सुवासरामंदसौर जिला

एसडीएम के आदेश का कोई असर नहीं, सरकारी 52 क्वार्टर अब  माफियाओं की गिरफ्त मे

अपनी राजनीतिक रसूख के दम पर सरकारी आवास मे जमे हैं कई सरकारी माफिया

पंकज बैरागी

सुवासरा- नगर के शासकीय आवास 52 क्वार्टर अब सरकारी माफियाओ के गिरफ्त में है। वर्ष 1915 में बना यह सरकारी आवास अंग्रेजी शासन के दौरान ग्वालियर स्टेट के राजा जीवाजीराव सिंधिया ने शासन के कर्मचारियों के निवास करने के लिए बनवाये थे। देश आजाद होने के बाद में इसका उपयोग शासन ने अपने विभिन्न विभागों के कर्मचारी को निवास न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध कराया था। कुछ वर्षों बाद यह शासकीय क्वार्टर लोक निर्माण विभाग की देख रेख में आ गया। इसके बाद से इसका रखरखाव लोक निर्माण विभाग ही करता आ रहा है। लेकिन इन क्वाटर में रहने के लिए मंजूरी अनुविभागीय अधिकारी के कार्यालय से लेना पड़ती है। 110 वर्ष पहले बने इन आवासों का न्यूनतम किराया एक आने से बढ़कर आज 900 रुपये प्रति माह के हिसाब से है। कम किराया होने से यहां पर कई विभागों के शासकीय कर्मचारी निवासरत हैं।

लेकिन कुछ सालों से राजनीति रसूख के कारण ऐसे कर्मचारी यहां पर बस गए हैं। जिनके खुद के अपने निजी मकान नगर और क्षेत्र में है इन कर्मचारियों ने अपने निजी मकानों को किराए से दे रखा है तो कुछ ने अपने निजी मकानों पर ताले जड़ रखे है। और यहां शासकीय आवास में कम किराया होने से इन आवासों को खाली नहीं कर रहे हैं। इस वजह से जरूरतमंद शासकीय कर्मचारियों को अन्यत्र अधिक किराया देकर निवास करना पड़ रहा है। हनुमान मंदिर के सामने स्थित 52 क्वार्टर के नाम से प्रसिद्ध इस शासकीय बिल्डिंग में कुल 48 आवासीय फ्लैट बने हुए हैं चार फ्लैट पुलिस थाना के पुराने भवन में मौजूद है।

17 फरवरी को सीतामऊ अनुविभागीय अधिकारी शिवानी गर्ग ने सुवासरा तहसीलदार को एक आदेश जारी किया था। जिसमें उन्होंने तीन दिवस की समयसीमा में इन शासकीय भवन में निवास कर रहे शासकीय कर्मचारीयो की जानकारी मांगी थी। लेकिन दो माह बीतने को है अभी तक तहसील कार्यालय से चाही गई जानकारी एसडीएम कार्यालय तक नहीं पहुंची है। वही एसडीएम शिवानी गर्ग इस देरी के लिए अन्य शासकीय कार्य की व्यस्तता होने की बात कह रही है। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार एसडीएम ने पटवारी तहसीलदार सहित जिन पांच लोगों की टीम बनाई थी उन्होंने इस जांच में अभी तक कोई रुचि नहीं दिखाई है। तहसीलदार 52 दिन में 52 क्वार्टर के नाम से मशहूर शासकीय आवास की वास्तविक जांच और जानकारी नहीं जुटा पाए। वही एसडीएम भी तहसीलदार की इस लेट लतीफ को नजरअंदाज करती नजर आ रही है।

इनका कहना
मैंने ही तहसीलदार को 52 क्वार्टर स्थित शासकीय आवास की जांच करने के आदेश दिए थे। लेकिन अन्य कार्य की व्यस्तता के चलते में भूल गई थी। अब फिर से इसकी जानकारी ली जाएगी।

शिवानी गर्ग  अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सीतामऊ 
एसडीएम सीतामऊ

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