मंदसौरमध्यप्रदेश

गांधीसागर अभयारण्य को अपना नया घर बनाने के बाद चीतों को रास आ रही नीलगाय, हर दूसरे दिन कर रहे शिकार

गांधीसागर अभयारण्य को अपना नया घर बनाने के बाद चीतों को रास आ रही नीलगाय, हर दूसरे दिन कर रहे शिकार

गांधीसागर अभयारण्य में हाल ही में स्थानांतरित किए गए चीतों ने यहां के जंगलों को न सिर्फ अपनाया है, बल्कि यहां के वन्यजीवों खासकर नीलगायों को अपने शिकार के लिए पसंद भी किया है।अभयारण्य के अधिकारियों के अनुसार, ये चीते औसतन हर दूसरे दिन नीलगाय या अन्य शिकार को पकड़ रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और अनुकूलन की स्थिति मजबूत होती दिख रही है।

चीतों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव

कुनो नेशनल पार्क से स्थानांतरित किए गए इन चीतों के लिए गांधीसागर अभयारण्य एक उपयुक्त आवास साबित हो रहा है। शुरुआत में चिंता थी कि क्या वे नए वातावरण में खुद को ढाल पाएंगे, लेकिन अब ये चीते न केवल जंगल में सक्रिय रूप से घूम रहे हैं, बल्कि खुले मैदानों में शिकार भी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों के अनुसार, चीतों की शिकार करने की यह नियमितता इस बात का प्रमाण है कि उन्हें पर्याप्त भोजन मिल रहा है और वे अपने नए परिवेश में पूरी तरह सहज हो चुके हैं।

वन मंडलाधिकारी मंदसौर संजय रायखेरे के अनुसार अभयारण्य में नीलगायों की संख्या अच्छी-खासी है, और चीतों ने उन्हें अपनी प्राथमिक शिकार सूची में रख लिया है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि वे बिना किसी बाहरी सहायता के जंगल में खुद को स्थापित कर रहे हैं।

शिकार की रणनीति और गतिविधियाँ

ट्रैकिंग कॉलर और कैमरा ट्रैप की मदद से वन विभाग लगातार चीतों की गतिविधियों पर नज़र रख रहा है। प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि चीते अक्सर तड़के सुबह या देर शाम शिकार करते हैं। नीलगायें, जो खुले घास के मैदानों में चरती हैं, चीतों के लिए आसान शिकार साबित हो रही हैं।

इसके अलावा, कुछ मौकों पर चीतों ने चीतल और चिंकारा को भी निशाना बनाया है।

प्रोजेक्ट चीता की दिशा में एक और सफलता

भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए शुरू किए गए “प्रोजेक्ट चीता” को गांधीसागर में सफलता मिलती दिख रही है। कुनो के बाद गांधीसागर दूसरा ऐसा अभयारण्य बन गया है, जहां चीते प्राकृतिक रूप से शिकार कर रहे हैं और जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WhatsApp Icon
Whatsapp
ज्वॉइन करें
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}