दुनिया में पेट की नहीं, पेटियों की लड़ाई है – संत दिव्येश रामजी महाराज

शामगढ़ में चल रही सत्प्रेरणा चातुर्मास कथा में महाकाल ज्योतिर्लिंग की महिमा, भीम-हनुमान संवाद कथा का ज्ञानामृत
शामगढ़ । पोरवाल मांगलिक भवन, मकड़ी रोड पर चल रही “सत्प्रेरणा” चातुर्मास कथा के अंतर्गत संत श्री दिव्येश रामजी राम महाराज के मुखारविंद से श्रावण मास के पावन अवसर पर शिव पुराण की कथा का श्रवण किया जा रहा है।
गत दिवस कथा में तीसरे ज्योतिर्लिंग – महाकालेश्वर उज्जैन की कथा का विस्तृत वर्णन किया गया, जिसमें राजा चंद्रसेन और एक बालक भक्त की भक्ति के चमत्कारी प्रसंग ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
महाकाल कथा – भक्ति बनाम बाहुबल की विजयगाथा
राजा चंद्रसेन शिवभक्ति में लीन रहते थे। उन्हें एक दिव्य मणि प्राप्त हुई, जिससे आसपास के राजाओं में ईर्ष्या फैली और उज्जैन पर आक्रमण की योजना बनी। किंतु राजा चिंतित नहीं हुए और शिव पूजा में लीन रहे।
इसी आयोजन में एक पाँच वर्ष का बालक, अपनी विधवा माँ के साथ पूजा में आया। राजा की प्रेरणा से उसने एक शिवलिंग बनाकर भक्ति की शुरुआत की। उसकी निष्कलंक भक्ति से भगवान प्रसन्न हुए और एक झोपड़ी विशाल रत्नजटित महल में बदल गई।
इस घटना ने यह सिद्ध किया कि “भगवान को सिर्फ निर्मल मन चाहिए, न धन न वैभव”।
भीम और हनुमान संवाद – अभिमान का अंत -कथा में आगे महाभारत प्रसंग के अंतर्गत भीम और हनुमान संवाद का वर्णन किया गया। गंधमादन पर्वत पर पुष्प लाने निकले भीम का रास्ता एक वृद्ध वानर (हनुमान जी) ने पूछ फैलाकर रोका। भीम अभिमान में पूछ हटा न सका, और अंततः हनुमान जी के चरणों में झुकना पड़ा।
संदेश स्पष्ट था –बल, रूप, वैभव का गर्व अंततः विनम्रता के आगे नतमस्तक होता है।
संत श्री दिव्येश रामजी महाराज ने वर्तमान समाज पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज दुनिया में पेट की नहीं, पेटियों (तिजोरियों) की लड़ाई है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि लोग धर्म के नाम पर काले धन से भंडारे कर रहे हैं, जबकि वह पैसा लूटा हुआ है, धर्म नहीं। लूट का पैसा लुटाया गया है, पुण्य नहीं कमाया गया।
उन्होंने कहा कि”धन का दुरुपयोग, छल-कपट, हत्या, अनाचार – सब बस धन के पीछे। और फिर उसी धन से मंदिरों में दान करके मोक्ष की आशा रखते हैं, ये केवल आत्मप्रवंचना है।” मानव जीवन की सीख और अगली कथा की घोषणा
संत श्री ने कथा के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि जीवन में भक्ति, विनम्रता, सेवा और आत्मशुद्धि ही असली धर्म है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे धन के मोह से ऊपर उठकर मानवता के मार्ग पर चलें।
अंत में घोषणा की गई कि अगले दिन कथा में चौथे ज्योतिर्लिंग – ओंकारेश्वर की महिमा का वर्णन किया जाएगा।