योग

भोलेनाथ ही प्रथम योगी ,शिव जी ने ही सष्टि को योग का ज्ञान दिया

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शिव को आदियोगी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के अनुसार भोलेनाथ ही प्रथम योगी माने जाते हैं. कहा जाता है कि शिव जी ने ही सष्टि को योग का ज्ञान दिया ।

हिंदू शास्त्रों और धर्मग्रंथों में उन्हें कैलाश पर्वत पर कमल मुद्रा में बैठे हुए, गहरी समाधि में, ब्रह्मांड की घटनाओं से अप्रभावित दिखाया गया है।योग संस्कृति में, शिव भगवान के रूप में नहीं, बल्कि आदियोगी या प्रथम योगी- योग के जनक के रूप में जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्होंने ही मानव मन में इसका बीजारोपण किया था। योग कथाओं के अनुसार, लगभग पंद्रह हज़ार साल से भी पहले, हिमालय पर पूर्ण आत्मज्ञान प्राप्त करके शिव अत्यंत आनंदविभोर हो झूम उठे। उन्होंने हिमालय पर उन्मुक्त होकर परमानंद नृत्य किया।कई सालों के पश्चात, दीक्षा पूर्ण होने पर, इसने सात पूर्ण आत्मज्ञानी जनों को जन्म दिया- प्रसिद्ध सात योगी जो आज सप्तऋषि के नाम से जाने जाते हैं और भारतीय संस्कृति में पूजित और सम्मानित हैं। शिव ने इनमें से हरेक के अंदर योग का एक अलग आयाम स्थापित किया और ये आयाम योग के सात मूल रूप बन गए। आज भी, योग ने इन सात विशिष्ट रूपों को बनाए रखा है ।

योग और तंत्र का प्रारंभ है. योग में मोक्ष और परमात्मा प्राप्ति के मार्ग छिपे हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं शिव जी से जुड़े 4 योगासन जो व्यक्ति को सदा निरोगी रखने में सहायक हैं.

लिंग मुद्रा-

लिंग मुद्रा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘प्रतीक’ या ‘रूप’, जो लिंग का प्रतिनिधित्व करता है. यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने के लिए जानी जाती है. यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने के लिए जानी जाती है. इस मुद्रा के अभ्यास से अस्थमा, बढ़ता वजन, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी समस्या को दूर करने में मददगार है.

हनुमानासन-

हनुमान जी भोलेनाथ के ही अवतार हैं. जिस तरह हनुमान जी बेहद बलशाली थे, उसी तरह इस आसन की मदद से आप भी अपनी हडि्डयों को मजबूत कर सकते हैं. यह दिमाग को शांत करता है और मानसिक तनाव से राहत दिलाता है. इससे व्यक्ति का चित्त एक स्थाई रूप से काम करने में मददगार होता है.

शांभवी मुद्रा-

धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने देवी पार्वती को यह मुद्रा सिखाई थी, जोकि स्त्री शक्ति को सक्रिय करता है. यह मुद्रा शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है. इस निरंतर अभ्यास से व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने में सफलता पाता है.

नटराजासन-

शिव शंकर का एक और नाम नटराज भी है इसलिए इसे नटराज आसान नाम दिया गया है.ये सृष्टि की प्रचुरता का प्रतीक है.नटराजासन योग का जिक्र प्राचीन शास्त्रों में भी मिलता है, जिसको दिनचर्या का हिस्सा बनाकर योगी-ऋषि शरीर को स्वस्थ और स्वस्थ रखा करते थे. इसे डांसर पोज के तौर पर भी जाना जाता है. इसके जरिए मानसिक एकाग्रता बढ़ती है,शरीर संतुलित होता है.

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