बे समय से की जा रही है. अगर नारकोटिक एक्ट की धारा 8/29 को जमानतीय किया जावे तो किसानो से लूटखसोट रोकी जा सकती है. इस दिशा में कुछ प्रयास जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रारम्भ भी किये गये आशा ही की जा सकती है इन पर शीघ्र निर्णय हो सकेगा ताकि निर्दोष लोगों को न्याय प्राप्ति में सुविधा हो तथा जमानत ना होने के डर से मजबूर होकर किसान को जो लाखो रूपये भृष्ठाचार में देने को जो मजबूर होना पड़ता है उससे निजात मिल सके।
अफीम की खेती मंदसौर नीमच जिले मे किसान की सम्पन्नता का एक महत्व पूर्ण स्त्रोत होने इसे काला सोना भी कहा जाता है।
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