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पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन मां कभी कुमाता नहीं होती – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसमें प्रभु भक्ति के बारे मे विस्तार से बताया जा रहा है।
बुधवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि मां की ममता का वर्णन नहीं किया जा सकता है। मां कभी अपनी संतानों का बुरा नहीं करती है। पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन मां कभी कुमाता नहीं होती है। मां अपने बच्चों से कभी नाराज नहीं होती है। संतश्री ने बताया कि भगवान को किसी ने नहीं देखा लेकिन भगवान सर्व विद्यमान है शास्त्रो में लिखे अनुसार हम भगवान पर भरोसा करते है और हमारे काम भी सिद्ध होते है। हमारा नाता भगवान से बहुत पुराना है।
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि हम इस धरती पर भगवन को जानने ही आयें यदि जान ले तो हमारा जीवन सफल और नहीं जान पायें तो बहुत हानि होती है और हम विभिन्न भवों में भटकते है इसलिए अपना लक्ष्य निर्धारित करो, तीर्थ पर जाओं, अतिथि सत्कार करों, धीरे – धीरे भगवान को प्राप्त कर लोगे। संतश्री ने बताया कि तीर्था पर हमें पाप करने से बचना चाहिए क्योंकि अन्य स्थानों पर किये गये पाप तीर्थो पर जाकर नष्ट हो जाते है लेकिन तीर्थो र किये गये पाप कभी नष्ट नहीं होते है।धर्मसभा के अंत में प्रभु की आरती उतारी कर प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, प्रहलाद काबरा, राधेश्याम गर्ग, जगदीश गर्ग, मदनलाल गेहलोत, पं शिवशंकर शर्मा, शंकरलाल सोनी, इंजि आर सी पाण्डेय, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राव विजयसिंह सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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