भोपालमध्यप्रदेशराजनीति

चुनावी विशेषज्ञ मतदान प्रतिशत में होने वाली वृद्धि को सरकार बदलने से जोड़कर देख रहे

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एक प्रतिशत से कम मतदान बढ़ाने पर प्रदेश में सरकार नहीं बदलतीं

✍🏻विकास तिवारी

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है और मतगणना के लिए 3 दिसंबर तक का इंतजार है। इस बीच चुनावी पंडितों के पास ले देकर मतदान के आंकड़े हैं। जिसके आधार पर यह परिणाम का अनुमान लगाने में व्यस्त है। 1980 के बाद से पिछले 43 बरस में मध्यप्रदेश के मतदान के आंकड़े और चुनाव परिणाम के संबंधों को टटोलने का दौर जारी है। खास बात यह है कि यह विश्लेषण भाजपा के लिए उम्मीद जगाने वाला है।

चुनावी विशेषज्ञ मतदान प्रतिशत में होने वाली वृद्धि को सरकार बदलने से जोड़कर देख रहे हैं। और मध्यप्रदेश ने भी अधिकांश अवसरों पर इसे साबित किया है। 1980 के बाद से मतदान के आंकड़े का एक तथ्य भाजपा की उम्मीद जगाता है। जब भी प्रदेश में पिछले चुनाव की तुलना में मतदान में वृद्धि एक प्रतिशत से कम रही है। उसी समय पिछली सरकार रिपीट हुई है। इतिहास के आईने में देखा जाए तो 1985 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 49.83 प्रतिशत मतदान हुआ था। जो की 1980 की तुलना में केवल 0.83 प्रतिशत अधिक था इन चुनाव में कांग्रेस फिर से सत्ता में आई थी इसी तरह का वाक्य 1998 की विधानसभा चुनाव में सामने आया था जब मतदान का प्रतिशत 60.22 था।

यह 1993 की तुलना में 0.33 परिषद घटा था और कांग्रेस एक बार फिर अपनी सरकार बना बचाने में सफल हुई थी इस बार चुनाव आयोग के आंतरिक आंकड़ों के अनुसार मतदान 0.59 प्रतिशत बड़ा है। यानी कि मतदान में परिवर्तन 1% से कम है। इसलिए आंकड़ों के आईने में वह भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

3.50 प्रतियों से ज्यादा पर सत्ता परिवर्तन

मध्य प्रदेश में 1985 के चुनाव के बाद से जब-जब मतदान में तीन प्रतिशत से अधिक अंतर आया है तब- तब सत्ता परिवर्तन हुआ है। 1990 में 54.19 प्रतिशत मतदान हुआ था जो की 1985 की तुलना में 5.64 प्रतिशत अधिक था इन चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी। इसी तरह से 1993 के विधानसभा चुनाव में मतदान 6.33% बढ़कर 60. 52 प्रतिशत हो गया। इन चुनाव में भी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था और कांग्रेस की वापसी हो गई थी। इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में 1998 की तुलना में 7.03 प्रतिशत मतदान बड़ा था और यहां 67.03 प्रतिशत हो गया था इन चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। और यह मध्य प्रदेश के इतिहास में पिछले चुनाव की तुलना में हुई सर्वाधिक वृद्धि हुई थी।

इसके बाद 2018 के चुनाव मे 2013 की तुलना मे 3.56 बढ़कर 75.63 प्रतिशत मतदान हुआ और प्रदेश मे एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो गया।

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