मंदसौरमंदसौर जिला

अ. भा. साहित्य परिषद द्वारा अटल काव्य गोष्ठी संपन्न

मैं उस पथ पर चलने आया हूं जिस पथ पर चले राम

 

मन्दसौर। अ. भा. साहित्य परिषद मंदसौर इकाई द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री एवं साहित्यकार कवि अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन के अवसर पर अटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। अतिथि एडवोकेट गोपाल कृष्ण पाटिल, अजय डांगी, नंद किशोर राठौड़, गोपाल बैरागी, डॉ.उर्मिला तोमर, हरिओम बरसोलिया, एवं साहित्य परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र भावसार ने अटल जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम प्रारंभ किया।
नंदकिशोर राठौर द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। काव्य पाठ करते हुए शकुंतला धाकड़ ने कहा ‘‘वो कहां गए, ये जीवन की नैया डगमगा रही, बीच भंवर में नैना कहां किनारे खो गए’’। पूजा शर्मा द्वारा अटल बिहारी को हिंदी का गौरव बताते हुए कहां की ‘‘वो राणा की दहाड़ थे शिवा के भाल थे’’। चंदा डांगी ने देश भक्ति पूर्ण कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘‘मेरी माटी मेरा देश, नहीं चाहिए सोना चांदी, नहीं चाहिए हीरा मोती, इस माटी में जीना मुझको, इस माटी में मर जाना’’। सुनीता शर्मा ने युग पुरुष को नमन करते हुए कहा ‘‘काश खुदा मुझको भी इतनी नेमत बक्क्षै निकलूं जब अंतिम सफर पर हर आंख से पानी बरसे’’।
गायक कलाकार चेतन व्यास ने नरेंद्र भावसार द्वारा लिखी गुरु वंदना ‘‘करते हैं प्यार हम गुरुदेव आपसे वंदन है अभिनंदन है गुरुदेव आपका’’ सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया। युवा कवि धु्रव जैन ने अटल जी की कविता ‘‘बेनकाब चेहरे हैं सबके चेहरे गीत नहीं गाता हूं’’ अपने चिर परिचित अंदाज में प्रस्तुत की। युवा कवि उज्जवल बारेठ ने अटल जी पर कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘‘पल-पल तुझको रौंद कर स्वाभिमान को घसीटा है’’। राजकुमार अग्रवाल ने गीत ‘‘आरंभ है प्रचंड’’ प्रस्तुत कर सबकी वाह वाही लूटी ।
वरिष्ठ साहित्यकार अभय मेहता ने कहा कि ‘‘तू रोना नहीं मर के भी तेरा लाल मरेगा नहीं’’, नरेंद्र त्रिवेदी ने अटल जी की कविता ‘‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता कदम मिलाकर चलना होगा बाधाएं आती है आए’’ सुनाकर पूरे सदन की दाद बटोरी। हरिओम बरसोलिया ने जल संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि ‘‘मालव धरती की यही कहानी होटल में रोटी और बोतल में पानी’’ ।  अजय डांगी ने युवा पीढ़ी से आव्हान करते हुए  कहा ‘‘भारत के लोगों आओ इसे मिलकर विकसित बनाओ’’
सुप्रसिद्ध हास्य कवि नरेंद्र भावसार ने रामराज्य की कल्पना करते हुए कहां ‘‘मैं उस पथ पर चलने आया हूं जिस पथ पर चले राम’’ इस कविता के माध्यम से आपने कलयुग की रामायण का एक प्रसंग प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी में माहौल को भगवा मय करते हुए कहा ‘‘धर्म ध्वजा लहराई है, मेरे पूरे भारत में भगवान की भक्ति छाई है’’ तो वहीं ललित बटवाल द्वारा गुरु शक्ति का गुणगान किया गया।
कवि गोष्ठी को संबोधित करते हुए गोपाल कृष्ण पाटिल ने कहा यह धरती कभी विरों से खाली नहीं रही यह धरती कभी दानवीरों से खाली नहीं रही। डॉ उर्मिला तोमर ने अटल जी की रचना ‘‘भारत धरती का टुकड़ा नहीं जीता जागता राष्ट्र पुरुष है’’ प्रस्तुत की। संचालन नरेंद्र भावसार द्वारा किया गया आभार सुरेंद्र शर्मा द्वारा व्यक्त किया।

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