मंदसौरमध्यप्रदेश
दशम ब्रह्म सम्मेलन संपन्न ,ब्रह्म परिचय पत्रिका का भी हुआ विमोचन
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समाज व देश धरती माँ की तरह होते हैं-नानालाल शर्मा
मन्दसौर (निप्र) आज व्यक्ति बड़ा ही स्वार्थी हो गया है । वह संकट के समय समाज से सहयोग तो चाहता है किंतु जब समाज को उसके सहयोग की आवश्यकता होती है तो वह कोई ना कोई बहाना बनाकर बच निकलने का प्रयास करता है । जबकि समाज व देश हमारी धरती माँ की तरह होते हैं । जिस तरह धरती में हम एक बीज बोते हैं उसके प्रतिफल स्वरूप में कई गुना अन्न धरती माँ हमें प्रदान करती है । यही बात हमारे समाज व देश पर भी लागू होती है । हम समाज व देश को जितना योगदान देंगे उससे कई गुना हमें वापस मिलता है । इस बात को हम जितना जल्दी समझ लेंगे उतना ही हमारे लिए कल्याणकारी होगा ।
उक्त विचार समाजसेवी एवम शिक्षाविद श्री नानालाल शर्मा ने रखे । वे श्री परशुराम धाम, परशुराम नगर (मन्दसौर) में ब्रह्म परिषद द्वारा दिनांक 14 जनवरी 2024, रविवार को आयोजित दशम “ब्रह्म सम्मेलन” में “समाज व देश के प्रति हमारा दायित्व” विषय पर बोल रहे थे । अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि समाज के लिए प्रत्येक व्यक्ति यथासंभव अवश्य योगदान दें क्योंकि यदि समाज विकास करता है तो आप देश के विकास व उसे शक्तिशाली बनाने में ही योगदान देते हैं । हमारा देश विभिन्न समाजों से मिलकर ही बना है और देश के विकास में सभी का दायित्व है । इस अवसर श्री सुनील व्यास ने कहा कि कर्मठता व निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य हमें सफल बनाता है । ब्रह्म सम्मेलन में डॉ. घनश्याम बटवाल ने उपस्थित ब्रह्मजनों को समाजसेवा की
शपथ दिलाई ।
ब्रह्म सम्मेलन में समाज के प्रति समर्पण भाव से योगदान के लिए श्री धीरेन्द्रजी त्रिवेदी, श्री सुरेशचन्द्रजी शर्मा, मन्दसौर व “ब्रह्मदूत” श्री नानालालजी शर्मा, देहरी को शॉल एवम प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर समाज में जागरूकता लाने के लिए सतत कर्मठता से कार्य करने वाले पं. ओमप्रकाश मोड़ चतुर्वेदी, कपिल शर्मा, जगदीश आमेटा (प्रतापगढ़) व डॉ. प्रभुदयाल पालीवाल को “ब्रह्मवीर” सम्मान से सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर सर्व ब्राह्मण समाज की प्रतिष्ठित “ब्रह्म परिचय पत्रिका” का समस्त ब्राह्मण समाज प्रतिनिधियों के करकमलों द्वारा विमोचन किया गया । ब्रह्म सम्मेलन का शुभारंभ सुश्री सूर्या व ऋषि कुमार द्वारा वेद मंत्रोच्चार से किया गया । आयोजन में मध्यप्रदेश व राजस्थान के अनेक नगरों व गांवों के ब्रह्मजनों ने भाग लिया । संचालन संस्थापक गोपालकृष्ण पंचारिया ने किया व आभार श्री सुनील व्यास ने माना ।