कृषि दर्शनभोपालमध्यप्रदेश

रबी सीजन में नरवाई नहीं जलाने से अच्छी फसल हुई

      संतोष बताते हैं कि जब मैंने खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सोचा तो मेरे मन में आया कि पहले जब कच्चे घरों की ओटलियां टूट जाती थी, तो उन्हें मिट्टी से दोबारा छापा जाता था। उस मिट्टी में गेहूं का भूसा मिलकर उसकी छपाई तथा लिपाई की जाती थी। उस ओटले में केंचुए की संख्या बहुत अधिक रहती थी। मेरे मन में आया कि खेतों में केंचुओं की संख्या बढ़ाने के लिए जमीन में गेहूं का भूसा मिलाना अच्छा रहेगा। इस कारण मैंने तय किया कि गेहूं के नरवाई को जलाने की बजाय उसे खेतों की मिट्टी में ही मिला दिया जाए और मैंने ऐसा ही किया। इस वर्ष मेरे खेत में फसलों को नुकसान भी नहीं हुआ है। संतोष को उम्मीद है कि इस बार सोयाबीन की फसल अच्छी होगी। 

            जिले के कृषि अधिकारियों ने भी खेत का निरीक्षण कर इस कार्य की सराहना की है। आसपास के किसानों ने भी अब इस तरह का कार्य करने का मन बना लिया है। सीहोर जिले में कृषि विकास एवं किसान-कल्याण विभाग द्वारा किसानों खेतों में नरवाई न जलाने की लगातार समझाइश दी जा रही है।

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