भोपालमध्यप्रदेश

श्रीअन्न उत्पादक किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ : कृषि मंत्री श्री कंषाना

रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना से मिलेगा लाभ

मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी की खेती मण्डला, डिण्डोरी, बालाघाट, छिन्दवाड़ा, अनूपपुर, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल, सिवनी और बैतूल जिलों में होती है। कोदो-कुटकी के किसानों की आय में वृद्धि के लिए फसल उत्पादन, भण्डारण, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, उपार्जन, ब्राण्ड बिल्डिंग के साथ वैल्यू चेन विकसित करने के उद्देश्य से रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू की जा रही है। 

कृषि मंत्री श्री कंषाना ने बताया कि मिलेट फसलें विषम जलवायु के प्रति सहनशील है तथा कम उपजाऊ भूमियों में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है। मिलेट अनाज अनेक पोषक तत्वों जैसे-केल्शियम, आयरन, विटामिन, डायटरी फाईबर आदि से परिपूर्ण हैं। वर्तमान में जागरूक उपभोक्ताओं ने ग्लूटेन के विकल्प के लिए खाद्य पदार्थों पर ध्यान देना प्रारंभ कर दिया है। समस्त मिलेट अनाज ग्लूटेन फ्री होते हैं तथा पौष्टिकता को दृष्टिगत रखते हुए इनका महत्व और भी बढ़ जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में श्रीअन्न (मिलेट) फसलों के व्यापक प्रचार-प्रसार से मिलेट उत्पादों की मांग में वृध्दि हुई है। कोदो-कुटकी जैसे मिलेट का बाजार मूल्य 100 रूपये प्रति किलो से भी अधिक है। उपभोक्ताओं में वृद्धि से कृषकों की विशेषकर जनजातीय कृषकों की आय वृध्दि में संभावनाएं बढ़ गई है। निरंतर आपूर्ति न होने, वैल्यू चेन में गैप के कारण कृषकों को इसका उचित लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है। कृषि मंत्री श्री कंषाना ने बताया कि वैल्यू चेन से मिलेट उत्पादक कृषकों की आय में वृद्धि की जा सकती है। रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना से मिलेट उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी।

यह योजना जिलों में पूर्व से मिलेट प्र-संस्करण इत्यादि के लिए कार्यरत समूह को फेडरेशन के रूप में संगठित कर क्षमता वृध्दि तथा कोदो-कुटकी के विपणन एवं ब्राण्डिंग गतिविधियों को बढ़ावा देने की है। योजना वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025- 26 तक चलेगी तथा इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश रहेगा। जनरल बॉडी (आमसभा), संचालक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स), मुख्य कार्यकारी अधिकारी/प्रबंध संचालक और एडवाइजरी कौन्सिल (सलाहकार परिषद) रहेगी। कंपनी अधिनियम-2013 के अंतर्गत कंपनी के रूप में फेडरेशन गठित होगी। फेडरेशन के जो फार्मर्स प्रोडक्शन ग्रुप सदस्य होंगे, वह सामान्य सभा के सदस्य होंगे एवं रोटेशन आधार पर उनके द्वारा संचालक मण्डल के संचालक एवं चेयरमेन का चुनाव किया जायेगा। एडवाईजरी काउंसिल में एक चेयरमेन अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव कृषि, 2 संचालक, एक सीईओ (पदेन सचिव), 3 विशेषज्ञ होंगे, जिसमें आयुक्त या संचालक कृषि, प्रबंध संचालक मण्डी बोर्ड एवं सीईओ मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और एक पर्यवेक्षक सदस्य रहेंगे, जो कि वित्त विभाग के सचिव होंगे।

फेडरेशन करेगा उपार्जन

कोदो-कुटकी की खेती कर रहे कृषकों को उचित मूल्य दिलाना वर्तमान में किसानों को कोदो का लगभग 2000 रूपए प्रति क्विंटल तथा कुटकी का लगभग 3000 रुपए प्रति क्विंटल मूल्य प्राप्त हो रहा है। कृषकों से कोदो-कुटकी एफएक्यू मानक के आधार पर फेडरेशन द्वारा उपार्जित किया जायेगा, जिससे उन्हें उचित मूल्य मिल सकेगा।

फेडरेशन लाभांश भी वितरित करेगा

फेडरेशन द्वारा मिलेट फसलों का उत्पादन, मिलेट उपार्जन, विपणन, ब्राण्ड बिल्डिंग एवं वैल्यू एडिशन का कार्य किया जावेगा। फेडरेशन द्वारा एफपीओ में उपलब्ध अधो-संरचना (भण्डारण, प्र-संस्करण) का उपयोग करते हुए गैप की पूर्ति हेतु अधो-संरचना भी विकसित की जाएगी। इससे फेडरेशन तथा एफपीओ का आर्थिक सुधार होगा तथा फेडरेशन द्वारा कृषकों के साथ लाभांश का बंटवारा किया जाएगा।

प्र-संस्करण अधो-संरचना के लिए अनुदान

फेडरेशन की प्र-संस्करण अधो-संरचना विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जायेगा। शेष 50 प्रतिशत राशि बैंक लोन अथवा संस्था के पास उपलबध राशि का उपयोग किया जा सकेगा। प्रथम द्वितीय एवं तृतीय वर्ष पर देय ब्याज राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा। कृषि अधो-संरचना विकास निधि द्वारा ब्याज पर 3 प्रतिशत छूट, पात्रता अनुसार उपलब्ध कराने हेतु सहयोग किया जायेगा।

कोदो-कुटकी की मार्केटिंग, ब्रॉण्ड वैल्यू एवं वैल्यू चेन के लिये सहायता

कोदो-कुटकी की मार्केटिंग, ब्रॉण्ड वैल्यू एवं वैल्यू चेन हेतु फेडरेशन को 3 वर्षों तक प्रति वर्ष राशि रूपये 15 लाख की सहायता प्रदान की जायेगी।

योजना का क्रियान्वयन एवं मॉनीटरिंग

योजना की क्रियान्वयन एजेंसी किसान कल्याण तथा कृषि विकास होगी। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में योजना अंतर्गत घटक के नार्म्स अनुसार व्यय किया जायेगा। राज्य स्तर पर योजना की समीक्षा एवं मॉनीटरिंग अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, आयुक्त-सह-संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा की जायेगी। संभाग/जिला स्तर पर योजना की समीक्षा एवं मॉनीटरिंग जिला कलेक्टरों तथा संयुक्त/उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा की जायेगी।

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