आलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश
राज्य शिक्षा केंद्र एवं जन शिक्षकों का कोई औचित्य नहीं है
यह केंद्र, अपने मूल शिक्षा विभाग पर ही हावी हो रहे हैं
-रमेशचन्द्र चन्द्रे
शिक्षाविद मन्दसौर
मध्यप्रदेश जन शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत राज्य शिक्षा केंद्र का गठन किया गया था, जिसे शिक्षा संबंधी समस्याओं का अध्ययन तथा शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर उनका हल ढूंढने का काम दिया था किंतु राज्य शिक्षा केंद्र शिक्षा विभाग पर भारी पड़ रहा है, जबकि इसमें जितनी भी नियुक्तियां होती है वह सभी प्रति नियुक्ति होती है जिसमें कोई भी अधिकारी कर्मचारी 3 साल से अधिक अपनी सेवाएं नहीं दे सकता। 3 साल के बाद उसे अपने मूल विभाग में जाना पड़ता है किंतु इस विभाग की तानाशाही इस कदर बढ़ गई है कि यह मंत्रियों की भी बात नहीं मानते और अपने आपको एक स्वतंत्र संगठन के रूप में घोषित करते हैं तथा 10-10 साल से इस विभाग में जमे हुए हैं।
उक्त विचार व्यक्त करते हुए शिक्षाविद रमेशचन्द्र चन्द्रे ने कहा कि, राज्य शिक्षा केंद्र का कोई औचित्य सिद्ध नहीं हो रहा है, जबकि हर जिले में 400-500 कर्मचारी काम करते हैं किंतु उसके परिणाम सुखद नहीं है।
श्री चन्द्रे ने कहा कि, राज्य शिक्षा केंद्र शिक्षा विभाग के पैरेरल संगठन बनता जा रहा है जिसके कारण, मूल शिक्षा विभाग अपने कार्य को ठीक प्रकार से संपन्न नहीं कर पाता और और शासकीय और अशासकीय स्कूलों को एक ही प्रकार की जानकारियां अलग-अलग विभागों में देना पड़ती है जो शिक्षा को मूल लक्ष्य से भटका रही है
इसके अतिरिक्त जिले में डी पी सी एवं बीआरसी भी वही काम करते हैं जो पूर्व में शिक्षा विभाग किया करता था किंतु इस प्रकार का अतिरिक्त कार्य राज्य शिक्षा केंद्र को सौंपा गया है वह एक प्रकार से शासकीय खजाने पर बोझ साबित हो रहा है।
श्री चन्द्रे ने यह भी कहा कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जन शिक्षकों की नियुक्ति भी निरर्थक सिद्ध हो रही है जबकि उनके स्थान पर सहायक जिला शाला निरीक्षक की नियुक्ति करना चाहिए जो शालाओं का भौतिक सत्यापन करने के उचित अधिकारी होंगे। जन शिक्षक की अवधारणा किसी निरीक्षण से जुड़ी हुई नहीं है किंतु यह जन शिक्षक मूल काम से हटकर , स्कूलों में जा जा कर रौब झाड़ने का काम करते हैं।
श्री चन्द्रे ने सरकार से मांग की है कि, इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और राज्य शिक्षा केंद्र के औचित्य पर विचार विमर्श कर इसको समाप्त किया जाना चाहिए तथा इसके समस्त कर्मचारियों को उन्हें उनके मूल शिक्षा विभाग में स्थानांतरित कर देना चाहिए इससे जिला शिक्षा अधिकारी की शक्तियों में वृद्धि होगी तथा प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ेगा।
श्री चन्द्रे ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि संपूर्ण मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में कर्मचारियों का टोटा पड़ा हुआ है जबकि इन राज्य शिक्षा केंद्रों में शिक्षा विभाग के कर्मचारी ही प्रतिनियुक्ति पर हैं तथा जो कार्य शिक्षा विभाग कर सकता है उन्हीं कार्यों को यह रिपीट करता है तथा अनावश्यक काम के बोझ को बढ़ाता है। इसलिए राज्य शिक्षा केंद्र को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए तथा जन शिक्षकों के पद भी समाप्त कर देना चाहिए। इस कारण शिक्षा विभाग को पूरे मध्यप्रदेश में 5000 कर्मचारी अतिरिक्त मिल जाएंगे।
रमेशचन्द्र चन्द्रे
उक्त विचार व्यक्त करते हुए शिक्षाविद रमेशचन्द्र चन्द्रे ने कहा कि, राज्य शिक्षा केंद्र का कोई औचित्य सिद्ध नहीं हो रहा है, जबकि हर जिले में 400-500 कर्मचारी काम करते हैं किंतु उसके परिणाम सुखद नहीं है।
श्री चन्द्रे ने कहा कि, राज्य शिक्षा केंद्र शिक्षा विभाग के पैरेरल संगठन बनता जा रहा है जिसके कारण, मूल शिक्षा विभाग अपने कार्य को ठीक प्रकार से संपन्न नहीं कर पाता और और शासकीय और अशासकीय स्कूलों को एक ही प्रकार की जानकारियां अलग-अलग विभागों में देना पड़ती है जो शिक्षा को मूल लक्ष्य से भटका रही है
इसके अतिरिक्त जिले में डी पी सी एवं बीआरसी भी वही काम करते हैं जो पूर्व में शिक्षा विभाग किया करता था किंतु इस प्रकार का अतिरिक्त कार्य राज्य शिक्षा केंद्र को सौंपा गया है वह एक प्रकार से शासकीय खजाने पर बोझ साबित हो रहा है।
श्री चन्द्रे ने यह भी कहा कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जन शिक्षकों की नियुक्ति भी निरर्थक सिद्ध हो रही है जबकि उनके स्थान पर सहायक जिला शाला निरीक्षक की नियुक्ति करना चाहिए जो शालाओं का भौतिक सत्यापन करने के उचित अधिकारी होंगे। जन शिक्षक की अवधारणा किसी निरीक्षण से जुड़ी हुई नहीं है किंतु यह जन शिक्षक मूल काम से हटकर , स्कूलों में जा जा कर रौब झाड़ने का काम करते हैं।
श्री चन्द्रे ने सरकार से मांग की है कि, इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और राज्य शिक्षा केंद्र के औचित्य पर विचार विमर्श कर इसको समाप्त किया जाना चाहिए तथा इसके समस्त कर्मचारियों को उन्हें उनके मूल शिक्षा विभाग में स्थानांतरित कर देना चाहिए इससे जिला शिक्षा अधिकारी की शक्तियों में वृद्धि होगी तथा प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ेगा।
श्री चन्द्रे ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि संपूर्ण मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में कर्मचारियों का टोटा पड़ा हुआ है जबकि इन राज्य शिक्षा केंद्रों में शिक्षा विभाग के कर्मचारी ही प्रतिनियुक्ति पर हैं तथा जो कार्य शिक्षा विभाग कर सकता है उन्हीं कार्यों को यह रिपीट करता है तथा अनावश्यक काम के बोझ को बढ़ाता है। इसलिए राज्य शिक्षा केंद्र को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए तथा जन शिक्षकों के पद भी समाप्त कर देना चाहिए। इस कारण शिक्षा विभाग को पूरे मध्यप्रदेश में 5000 कर्मचारी अतिरिक्त मिल जाएंगे।
रमेशचन्द्र चन्द्रे