आलेख/ विचारनीमचमध्यप्रदेश
वक्फ बोर्ड और कानून-इन जमीनों का बेजा इस्तेमाल और गैर कानूनी तरीके से बेचने को रोका जा सके

वक्फ बोर्ड और कानून-इन जमीनों का बेजा इस्तेमाल और गैर कानूनी तरीके से बेचने को रोका जा सके
-किशोर जेवरिया
नीमच मध्यप्रदेश
मो. 9425108612
वक्फ का मतलब होता है अल्लाह के नाम जब कोई व्यक्ति या पैसा दान देता है अथवा चल अचल सम्पत्ति जकात में देता है, इस पर किसी का मालिकाना हक नहीं होता, यह अल्लाह की सम्पत्ति होती है। उस सम्पत्ति को देने वाला उसे कभी वापस नहीं ले सकता। भारत में मुस्लिम शासकों ने अपने शासनकाल में कई मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अन्य कई धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों का निर्माण करवाया। इन स्थलों के साथ आसपास की जमीन भी वक्फ के रूप में दान कर दी थी।
भारत से बंटवारे के समय पाकिस्तान गये अधिकतर मुसलमान अपनी सम्पत्ति वक्फ के हाथों सौंप गये थे, ताकि कोई दूसरा उसका इस्तेमाल नहीं कर सके। इसके अलावा अगर किसी ने अपनी सम्पत्ति वक्फ के नाम कर दी हो, अथवा कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन का लम्बे समय से इस्तेमाल कर रही हो जो सर्वे में वक्फ की सम्पत्ति होना साबित हुआ हो, वह भी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति हो जाती है।
कानूनी तौर पर वक्फ बोर्ड को मिलने वाली इन जमीनों का उपयोग धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिये करता है, जैसे मस्जिद, मदरसे, अस्पताल, सराय और गरीबों की मदद करना इत्यादि।
भारत से बंटवारे के समय पाकिस्तान गये अधिकतर मुसलमान अपनी सम्पत्ति वक्फ के हाथों सौंप गये थे, ताकि कोई दूसरा उसका इस्तेमाल नहीं कर सके। इसके अलावा अगर किसी ने अपनी सम्पत्ति वक्फ के नाम कर दी हो, अथवा कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन का लम्बे समय से इस्तेमाल कर रही हो जो सर्वे में वक्फ की सम्पत्ति होना साबित हुआ हो, वह भी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति हो जाती है।
कानूनी तौर पर वक्फ बोर्ड को मिलने वाली इन जमीनों का उपयोग धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिये करता है, जैसे मस्जिद, मदरसे, अस्पताल, सराय और गरीबों की मदद करना इत्यादि।
आजादी के बाद भारत में कांग्रेस सरकार वक्फ एक्ट 1954 लेकर आई। यह कानून इसलिए लाया गया था ताकि वक्फ से जुडे कामकाज को सरल बनाया जा सके और वक्फ की सम्पत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके, ताकि इसकी सम्पत्ति का उपयोग धार्मिक और चेरिटेबल उद्देश्यों के लिये हो। इस अधिनियम में वक्फ की सम्पत्ति पर दावे और रखरखाव तक का प्र्रावधान है। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिये बनाया गया था जिससे इन जमीनों का बेजा इस्तेमाल और गैर कानूनी तरीके से बेचने को रोका जा सके।
सन 1964 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन केन्द्रीय वक्फ परिशद (सीडब्ल्यूसी) की स्थापना की गई जो केन्द्र सरकार को वक्फ बोर्डों के कामकाज के लिये सलाह देती है। देश में अभी 32 राज्य वक्फ बोर्ड और एक केन्द्रीय वक्फ बोर्ड है। कई राज्यों में शिया सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है वह तय करता है कि कौन सी सम्पत्ति वक्फ की है और कौन सी नहीं।
वर्तमान में वक्फ के पस अनुमानित 9.4 लाख एकड जमीन है। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली व असीमित अधिकारों को लेकर समय समय पर आवाजें उठाई जाती रही हैं। बताया जाता है कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जहां वक्फ बोर्डों ने अवैध रूप से निजी जमीन पर कब्जा कर लिया और उस पर वक्फ की सम्पत्ति के रूप में दावा किया गया है।
सन 1995 और सन 2013 में इस अधिनियम में और संशोधन किए गए जिसमें वक्फ बोर्डों को सम्पत्ति पर हक जमाने के असीमित अधिकार मिल गये। इसके बाद वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार की बहुत आलोचना की जाने लगी थी।
वर्तमान में वक्फ बोर्ड इसलिए ज्यादा चर्चा में इसलिए आया है कि सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन विधेयक लाने वाली है इसमें लगभग 40 संशोधनों की रूपरेखा दी गई थी। बाद में सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन के लिये संयुक्त संसदीय समिति गठित की। जिसने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी है। जिसके अनुसार केन्द्र व राज्य व वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य भी शामिल करना होगा। महिला प्रतिनिधियों को भी शामिल करना होगा। वक्फ सम्पत्तियों के दावों के लिये अनिवार्य सत्यापन प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा जिससे अवैध कब्जों को रोका जा सके। जिला मजिस्ट्रेट की भागीदारी बढाई जाएगी। वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों में कमी की जाएगी। वक्फ की सम्पत्तियों का डिजीटलीकरण किया जाएगा। ऑडिट प्रणाली में सुधार किये जाएंगे। अवैध रूप से कब्जा की गई सम्पत्ति को वापस लेने के लिये कानूनी सुधार किए जाएंगे। राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड में सदस्य नामित करने की अनुमति होगी। वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों में वृद्धि की जाएगी। वक्फ सम्पत्तियों के अनाधिकृत हस्तांतरण पर कडी सजा का प्रावधान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति, वक्फ सम्पत्तियों के रिकार्ड का कम्पयूटरीकरण एवं वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव करना शामिल है। इस विधेयक के पास होने के बाद विवाद की स्थिति में जमीन पर दावा करने वाला व्यक्ति वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यु कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील कर सकेगा। अभी तक ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी भी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता था।
