
किशनगढ़ ताल
ठाकुर शंभू सिंह तंवर
सनातन धर्म विराट एवं विस्तृत हे सिर्फ राम के नारे लगाने से काम नहीं चलेगा धर्म की रक्षा के लिए हमे आगे आना होगा हमारी संस्कृति को बचाना होगा अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा देनी होगी आचार विचार सीखना होगे उक्त विचार भगवान अनादि कल्पेश्वर महादेव मंदिर पर चौथे दिन की शिव महापुराण में मालवा माटी के आचार्य पंडित मनमोहन जी कश्यप ने व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि आज लोग धर्म से ज्यादा अधर्मीयो के साथ खड़े रहते हे सच्चाई का साथ देने में कतराते हैं ।
आगे पशुओं की बलि प्रथा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने मांस मदिरा गांजे का कोई व्यसन नहीं किया था लेकिन लोग अपने स्वार्थ के लिए भेरू जी एवं माता जी के नाम पर पशुओं की बलि देकर अपने शौक पूरे कर रहे हैं।
हमारे देश में पहले दूध की नदिया बहती थी भारत के लोग j युद्ध में कभी परास्त नहीं होते थे क्योंकि वे यज्ञ और तप करते थे जिनके तप को नष्ट करने के लिए असुरों ने लंका से मदिरा मंगाकर ऋषियों और संतों को बलपूर्वक पिलाई और उनका धर्म नष्ट किया जब से हमारे देश में मदिरा का प्रचलन बढ़ा।
उन्होंने कहा कि जो सुख हरिनाम में हे वो संसार मे नहीं मिलेगा, व्यक्ति को ग्रहस्त में प्रवेश करने से पहले शिव एवं नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए कथा में ऋषि अत्री एवं माता अनुसुइया के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि सती अनुसुइया के पतिव्रत धर्म का पालन करने से मां गंगा एवं भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया जिसके कारण मां मंदाकिनी का नदी के रूप प्राकट्य हुआ में आज की कथा में माता सती की विदाई एवं भगवान कार्तिकेय के जन्म का प्रसंग सुनाया भगवान शिव के तेज को छह माताओं ने ग्रहण किया था जिससे कार्तिकेय जी का जन्म हुआ इन छह माताओं ने उनका लालन पालन किया जिससे उनका नाम सदानंद पड़ा ।
आज की कथा की यजमानी का लाभ राजकुमार रावल पुजारी परिवार ने लिया जहां उन्होंने पोथी पूजा कर संत जी का सम्मान कर प्रसादी वितरण की।
