मंदसौरमंदसौर जिला
बालिका गृह-अपना घर की बालिकाएं विश्व योग दिवस की कर रही है तैयारियां
पतंजलि योग गुरू बंशीलाल टांक दे रहे प्रशिक्षण
मन्दसौर। सीतामऊ फाटक स्थित बालिका गृह अपना घर की बालिकाएं विगत 1 सप्ताह से 21 जून विश्व योग दिवस का अभ्यास कर रही है। योग प्रशिक्षण योग महर्षि स्वामी रामदेवजी के पतंजलि योग संस्थान हरिद्वार से सम्बद्ध 82 वर्षीय पतंजलि योग संगठन जिला प्रभारी योग गुरू बंशीलाल टांक प्रतिदिन प्रातः 6 से 7.15 बजे तक प्रशिक्षण दे रहे है।
श्री टांक विश्व योग दिवस प्रोटोकाल के साथ संस्थान के 8 प्राणायाम और शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिये व्यायाम के अंतर्गत आसन-योगिक-जोगिक बैठक, 12 दण्ड बैठक का अभ्यास करा रहे है।
श्री टांक का कहना है कि वर्तमान में जहां एक और भयंकर प्रदूषित वातावरण में मजबूरी में हमें जीना पड़ रहा है। कोरोना जैसे अदृश्य वायरस के चपेट में आ जाते है। चारों और नई बीमारियों से हम त्रस्त है। बीमारियां की विभिषिकाएं हमें घेरे हुए है। ऐसे में यदि हमे असमय अकाल मृत्यु के काल का ग्रास नहीं बनना है तो प्रतिदिन कम से कम 1 घण्टा योग को अपने जीवन का अंग बना लेना चाहिये।
योग गुरू श्री टांक ने योग प्राणायाम के अतिरिक्त जिन्हें सर्दी, जुकाम, नजला, साईनेस जैसे नाक गले के रोगों से बरसों से पीड़ित थे उन्हंे केवल जलनेती कराकर ठीक किया है। असमर्थ होने पर टांक को बीमार व्यक्तियों द्वारा उपचार के लिये अपने निवास पर बुलाने पर श्री टांक निःशुल्क उनकी सेवा उपचार करने चले जाते है और जलनेती तथा प्राणायाम कराकर उनको स्वस्थ करते है।
श्री टांक विश्व योग दिवस प्रोटोकाल के साथ संस्थान के 8 प्राणायाम और शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिये व्यायाम के अंतर्गत आसन-योगिक-जोगिक बैठक, 12 दण्ड बैठक का अभ्यास करा रहे है।
श्री टांक का कहना है कि वर्तमान में जहां एक और भयंकर प्रदूषित वातावरण में मजबूरी में हमें जीना पड़ रहा है। कोरोना जैसे अदृश्य वायरस के चपेट में आ जाते है। चारों और नई बीमारियों से हम त्रस्त है। बीमारियां की विभिषिकाएं हमें घेरे हुए है। ऐसे में यदि हमे असमय अकाल मृत्यु के काल का ग्रास नहीं बनना है तो प्रतिदिन कम से कम 1 घण्टा योग को अपने जीवन का अंग बना लेना चाहिये।
योग गुरू श्री टांक ने योग प्राणायाम के अतिरिक्त जिन्हें सर्दी, जुकाम, नजला, साईनेस जैसे नाक गले के रोगों से बरसों से पीड़ित थे उन्हंे केवल जलनेती कराकर ठीक किया है। असमर्थ होने पर टांक को बीमार व्यक्तियों द्वारा उपचार के लिये अपने निवास पर बुलाने पर श्री टांक निःशुल्क उनकी सेवा उपचार करने चले जाते है और जलनेती तथा प्राणायाम कराकर उनको स्वस्थ करते है।