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सीएम डॉ. यादव की घोषणा: उज्जैन में देश का दूसरा कालगणना का मंदिर

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उज्जैन- विद्याशंकर मंदिर श्रृंगेरी (कर्नाटक) की तर्ज पर उज्जैन में देश का दूसरा कालगणना का मंदिर बनाया जाएगा। यह जिले की महिदपुर तहसील के अंतर्गत डोंगला वेधशाला परिसर में बनेगा। आचार्य वराहमिहिर न्यास ने इसके लिए 18 बीघा जमीन पर तैयारी शुरू कर दी है। परिसर में स्थाई हेलीपैड भी बनाया जा रहा है ताकि वीआईपी आसानी से यहां आ सकें। सीएम डॉ. मोहन यादव भी ट्रस्ट से जुड़े हैं और यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है।

उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र स्थल माना जाता है। पुराने समय में यह कालगणना का केंद्र रहा है। डोंगला वेधशाला में बनने वाला कालगणना मंदिर श्रृंगेरी के विद्याशंकर मंदिर से छोटा होगा, लेकिन लोग यह भी कालगणना के लिए महत्वपूर्ण होगा। खास बात यह कि खगोलविज्ञान गहरी रुचि रखने वाले प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है और विधानसभा में उन्होंने घोषणा की है कि सरकार प्राइम मेरिडियन को वापस उज्जैन में स्थापित करने की दिशा में काम करेगी।

डोंगला वेधशाला का संचालन करने ट्रस्ट आचार्य वराहमिहिर न्यास ने यहां कर्कराज मंदिर बनाने की योजना तैयार की है। वेधशाला के प्रकल्प अधिकारी घनश्याम रत्नानी ने बताया मंदिर में आने से एक सामान्य व्यक्ति जो ज्योतिष का जानकर नहीं है वह भी देख सकेगा कि सूर्य किस राशि में चल रहे। वेधशाला परिसर में वीआईपी के आने के समय अस्थाई हेलिपेड बनाया जाता है, लेकिन अब इसे स्थाई रूप दिया जा रहा है।

बारह राशियों और नौ ग्रह पर आधारित होगा मंदिर

न्यास के सचिव डॉ. रमण सोलंकी ने बताया डोंगला वेधशाला मंदिर परिसर में मंदिर निर्माण और हेलिपेड आदि के लिए 18 बीघा जमीन खरीदी जा चुकी है। परिसर में कालगणना और खगोलीय जानकारियों के लिए कर्कराजेश्वर मंदिर बनाया जाएगा, जो बारह राशियों और नवग्रह पर केंद्रित होगा। यह श्रृंगेरी के विद्याशंकर मंदिर जैसा ही होगा। इसके अध्ययन के लिए ट्रस्ट पदाधिकारियों के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव भी तत्कालीन यूडीए अध्यक्ष रहते विद्याशंकर मंदिर गए थे। तभी से उज्जैन में कर्कराजेश्वर मंदिर की योजना पर काम चल रहा है। अब इसकी तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

विद्याशंकर मंदिर जैसा बनेगा

यह वास्तुकला का सुंदर और दिलचस्प मंदिर है जो पुराने रथ से समानता रखता है।

इस मंदिर में छह दरवाजे हैं। मंडप के चारों ओर बारह 12 स्तंभ हैं, जिस पर सौर चिन्ह बने हैं।

आयताकार मंदिर के 12 खंभे राशि चक्र के खंभे के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।

इन सभी स्तंभों पर बारह राशियों की नक्काशियों को प्रदर्शित किया गया है।

हर सुबह जब सूरज की किरणें प्रवेश करती हैं, तो वे वर्ष के महीने का संकेत देने वाले एक विशेष स्तंभ से टकराती हैं।

इसका निर्माण 1338 ई. में विद्यारान्य, नामक ऋषि द्वारा किया गया था।

मुख्य मंदिर में श्री विद्याशंकर की समाधि के ऊपर एक शिव लिंग है और इसे विद्याशंकर लिंग के रूप में जाना जाता है।

हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों ने अपने गुरु, विद्यातीर्थ की समाधि पर मंदिर का निर्माण करवाया था।

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