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डिप्टी CM दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा की नियुक्ति को चुनौती,न्यायालय पहुंचा मामला

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संविधान में उपमुख्यमंत्री जैसा कोई पद नहीं, तो इस पद की शपथ कैसे ले ली गई…?

राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। ये मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। जयपुर शहर के एक वकील ओम प्रकाश सोलंकी ने डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के खिलाफ जनहित मुकदमा दायर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि संविधान में इन पदों का कोई उल्लेख नहीं है।संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, उप-प्रधानमंत्री भारत के उपराष्ट्रपति की तरह कोई संवैधानिक पद नहीं है बल्कि यह एक राजनीतिक पद है। उप-प्रधानमंत्री पद उस वक्त भारत में आया, जब 1947 में सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे ही भारत में डिप्टी सीएम पद का विकास हुआ था। खासकर अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं है तो डिप्टी सीएम कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता कर सकते हैं और विधानसभा बहुमत का नेतृत्व कर सकते हैं। डिप्टी सीएम गोपनीयता की शपथ उसी के अनुरूप लेते हैं, जो मुख्यमंत्री लेते हैं। PIL लगाने वाले अधिवक्ता ओमप्रकाश सोलंकी का तर्क है कि संविधान में उपमुख्यमंत्री का कोई पद ही नहीं है तो इस पद की शपथ कैसे ले ली गई? इस पीआईएल की सुनवाई जल्द ही होगी। अब इंतजार है कि हाईकोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाता है। नियुक्ति को वैध या अवैध घोषित किया जाएगा।

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