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अहिंसा बहुत ताकत होती है, जहां भगवान का वास होता है वहां हिंसा नहीं रहती – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसमें प्रभु भक्ति के बारे मे विस्तार से बताया जा रहा है।
सोमवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में भी अहिंसा को सबसे ताकतवार बताया गया है और जहां प्रभु का वास होता है वहां हिंसा जन्म तक नहीं लेती। शिव परिवार का उदाहरण देते हुए संतश्री ने बताया कि शिव परिवार में भगवान शिव माता पार्वती के साथ उनकी दोनो संतानें कार्तिकेय और गणेश जी रहते है गणेश जी वाहन चूहा है कार्तिकेय का वाहन मोर है तो भगवान के शिव के गले में सृप विराजित रहते हैं यह तीनों की आपस में एक – दूसरे के भोजन है लेकिन वहां भगवान का वास है तो आपसी दुश्मन भी प्रेम भाव से रहते है। कहने का तात्पर्य यह है कि जहां ईश्वर का वास होता है जहां स्वय ईश्वर विराजित होते है वहां हिंसा नहीं होती है।
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि सांसारिक जीवन के बंधनों में गिरा मनुष्य प्रतिदिन नई समस्याओं से गिरता रहता है इन बंधनों से छुटने के लिए मनुष्य को प्रभु की शरण में जाना चाहिए। भजन तेरी शरण……… प्रभु तेरी शरण मैं आया हूं के माध्यम से भगवान का वर्णन संतश्री द्वारा किया गया।
सोमवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, प्रहलाद काबरा, राधेश्याम गर्ग, मदनलाल गेहलोत, पं शिवशंकर शर्मा, शंकरलाल सोनी, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राव विजयसिंह सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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