मंदसौरमंदसौर जिला
मानवता और राष्ट्रीयता के भाव को जन जन में जागृत करने संपूर्ण भारत की पद यात्रा करेंगे संतद्वय
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पू.स्वामी श्री निर्मल चेतन्य जी महाराज ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी
मंदसौर। परम पूज्य संत द्वय स्वामी श्री निर्मल चैतन्य जी महाराज और परम पूज्य स्वामी श्री राजेंद्र पुरी जी महाराज ने संपूर्ण भारतवर्ष की पदयात्रा करने का संकल्प लिया है।
श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में श्री हरि नाम संकीर्तन पदयात्रा समिति द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूज्य श्री निर्मल चेतन्य जी महाराज ने कहा कि 4 साल पूर्व जब वह मंदसौर आए थे तो इसी धरा से उन्हें संपूर्ण देश की पदयात्रा करने की प्रेरणा मिली। और यही मैंने संकल्प लिया की पदयात्रा करनी है सौभाग्य से मुझे पूज्य स्वामी श्री राजेंद्र पुरी जी महाराज का भी साथ मिला और हम दोनों ही युवा संन्यासी संपूर्ण भारत की पदयात्रा करेंगे। मानवता और राष्ट्रीयता का भाव लेकर 25 अक्टूबर को दक्ष मंदिर कनखल हरिद्वार से यात्रा का शुभारंभ होगा। यात्रा में देश के लगभग 500 संत साथ चलेंगे। हम दोनों ही संतों ने पदयात्रा की तैयारी के स्वरूप देश के पूज्य संतों से मिलकर उन्हें पदयात्रा और इसके उद्देश्य से अवगत कराया और आमंत्रित भी किया जिनमें आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी महाराज, राजेंद्र दास जी महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, प्रेमानंद जी महाराज, सहित अनेक पूज्य संत शामिल है। पूज्य संतों यात्रा में साथ चलने और यात्रा की सफलता के लिए पूरा आशीर्वाद दिया है।स्वामी जी ने बताया कि 25 अक्टूबर को हरिद्वार से यह पदयात्रा का शुभारंभ होगा जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी उपस्थित रहेंगे। आपने बताया कि पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, समरसता, पर्यावरण संरक्षण, युवा जागरण संस्कृति का पुनरुत्थान जन-जन के मन से वेमनस्यता का भाव खत्म हो आध्यात्मिकता का विकास हो प्रत्येक व्यक्ति धर्मशील होकर सु संस्कृत जीवन जिए। भारत के हर भाषा, प्रांत के हर वर्ग के हर स्तर के हर धर्म के व्यक्ति तक भारतीय दर्शन सर्वे भवंतु सुखिनः और सभी को धार्मिक रूप से संपन्न बनाकर सफल जीवन जीने की प्रेरणा मिले यही सब उद्देश्य इस यात्रा के हैं। आपने बताया कि 25 अक्टूबर 2023 को दक्ष मंदिर कनखल हरिद्वार से इस यात्रा का शुभारंभ होगा हरि नाम संकीर्तन करते हुए पूरे भारत की पदयात्रा होगी जहां-जहां विश्राम होगा वहां भजन संकीर्तन और प्रवचनों के माध्यम से आम जनों को यात्रा के उद्देश्य से जोड़ा जाएगा। पदयात्रा संपूर्ण भारतवर्ष का भ्रमण करने के बाद राजस्थान के रास्ते मालवा में प्रवेश करते हुए मंदसौर रतलाम होकर सिहस्थ 2028 में उज्जैन में समाप्त होगी। आपने पत्रकारों के प्रश्न के उत्तर में कहा कि हमारी इस पदयात्रा के उद्देश्य स्पष्ट हैं किसी भी तरह से राजनीति का इससे कोई दूर-दूर तक लेना देना नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सनातन को खत्म करने वाली बात तो वैसी ही है जैसे सूर्य के तेज को किसी साधारण वस्त्र से इस नियत से ढकना कि अब सूर्य का प्रकाश नहीं फैलेगा। क्या यह संभव है कि किसी साधारण से वस्त्र से सूर्य का प्रकाश रुक जाए सनातन धर्म भी सूर्य की तरह है इसका ना कोई आदि है ना कोई अंत इसीलिए इसे कहा जाता है सनातन। इसे खत्म करने की बात करना ही व्यर्थ है।
पूज्य स्वामी श्री राजेंद्र पुरी जी महाराज ने इस पत्रकार वार्ता में अपने विचार रखते हुए कहा कि युवा वर्ग को धर्म अध्यात्म से जोड़ने उन्हें सही दिशा व दशा देने का भी प्रयास इस पदयात्रा के माध्यम से किया जाएगा। आरंभ में पूज्य स्वामी जी ने भगवान श्री कृष्ण के विग्रह और पूज्य श्री केशव सर्वजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। डॉ. घनश्याम बटवाल ने दोनो पूज्य संतों का परिचय प्रस्तुत किया।
पूज्य स्वामी जी द्वय का स्वागत पत्रकारों की ओर से नरेंद्र धनोतिया महावीर जैन व केशव सत्संग भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीश सेठिया ने किया संचालन ब्रजेश जोशी ने किया आभार केशव सत्संग भवन ट्रस्ट के सचिव कारुलाल सोनी ने माना।
*एक परिचय पूज्य स्वामी श्री निर्मल चेतन जी महाराज*
तपो मूर्ति वीतराग शिरोमणि परम पूज्य स्वामी निर्मल चेतन्य जी महाराज एक प्रखर एवं ऊर्जावान सन्यासी के रूप में नैतिक जीवन और आचरण के धनी हैं। उनके दिव्य व तेजस्वी मुखारविंद से मूल कथाओं का रसपान धर्म प्रेमी जनता करती हैं। उनके स्पष्ट और मूल कथा के दर्शन को सुनाने की शैली से श्रद्धालु इतने प्रभावित होते हैं कि जो एक बार आपको सुनते हैं वह बार-बार आपको सुनने की इच्छा रखते हैं। स्वामी जी वेदांत दर्शन में एम.ए. हैं। साथ एक प्रखर चिंतक,और राष्ट्रवादी साधक के रूप में पूजनीय है आपके द्वारा उत्तराखंड एवं भारत के मुख्य हिस्सों से लेह लद्दाख और नेपाल के पदयात्रा पहले की जा चुकी है स्वामी जी मां नर्मदा मैया की तीन बार लगभग 20000 किलोमीटर की पदयात्रा से परिक्रमा कर चुके हैं।आपके द्वारा 100 से अधिक शिव पुराण, राम कथा, श्रीमद् भागवत कथा, एवं देवी भागवत कथा हो चुकी है। मां नर्मदा के परम उपासक पूज्य स्वामी जी का कोई आश्रम या ट्रस्ट नहीं है आप एक सचे संत का जीवन जीते हुए इस पदयात्रा के माध्यम से जन-जन के और राष्ट्र कल्याण की भावना लिए यह पदयात्रा करेंगे।