सीएम पर पीएम का दिल्ली में मैराथन चिंतन मंथन, चोकाएँगे मोदी?

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सूबे का सरदार कौन?चोकाएँगे मोदी..!!
सबसे मजबूत दांवा शिवराज का, क्षत्रप “मामा” के नाम पर नही राजी
कैलाश, प्रहलाद, भार्गव के नाम चर्चा में, तोमर, वीडी भी उम्मीद से
दो दिन से दिल्ली में ही डेरा डाले है विजयवर्गीय, शाह से चार बार हुई मुलाकात
✍🏻विकास तिवारी
सूबे में चुनाव हो गए, लेकिन सीएम का चुनाव अभी शेष हैं। 72 घन्टे बाद भी ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है कि सूबे का सरदार कौन? क्या शिवराजसिंह ही बने रहेंगे या कोई नया चेहरा आएगा? नए चेहरे में भी वे ही नाम सामने आएंगे जो चल रहे हैं, चर्चा में है या भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कोई सरप्राइज नाम सामने करेगा? 5 माह बाद आ रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फेरबदल होगा भी या नही? इस सब बातों पर मंगलवार को दिल्ली में लम्बा चिंतन मंथन चला। पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सीएम के सवाल पर पहले ढाई घन्टे मैराथन बैठक हुई। बाद में अमित शाह पहुचे। फिर एक घण्टा इस प्रश्न का जवाब तलाशा गया कि यथा स्थिति बनाये रखे या बदलाव करे।
दिल्ली पहुँचे प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी जीत का श्रेय मोदी मैजिक को देते हुए इसे संगठन की रीति नीति औऱ प्लानिंग की विजय मुक़र्रर किया। उन्होंने 45 से 50 प्रतिशत वोट बटोरने को उपलब्धि मानते हुए उसे ही प्रचारित कर अपने नम्बर बढ़ाये हैं। पीएम मोदी द्वारा पीठ थपथपाने और रोड शो में बगल में खड़ा करने के बाद शर्मा भी उम्मीद से है कि वे सीएम हो जाये। शर्मा की ये हसरत अध्यक्षी की कुर्सी के साथ ही बलवती हो चली थी। नतीजतन पूरे समय शिवराज सिंह के समक्ष चला-चली की बेला” बनी भी रही। शर्मा का यू भी अध्यक्ष का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है और वे एक्सटेंशन पर चल रहे हैं। ऐसे में उम्मीद बड़ी हुई है।
दिल्ली पहुँचने वालो में प्रहलाद पटेल भी रहे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा पटेल का ही है कि वे सीएम बन रहे है। उन्होंने तो बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस कर एमपी की जीत का श्रेय मोदी औऱ केंद्रीय नेतृत्व को दिया। वैसे सूबे की राजनीति में देखा जाए तो पटेल स्वाभाविक दावेदार है सीएम पद के लेकिन हर बार वे किनारे आकर लौट जाते हैं। इस बार माई नर्मदा के इस मानस पुत्र के साथ क्या होता है? देखना दिलचस्प रहेगा। बताया जा रहा है कि गोपाल भार्गव को भी दिल्ली बुलाया गया था। पार्टी के कद्दावर नेता भार्गव तो चलते चुनाव में स्वयम को सीएम बता चुके हैं। ऐसे ने इस विप्रवर के साथ इस बार केंद्रीय नेतृव क्या सुलूक करता है, इस पर सबकी नजर है।
मजबूत दांवा मामा का, क्षत्रप राजी नही
अनथक परिश्रम औऱ महिलाओ में लोकप्रियता के मद्देनजर सबसे मजबूत दांवा लाड़लियों के लाडले मामा का ही बन रहा हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनका ये दांवा 80 फीसदी उनके पक्ष में है लेकिन प्रचण्ड बहुमत दिल्ली दरबार को बदलाव के लिए प्रेरित कर रहा हैं। मामला 120-130 सीट तक सिमटता तो फिर दिल्ली दरबार बदलाव का जोखिम नही उठाता। उस सूरत में शिवराज की स्वीकार्यता बरकरार रहना थी। अब बात 160 से ऊपर की है। ये आंकड़ा ही मामा के आड़े आ गया है फिर भी शिवराज बेफिक्र है।
सूत्र उनकी बेफिक्री के पीछे मातृसंस्था को बता रहे है। सूत्रों की माने तो आरएसएस का एक धड़ा मामा को डिस्टर्ब करने के मूड में नही है लेकिन वो ये हक़ीक़त भी जान रहा है जो क्षत्रपों के सामने आने से सामने आई हैं। संघ ये भी जानता है कि ये जीत सामुहिक प्रयासों की है। ऐसे में आरएसएस एक हद तक ही मामा का साथ दे पाएगा। ऐसे में बदलाव की संभावनाओं को पंख लग रहे हैं। लेकिन ये किसी को भूलना नही चाहिए कि जब जब शिवराज को बिदा हुआ माना, वे औऱ मजबूत बनकर उभरे। ऐसे में सूबे की सरदारी पर संशय बरकरार है।
एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन मे क्या?
एमपी के मन मे मोदी है। इसका खुलासा तो वोटिंग मशीनों ने 3 दिसम्बर को कर दिया लेकिन मोदी के मन मे एमपी को लेजर क्या चल रहा हैं? ये किसी को खबर नही। 3 राज्यो की ऐतिहासिक जीत निःसन्देह मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व का ही नतीजा है। लिहाजा मोदी भी अब इस जीत के हिसाब से चेहरा तय करने में जुटे हैं। जब जब वे किसी प्रान्त के मुखिया के चयन में सक्रिय होते है तो फिर कुछ न कुछ नया औऱ चौकाने वाला ही सामने आता हैं। झारखंड के रघुवरदास से शुरू हुआ ये सिलसिला हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर से होते हुए महाराष्ट्र के देवेन्द्र फडणवीस तक पहुँचा था।
दिल्ली दरबार यू भी वसुंधरा राजे, शिवराजसिंह चौहान और रमन सिंह से पीछा छुड़ाना चाह रहा हैं। केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष ये “गोल्डन समय” है जब वह अपनी मंशा को पूरा कर सकता हैं। इसीलिए ही स्वय प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को दिल्ली में इस विषय पर लम्बी बैठक की औऱ एक एक संभावित नाम पर खूब पड़ताल की। ये भी तलाशा गया कि बदलाव का असर कही मिशन 2024 पर , तो नही पड़ेगा? सारा मामला यही आकर अटका है कि बदलाव की बयार लोकसभा की सम्भावनाओं पर कोई उल्टा असर तो नही डालेगी?