इस समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई थी। संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाये गये हैं। केन्द्रीय केबिनेट ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। सरकार इस विधेयक को पास कराने के लिये इस बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पारित कराने के लिये ला सकती है।
केन्द्र और राज्य वक्फ बोर्ड कमेटी में गैर मुस्लिम सदस्य रखने पर आपत्ति हो सकती है, परन्तु कोई भी सामाजिक, धार्मिक या अन्य कोई संस्था संवैधानिक एवं न्यायिक दायरे से बाहर नहीं होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धार्मिक अथवा राजनैतिक संगठन से जुडी हुई हो।
सन 1964 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन केन्द्रीय वक्फ परिशद (सीडब्ल्यूसी) की स्थापना की गई जो केन्द्र सरकार को वक्फ बोर्डों के कामकाज के लिये सलाह देती है। देश में अभी 32 राज्य वक्फ बोर्ड और एक केन्द्रीय वक्फ बोर्ड है। कई राज्यों में शिया सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है वह तय करता है कि कौन सी सम्पत्ति वक्फ की है और कौन सी नहीं।
वर्तमान में वक्फ के पस अनुमानित 9.4 लाख एकड जमीन है। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली व असीमित अधिकारों को लेकर समय समय पर आवाजें उठाई जाती रही हैं। बताया जाता है कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जहां वक्फ बोर्डों ने अवैध रूप से निजी जमीन पर कब्जा कर लिया और उस पर वक्फ की सम्पत्ति के रूप में दावा किया गया है।
सन 1995 और सन 2013 में इस अधिनियम में और संशोधन किए गए जिसमें वक्फ बोर्डों को सम्पत्ति पर हक जमाने के असीमित अधिकार मिल गये। इसके बाद वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार की बहुत आलोचना की जाने लगी थी।
वर्तमान में वक्फ बोर्ड इसलिए ज्यादा चर्चा में इसलिए आया है कि सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन विधेयक लाने वाली है इसमें लगभग 40 संशोधनों की रूपरेखा दी गई थी। बाद में सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन के लिये संयुक्त संसदीय समिति गठित की। जिसने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी है। जिसके अनुसार केन्द्र व राज्य व वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य भी शामिल करना होगा। महिला प्रतिनिधियों को भी शामिल करना होगा। वक्फ सम्पत्तियों के दावों के लिये अनिवार्य सत्यापन प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा जिससे अवैध कब्जों को रोका जा सके। जिला मजिस्ट्रेट की भागीदारी बढाई जाएगी। वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों में कमी की जाएगी। वक्फ की सम्पत्तियों का डिजीटलीकरण किया जाएगा। ऑडिट प्रणाली में सुधार किये जाएंगे। अवैध रूप से कब्जा की गई सम्पत्ति को वापस लेने के लिये कानूनी सुधार किए जाएंगे। राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड में सदस्य नामित करने की अनुमति होगी। वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों में वृद्धि की जाएगी। वक्फ सम्पत्तियों के अनाधिकृत हस्तांतरण पर कडी सजा का प्रावधान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति, वक्फ सम्पत्तियों के रिकार्ड का कम्पयूटरीकरण एवं वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव करना शामिल है। इस विधेयक के पास होने के बाद विवाद की स्थिति में जमीन पर दावा करने वाला व्यक्ति वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यु कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील कर सकेगा। अभी तक ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी भी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता था।
इस समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई थी। संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाये गये हैं। केन्द्रीय केबिनेट ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। सरकार इस विधेयक को पास कराने के लिये इस बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पारित कराने के लिये ला सकती है।
केन्द्र और राज्य वक्फ बोर्ड कमेटी में गैर मुस्लिम सदस्य रखने पर आपत्ति हो सकती है, परन्तु कोई भी सामाजिक, धार्मिक या अन्य कोई संस्था संवैधानिक एवं न्यायिक दायरे से बाहर नहीं होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धार्मिक अथवा राजनैतिक संगठन से जुडी हुई हो।