प्रेरणा/बधाईयांभोपालमध्यप्रदेश

लगभग 6 साल पहले तक गुमनाम रहे एक सरकारी स्कूल के सामने अब बड़े-बड़े सुविधा सम्पन्न निजी स्कूल भी फीके नजर आते

साझा प्रयासों से ऐसे बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर

यहाँ बात हो रही है ग्वालियर शहर की खल्लासीपुरा शिंदे की छावनी बस्ती में संचालित छोटे से “शासकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीमहल” की। विद्यालय के शिक्षक श्री दिनेश चाकणकर जिन पर जिला योग प्रभारी का दायित्व भी है, वे बताते हैं कि पहले ये स्कूल केवल एक छोटे से कमरे में संचालित होता था। वर्ष 2017-18 में यहाँ पदस्थ होने के बाद दिनेश चाकणकर ने समाजसेवी अंजली गुप्ता के साथ स्कूल के कायाकल्प का बीड़ा उठाया। पहले इन्होंने व्यक्तिगत तौर पर स्कूल में सुविधाएँ जुटाने का काम किया। जब स्कूल की ख्याति बढ़ी तो ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित शहर के अन्य समाजसेवी भी स्कूल के विकास में सहयोग के लिये आगे आ गए।

विद्यालय के विकास के लिए मंत्री श्री तोमर भी आगे आए

शिक्षकों व बच्चों की लगन देखकर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने राज्य शासन की योजनाओं के तहत इस स्कूल में एक अतिरिक्त कक्ष, सामूहिक कार्यक्रमों के लिये बड़ा हॉल व बालिकाओं के लिए अलग से शौचालय का निर्माण करवाया है। साथ ही पूरे भवन की रंगाई-पुताई भी करा दी है।

समाजसेवियों ने अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में बनवाई स्मार्ट क्लास

समाजसेवी श्रीमती अंजली गुप्ता की पहल पर शहर के एक समाजसेवी ने अपने जन्म दिन पर इस स्कूल में स्मार्ट कक्ष तैयार करने में आर्थिक मदद दी। साझा प्रयासों से स्कूल में फर्नीचर और स्मार्ट क्लास के जरूरी उपकरण भी जुटा लिए गए। श्रीमती बत्रा ने इस विद्यालय में एक पुस्तकालय और बच्चों के रचनात्मक कार्य प्रदर्शित करने के लिये डिस्प्ले दीवार भी बनवाई है।

योगाभ्यास बच्चों की दिनचर्या में शामिल

यह सरकारी स्कूल जिले के अन्य स्कूलों के लिये उदाहरण बन गया है। यहाँ अध्ययनरत बच्चे प्रतिदिन प्राणायाम करते हैं और सभी बच्चे योग के विभिन्न आसन लगाने में निपुण हैं। विद्यालय में मनोरंजन तरीके से प्रतिदिन बच्चे योगाभ्यास करते हैं। स्कूल की कक्षाएँ शुरू होने से पहले हर दिन प्रार्थना होती है और सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन मंत्र का गायन करने के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।

हर दिन होता है मोटीवेशनल प्रोग्राम

शिक्षक श्री चाकणकर बताते हैं कि लगभग 6 वर्ष पहले जब स्कूल की कायाकल्प के लिये कदम आगे बढ़ाए तब सबसे पहले बच्चों की रूचि योगाभ्यास व खेलों के प्रति जगाई। इससे बच्चों में एकाग्रता बढ़ी और वे मन लगाकर पढ़ाई करने लगे। स्कूल में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगी है, इस पर प्रतिदिन मोटीवेशनल प्रोग्राम के लिये भी समय तय है। बच्चों को हर दिन एक महापुरूष के जीवन परिचय से परिचित कराया जाता है। इंटरनेट का खर्च शिक्षक स्वयं वहन करते हैं।

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