ऑनलाइन व्यवसाय एक त्रासदी न बन जाये
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राजनगर (गोवर्धनलाल कुमावत)। व्यापारी, व्यापार, ऑनलाइन व्यवसाय और समाज मे फैल रही आर्थिक और सामाजिक विषमताएं जिम्मेदार कौन कोई कुछ ना कहने को तैयार न ही कुछ करने को तैयार बस सामाजिक रूप से हम अपंग से हो गए ऐसा लगता है व्यापार से हट कर आदमी से आदमी की दूरी क्यो बढ़ रही है नित प्रतिदिन बाजारों में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्यायें हो रही है छोटे और मझोले व्यापार खत्म हो रहे है बाजारों से रौनक गायब है आखिर कहा गायब हो गया गुलज़ार रहने वाले बाजारों से ग्राहक इसका एक मात्र कारण ऑनलाइन व्यवसाय है और शायद जिम्मेदार भी हम स्वयं है क्योंकि हमें अपनी दुकान, प्रतिष्ठान, उद्योग पर नदारद ग्राहक की कमी तो खल रही है परन्तु शायद हम स्वयं या हमारे परिवार इस कमी का एक मात्र कारण भी स्वयं बन रहे हैअधिकांश समान के उपभोक्ता हम स्वयं होने के कारण ऑनलाइन व्यवसाय को प्रतिबंधित नही कर पा रहे है यही हाल सरकारों का है जो कुछ सोचने और कुछ करने को तैयार नही व्यापार मंडल चीख चीख कर इस ओर प्रतिबंध या फिर इस पर कठोर नियम लागू करने की बात करते है लेकिन लगता है की भैंस के आगे हम लोग बीन बजा रहे है इसके लिए हम भविष्य में आने वाले किसी बड़े खतरे से अनजान नज़र आ रहे है हम भविष्य के उन अनजान खतरों को स्वयं पाल पोस कर बड़ा करने में व्यस्त है जिसका नाम ऑनलाइन व्यवसाय है धीरे धीरे इस ऑनलाइन व्यवसाय रूपी दानव ने जिस प्रकार अपना कद बढ़ाया है लगता है वह कम होने की बजाय बढ़ता ही जायेगा, और सरकारें भविष्य में अपने आप को असहाय महसूस करेंगी परन्तु शायद तब तक देर न हो जाये l