31 हेक्टेयर भूमि पर ‘सुविधि रेयॉन्स’ नामक आधुनिक कपड़ा इकाई स्थापित हो रही,इससे 1500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा

मोरवन क्षेत्र में 350 करोड़ रुपये के निवेश से लगने वाली ‘सुविधि रेयॉन्स’ फैक्ट्री को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों से जनता गुमराह न हों
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एमपीआईडीसी उज्जैन (मप्र शासन) के कार्यकारी निदेशक श्री राजेश राठौड़ का आधिकारिक बयान, सभी भ्रांतियों और अफवाहों का जवाब
नीमच 3 नवंबर 2025
“नीमच जिले के मोरवन क्षेत्र में 350 करोड़ रुपये की भारी-भरकम निवेश से 31 हेक्टेयर भूमि पर ‘सुविधि रेयॉन्स’ नामक आधुनिक कपड़ा इकाई स्थापित हो रही है। मध्य प्रदेश सरकार की औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत आवंटित इस परियोजना से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है। फैक्ट्री मुख्य रूप से तीन कार्य करेगी—कपड़ा बुनाई, प्रोसेसिंग और गारमेंट सिलाई।
इससे लगभग 1500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, जिनमें अधिकांश स्थानीय युवक, युवतियां और महिलाएं होंगी। खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ग्रामीणों को घर के पास ही स्थायी, सम्मानजनक नौकरी का अवसर मिलेगा। इससे न केवल व्यक्तिगत आय बढ़ेगी, बल्कि पूरे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों का नया तंत्र विकसित होगा।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति फैक्ट्री की प्रतिबद्धता इसका सबसे मजबूत पक्ष है। यह ‘जीरो लिक्विड डिस्चार्ज’ (ZLD) तकनीक पर आधारित होगी, जिसका अर्थ है कि फैक्ट्री से एक बूंद भी गंदा पानी बाहर नहीं निकलेगा। प्रक्रिया में प्रयुक्त जल को टैंकों में एकत्रित कर RO सिस्टम, मल्टी-स्टेज फिल्टर और थर्मल वाष्पीकरण तकनीक से शुद्ध किया जाएगा। शुद्ध जल का पुनर्चक्रण फैक्ट्री के भीतर ही होगा—बुनाई, धुलाई, गार्डनिंग, टॉयलेट और सफाई जैसे कार्यों में। शेष गाढ़ा अपशिष्ट (स्लज) सूखाकर ठोस रूप में परिवर्तित किया जाएगा और सरकारी मान्यता प्राप्त अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों या सीमेंट उद्योगों में भेजा जाएगा। इससे न तो डैम का जल दूषित होगा, न खेतों में रिसाव होगा और न ही पशु-पक्षियों पर कोई प्रभाव पड़ेगा।
मोरवन डैम के जल पर किसानों का प्रथम अधिकार अक्षुण्ण रहेगा। सिचाई और स्थानीय उपयोग के बाद बचा जल ही फैक्ट्री को आवंटित किया जाएगा। साथ ही, वैकल्पिक जल स्रोतों की व्यवस्था भी की जा रही है, ताकि स्थानीय जरूरतों पर कोई दबाव न पड़े।
वायु प्रदूषण नियंत्रण भी अत्याधुनिक है। बॉयलर में मुख्य ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस और स्वच्छ बायोमास (धान की भूसी, पराली) का उपयोग होगा। कोयला केवल अत्यंत सीमित मात्रा में और आपात स्थिति में प्रयुक्त होगा। धुएं को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ESP), बैग फिल्टर और रियल-टाइम ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। ये उपकरण धूल, राख और हानिकारक गैसों को 99% तक रोक लेंगे। शेष फ्लाई ऐश का पुनरुपयोग ईंट भट्टों, सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योग में होगा, जिससे कचरा भी उपयोगी संसाधन बन जाएगा। पर्यावरण विभाग को नियमित रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि पारदर्शिता और अनुपालन सुनिश्चित रहे।
आर्थिक लाभ बहुआयामी हैं। किसान अपनी फसल अवशेष (भूसी, पराली) बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करेंगे। माल परिवहन से ट्रक, टेम्पो चालकों को नियमित काम मिलेगा। स्थानीय दुकानें, होटल, चाय की दुकानें, सब्जी-राशन विक्रेता—सबकी ग्राहकी बढ़ेगी। महिलाओं को सिलाई, पैकिंग, सफाई जैसे कार्यों में प्राथमिकता मिलेगी, जिससे घरेलू आय और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी। बिजली मिस्त्री, प्लंबर, मशीन ऑपरेटर जैसे कुशल-अकुशल श्रमिकों को भी स्थायी रोजगार मिलेगा।
फैक्ट्री परिसर में सघन वृक्षारोपण, हरियाली और बंद प्रणाली से धूल-बदबू पर पूर्ण नियंत्रण रहेगा। श्रमिकों के लिए एयर-कंडीशनड हॉल में काम का बेहतर वातावरण होगा, जो खुले खेतों की तुलना में कहीं अधिक आरामदायक और सुरक्षित है।
कुल मिलाकर, ‘सुविधि रेयॉन्स’ केवल एक फैक्ट्री नहीं, बल्कि मोरवन के लिए समृद्धि, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का जीवंत मॉडल है। कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें निराधार हैं। यह परियोजना आधुनिक तकनीक, पारदर्शी नीति और सामुदायिक विकास के सिद्धांतों पर आधारित है।”
एमपीआईडीसी उज्जैन के कार्यकारी निदेशक श्री राजेश राठौड़ के अनुसार, यह क्षेत्र को आर्थिक उन्नति की नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
स्रोत: एमपीआईडीसी उज्जैन



